• 5 years ago
famous algoja artis dhodhe khan Baremr Rajasthan

बाड़मेर। 'सोचता हूं अल्लाह देगा तो देगा ही। बंदों से क्या मांगना...' यह बात कोई फ़क़ीर ही कह सकता है। फ़क़ीर की साधना संगीत के साथ और गूढ़ बन जाती हैं। उम्र के हीरक पड़ाव में भी वो मांगने की कोशिश नहीं करता। जहां से निमंत्रण आता है वहां से कुछ पैसा मिलता है। वो नाकाफ़ी हैं, लेकिन निराशा नहीं आती। यह कहानी है विश्व प्रसिद्ध अलगोजा वाद्ययंत्र के उस्ताद धोधे खान का है।

बाड़मेर के मांगता गांव के रहने वाले हैं धोधे खान

राजस्थान के बाड़मेर जिले के मांगता गांव निवासी धोधे खान की पहचान काफी पुरानी और कामयाबी की सूची बेहद लम्बी है। इन्होंने वर्ष 1982 में हुए एशियाई खेलों में लोक वाद्ययंत्र अलगोजा बजाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था। अलगोजे की धुन सुनकर राजीव गांधी ने इन्हें अपना बाराती बनाया था। आकाशवाणी पर गूंजने वाली अलगोजे की धुन भी इन्हीं की देन है। लेकिन वर्तमान में धोधे खान गरीबी और परेशानी में जी रहे हैं। पिछले दिनों आया तूफान इनके झोपड़े की छत को उड़ा ले गया। मदद नहीं मिलने से हताश धोधे खान कहते हैं, तूफान आया था छत ले गया...अब बारिश आ गई तो दीवारें भी ले जाएगी। लेकिन, अपनी कला के उस्ताद परिवार को कुछ नहीं दे पाने के मलाल में फंसे हुए हैं।

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