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  • 6/26/2019
जे कायर सो बारम्बार
युद्ध युद्ध चिल्लाये
जो फट्टू प्रवित्ति मानुष
वो निडर राग दोहराए
लोभी, धूर्त, चोर, उचक्के
इमानदार कहत ना अघाए

कहत मिसिर जी, बारम्बार
रे कजरी काहे तू घबराए

काहे तू घबराए रे कजरी
जो कछु लीना ना दीना
कहे मुद्रा मलीन तुहारी
कहे टपके पसीना
काहे सियार जैसे तू मोदी मोदी चिल्लाये

कहत मिसिर जी, बारम्बार
रे कजरी काहे तू घबराए

जो तुमरे विधायक इमानी
तो उनका कुछ नहीं होना
जो फाइलें ना तुमने दबायीं
तो काहे सिकोड़े सीना
जो गिरी पे तुमरे आरोप सही
तो क्यूँ ना बहस कराये

कहत मिसिर जी, बार बार
रे कजरी काहे तू घबराए

- अतुल कुमार मिश्रा

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