साखर चौथ का गणपति - भाद्रपद संकष्टी गणपति | Sakhar Chauth Ganpati 2017 | अर्था

  • 6 years ago
भाद्रपद महीना हिन्दू धर्म में बड़े उत्सवों के लिए माना जाता क्यूंकि इस महीने में सबके आराध्य दैवत गणपति का आगमन होता है। अनंत चतुर्दशी तक चलने वाला यह उत्सव पुरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन गणपति के विसर्जन के बाद भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी के दिन फिर से एक बार गणपति का आगमन होता है जिसे साखर चौथ का गणपति कहते है इस वीडियो में हम आपको इस त्यौहार के बारे में बताने जा रहे हैं

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१ अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बाप्पा का विसर्जन होने के बाद भारत में यह उत्सव जैसे समाप्त हो जाता है, परंतु महाराष्ट्र में विशेष कर रायगड जिले में गणपति का यह उत्साह इतने जल्दी समाप्त नहीं होता



२ यहाँ गणपति विसर्जन होने के बाद भाद्रपद संकष्टी के दिन फिर से गणपति का आगमन होता है जिसे साखर चौथ का गणपति कहा जाता है



३ सिर्फ कोकण में मनाये जाने वाले इस गणपति उत्सव की परंपरा सालो से चली आ रही है। यह परंपरा कैसे चालू हुई इसका कोई मुलभुत आधार उपलब्ध नहीं हैं



४ यह पितृपक्ष का काल होता है परंतु श्री गणेश गणनायक होने के कारण गणपति स्थापना के लिए पितृपक्ष का विचार नहीं किया जाता



५ पुरे परिवार में सिर्फ एक गणपति की स्थापना की जाती और सबको उनकी सेवा करने का अवसर दिया जाता है



६ परिवार के भक्त गणपति का व्रत (मन्नत) करते है और उसकी पूर्तता के लिए भाद्रपद संकष्टी के दिन गणपति का आवाहन किया जाता है। यह व्रत (मन्नत) ३ या ५ साल की होती है



७ इस गणपति उत्सव के पीछे का और एक दूसरा उद्देश्य है की गणेश चतुर्थी के समय घर में सूतक चल रहा हो, तो सूतक समाप्त होने के बाद भाद्रपद संकष्टी के दिन गणपति की स्थापना की जाती है



८ इस गणपति के स्थापना और पूजा की विधी गणेश चतुर्थी के गणपति समान होती है। परंतु गणपति बाप्पा को भोग में जो मोदक चढ़ाये जाते है वह शक्कर से बने होते है



९ इस गणपति पूजन के समय श्री गणेश ने चंद्रदेव को जो उ:शाप दिया था उसका पालन करना होता है और इसलिए चंद्रदोय होने के बाद पहले चंद्रदेव की पूजा की जाती है और उसके बाद ही भगवान गणेश की आरती कर उनको नैवेद्य चढ़ाया जाता है



१० जो भक्त ११ संकष्टी या २१ संकष्टी का व्रत रखते है उनका यह व्रत साखर चौथ के गणपति के दिन पूरा होता है



११ आपको यह साखर चौथ के गणपत?

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