Navratri Day 1: Mata Shailputri Ki Katha | पहला नवरात्रि स्पेशल: शैलपुत्री माता की कथा | Navratri
#vrat #navratri #navratrispecial #navratri2023
दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। येे नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा।
राजा प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया, जिसमें शंकरजी को निमंत्रित नहीं किया गया था। सती यज्ञ में जाने को विकल थीं। तब शंकर जी ने कहा कि प्रजापति दक्ष उनसे किसी कारण से नाराज हैं, इसलिए यज्ञ में नहीं बुलाया है। बिना निमंत्रण वहां जाना ठीक नहीं है।
सती नहीं मानीं और उस यज्ञ में चली गईं। वहां पर उनका और उनके पति भगवान शंकर का तिरस्कार हो रहा था। दक्ष ने उनको कटु वचन भी बोले। तब सती का मन क्रोध से भर गया। क्रोध और ग्लानि के वशीभूत उन्होंने स्वयं को उस यज्ञ की अग्नि में जलाकर भस्म कर दिया।
इससे शंकर जी भी क्रोधित हो गए और उन्होंने उस यज्ञ को तहस नहस कर दिया। फिर सती ने अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। वही ‘शैलपुत्री’ नाम से विख्यात हुईं। उनको पार्वती और हैमवती नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री हैं। आज पूरे दिन मां शैलपुत्री का ध्यान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से भय दूर होता है। वे अपने भक्तों को यश, ज्ञान, मोक्ष, सुख, समृद्धि आदि प्रदान करती हैं।
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दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। येे नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा।
राजा प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया, जिसमें शंकरजी को निमंत्रित नहीं किया गया था। सती यज्ञ में जाने को विकल थीं। तब शंकर जी ने कहा कि प्रजापति दक्ष उनसे किसी कारण से नाराज हैं, इसलिए यज्ञ में नहीं बुलाया है। बिना निमंत्रण वहां जाना ठीक नहीं है।
सती नहीं मानीं और उस यज्ञ में चली गईं। वहां पर उनका और उनके पति भगवान शंकर का तिरस्कार हो रहा था। दक्ष ने उनको कटु वचन भी बोले। तब सती का मन क्रोध से भर गया। क्रोध और ग्लानि के वशीभूत उन्होंने स्वयं को उस यज्ञ की अग्नि में जलाकर भस्म कर दिया।
इससे शंकर जी भी क्रोधित हो गए और उन्होंने उस यज्ञ को तहस नहस कर दिया। फिर सती ने अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। वही ‘शैलपुत्री’ नाम से विख्यात हुईं। उनको पार्वती और हैमवती नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री हैं। आज पूरे दिन मां शैलपुत्री का ध्यान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से भय दूर होता है। वे अपने भक्तों को यश, ज्ञान, मोक्ष, सुख, समृद्धि आदि प्रदान करती हैं।
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