श्री मेहंदीपुर बालाजी गर्भगृह आरती दर्शन
मेहंदीपुर बालाजी धाम
एक ऐसा स्थान जहाँ बड़े से बड़ा नास्तिक , आस्तिक बन जाता है
श्री मेंहदीपुर बालाजी धाम। आगरा- जयपुर राष्ट्रीय मार्ग पर आगरा से लगभग 145 किमी एवं जयपुर से लगभग 100 किमी दूर यह दूवस्थान लोक आस्था का ऐसा केंद्र हो गया है, यहां जाति धर्म व समप्रदाय की सभी वर्जनाएं एक माला में पिरोई नजर आती हैं। यहां सभी नतमस्तक हैं। राजस्थान के करौली एवं दौसा जिलों की दो पहाड़ियों की तलहटी में स्थित यह तीन देवों की प्रधानता वाला ऐसा देवस्थल है यहां से हर भक्त झोली भर कर जाता है. जिसने जो मांगा उसे वह मिलना सुनिष्चित है। यह दुनिया का अकेला ऐसा स्थान है जहां भूत-प्रेत और जिन्नौं का इलाज होता है । दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि बालाजी की प्रधानता वाला यह स्थान अतशप्त आत्माओं का बसेरा है। उनकी मुक्ति का धाम है।
ऐसी मान्यता है कि यहां श्री बालाजी महाराज के हजारों गण (बालाजी की शरणागत अतशप्त आत्माऐँ ) हैं जो यहां श्री बालाजी महाराज के नित्य लगने वाले भोग की खुशबू से तृप्त हो रहे हैं।
आगरा-जयपुर हाइवे से बाई तरफ लगभग नौ किमी दूर स्थित इस देव स्थान पर पहली बार आने वाला व्यक्ति यहां उटपटांग हरकत करते, मुंडी हिलाकर विलाप करते लोगों को देखकर एक बार तो शरीर कंपन महसूस करने लगेगा।
करौली और दौसा की सुरभ्य घाटियों में स्थित होने के कारण यह देवस्थान घाटा वाले बाबा के नाम से भी प्रसिद्ध है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां के चमत्कारों के आगे अपने आप नतमस्तक हो जाते हैं. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यहां स्थित श्री बालाजी महाराज प्रेतराज सरकार भरवजी और कोतवाल की प्रतिमाएं प्रकृति द्वारा पर्वत शिलाओँ में उकेरी गई आकृतियां हैं।
मेहंदीपुर बालाजी धाम
एक ऐसा स्थान जहाँ बड़े से बड़ा नास्तिक , आस्तिक बन जाता है
श्री मेंहदीपुर बालाजी धाम। आगरा- जयपुर राष्ट्रीय मार्ग पर आगरा से लगभग 145 किमी एवं जयपुर से लगभग 100 किमी दूर यह दूवस्थान लोक आस्था का ऐसा केंद्र हो गया है, यहां जाति धर्म व समप्रदाय की सभी वर्जनाएं एक माला में पिरोई नजर आती हैं। यहां सभी नतमस्तक हैं। राजस्थान के करौली एवं दौसा जिलों की दो पहाड़ियों की तलहटी में स्थित यह तीन देवों की प्रधानता वाला ऐसा देवस्थल है यहां से हर भक्त झोली भर कर जाता है. जिसने जो मांगा उसे वह मिलना सुनिष्चित है। यह दुनिया का अकेला ऐसा स्थान है जहां भूत-प्रेत और जिन्नौं का इलाज होता है । दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि बालाजी की प्रधानता वाला यह स्थान अतशप्त आत्माओं का बसेरा है। उनकी मुक्ति का धाम है।
ऐसी मान्यता है कि यहां श्री बालाजी महाराज के हजारों गण (बालाजी की शरणागत अतशप्त आत्माऐँ ) हैं जो यहां श्री बालाजी महाराज के नित्य लगने वाले भोग की खुशबू से तृप्त हो रहे हैं।
आगरा-जयपुर हाइवे से बाई तरफ लगभग नौ किमी दूर स्थित इस देव स्थान पर पहली बार आने वाला व्यक्ति यहां उटपटांग हरकत करते, मुंडी हिलाकर विलाप करते लोगों को देखकर एक बार तो शरीर कंपन महसूस करने लगेगा।
करौली और दौसा की सुरभ्य घाटियों में स्थित होने के कारण यह देवस्थान घाटा वाले बाबा के नाम से भी प्रसिद्ध है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां के चमत्कारों के आगे अपने आप नतमस्तक हो जाते हैं. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यहां स्थित श्री बालाजी महाराज प्रेतराज सरकार भरवजी और कोतवाल की प्रतिमाएं प्रकृति द्वारा पर्वत शिलाओँ में उकेरी गई आकृतियां हैं।
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