Sawan Putrada Ekadashi Vrat Katha 2023 | सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा | Putrada Ekadashi Vrat Katha @Mere Krishna
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस भी दंपत्ति के संतान नहीं है, उसे श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत रखना चाहिए। इससे व्यक्ति को भौतिक सुख की प्राप्ति होती है और ग्रह दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस एकदाशी का व्रत निर्जला रखा जाता है और अगले दिन व्रत का पारण करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
पुत्रदा एकादशी की कथा द्वापर युग के महिष्मति नाम के राज्य और उसके राजा से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिष्मति नाम के राज्य पर महीजित नाम का एक राजा शासन करता था। उस राजा के पास वैभव की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। जिस कारण राजा परेशान रहता था। राजा अपनी प्रजा का भी पूर्ण ध्यान रखता था। संतान न होने के कारण राजा को निराशा घेरने लगी। तब राजा ने ऋषि-मुनियों की शरण ली। इसके बाद ऋषि लोमश ने राजा को एकादशी व्रत के बारे में बताया। राजा ने विधिपूर्वक एकादशी व्रत पूर्ण किया और नियम से व्रत का पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ दिनों पश्चात रानी ने गर्म धारण किया और एक सुंदर तथा बलशाली पुत्र को जन्म दिया।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस भी दंपत्ति के संतान नहीं है, उसे श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत रखना चाहिए। इससे व्यक्ति को भौतिक सुख की प्राप्ति होती है और ग्रह दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस एकदाशी का व्रत निर्जला रखा जाता है और अगले दिन व्रत का पारण करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
पुत्रदा एकादशी की कथा द्वापर युग के महिष्मति नाम के राज्य और उसके राजा से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिष्मति नाम के राज्य पर महीजित नाम का एक राजा शासन करता था। उस राजा के पास वैभव की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। जिस कारण राजा परेशान रहता था। राजा अपनी प्रजा का भी पूर्ण ध्यान रखता था। संतान न होने के कारण राजा को निराशा घेरने लगी। तब राजा ने ऋषि-मुनियों की शरण ली। इसके बाद ऋषि लोमश ने राजा को एकादशी व्रत के बारे में बताया। राजा ने विधिपूर्वक एकादशी व्रत पूर्ण किया और नियम से व्रत का पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ दिनों पश्चात रानी ने गर्म धारण किया और एक सुंदर तथा बलशाली पुत्र को जन्म दिया।
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