_ _ Miteiya _Kya Kalyug ka Ant hone wala hai_

  • 4 years ago
एक प्रश्न के जवाब में मितेया कलयुग का रहस्य समझते हुए कहते है कि विश्व की कोई भी पुरातत्व संस्था सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग आदि के सबूत नहीं ढूंढ पायी है। और यह आश्चर्यजनक है कि दुनिया की सभी सभ्यताए इस प्रकार की धारणा पर विश्वास करती है। गैर सनातनी इसे गोल्डन एज, सिल्वर एज, कॉपर एज और आयरन एज के रूप में देखते है।

मितेया कहते है समय कई प्रकार के होते है और इनमे से एक व्यक्ति का "जैविक समय" होता है। हर व्यक्ति अपनी माँ की कोख में रहता है, फिर उसका लालन पालन उसके माँ बाप करते है, फिर वह दोस्तों के साथ खेल कूद करता है और फिर वह व्यस्क हो जाता है। व्यस्क होने के बाद उसे जीवन कठिन प्रतीत होने लगता है। सभी लोगो के इसी प्रकार की यादे दरअसल युगो के रूप में याद रह जाती है।

मितेया कहते है कि कलियुग "कली" का युग है जिसमे लोग अपनी प्रतिभा को समझ नहीं पाते और कली के रूप में ही रह जाते है। यदि इन कलियों को पुष्प बनने का रहश्य पता चल जाए तो कलियों का युग समाप्त हो जाएगा और पुष्पों का युग आ जाएगा। इस बात को समझाते हुए मितेया पदमसम्भवा बुद्ध का जिक्र करते है और बताते है कि पद्म का मतलब कमल का पुष्प होता है और संभव का अर्थ संभावना होती है। व्यक्ति यदि कली के रूप में रह जाएगा तो वह हमेशा दुखी रहेगा।

मितेया कल्कि का अर्थ समझाते हुए कहते है कि कल्कि दो शब्दों से बनता है जिसमे एक शब्द कल है और दूसरा शब्द किंवदंती है। यदि आने वाला कल और गुजरा हुआ कल किंवदंती बन जाए तो कल्कि का अवतार हो जाता है। मितेया आगे कहते है कि कलयुग कि समाप्ति के बारे में दो धारणाये है। सप्तऋषि के अनुसार कलयुग ख़तम होने को है और अन्य लोगो के अनुसार कलयुग चार लाख साल और चलेगा। ये दोनों धारणाये सत्य है। आशावादी के लिए कलयुग ख़त्म होने को है और निराशावादी के लिए कलयुग का अंत अभी बहुत दूर है।


Kalyug ka Ant
In an answer to a question, Miteiya explains the art of “Mindfulness”. Miteiya says that this is the core teaching of “Abhisamayalankara” and reminds the viewers of his previous discourse on 4 Greek brothers. Miteiya reiterates the same teaching by quoting Prometheus, Epimetheus, Menoetius and Atlas.

Miteiya also quotes a myth from Mahabharata, wherein during the battle; Dronacharya was asked to capture Yudhisthir and not kill him. From psychological perspective, it simply shows that Mind would be actively working to capture the “Internal Gaze”. With the background of these two myths, Miteiya explains the teaching of Abhisamayalankara.

Miteiya says that there are 4 steps in this exercise. The first step is to acquire requisite knowledge of all the scriptures. The second step is to understand all paths (Chakras). The third step is to sequence them in proper alignment. And the fourth and final step is to enlighten and awaken all the chakras along with goal in the single instantenous moment. This process is quite similar to Vast Form of Krishna and it leads to Sahasara Chakra.

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