Dukhon Se Mukti Kaise Mile - दुखों से मुक्ति कैसे मिले - ओशो हिन्दी प्रवचन - OSHO HINDI SPIRITUAL TALK ON GETTING RID OF
OSHO SAYS THAT WE ARE THE ONLY CREATOR OF OUR SORROWS. WE ARE NOT SATISFIED FROM OUR PRESENT SITUATION AND ALWAYS DEMANDING MORE.
ओशो कहतें हैं की हम अपने दुखों से इसलिए घिरें हैं क्यूंकि हम कभी भी अपनी वर्तमान परिस्थिति से संतुष्ट नहीं रहते।
ओशो रजनीश का जन्म ११ दिसम्बर १९३१ को भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में हुआ था ओशो शब्द लैटिन भाषा के शब्द ओशोनिक से लिया गया है, जिसका अर्थ है सागर में विलीन हो जाना। १९६० के दशक में वे 'आचार्य रजनीश' के नाम से एवं १९७० -८० के दशक में भगवान श्री रजनीश नाम से और ओशो १९८९ के समय से जाने गये। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे, तथा भारत व विदेशों में जाकर उन्होने प्रवचन दिये। ओशो का मूल नाम चन्द्र मोहन जैन था। वे अपने पिता की ग्यारह संतानो में सबसे बड़े थे।
OSHO SAYS THAT WE ARE THE ONLY CREATOR OF OUR SORROWS. WE ARE NOT SATISFIED FROM OUR PRESENT SITUATION AND ALWAYS DEMANDING MORE.
ओशो कहतें हैं की हम अपने दुखों से इसलिए घिरें हैं क्यूंकि हम कभी भी अपनी वर्तमान परिस्थिति से संतुष्ट नहीं रहते।
ओशो रजनीश का जन्म ११ दिसम्बर १९३१ को भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में हुआ था ओशो शब्द लैटिन भाषा के शब्द ओशोनिक से लिया गया है, जिसका अर्थ है सागर में विलीन हो जाना। १९६० के दशक में वे 'आचार्य रजनीश' के नाम से एवं १९७० -८० के दशक में भगवान श्री रजनीश नाम से और ओशो १९८९ के समय से जाने गये। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे, तथा भारत व विदेशों में जाकर उन्होने प्रवचन दिये। ओशो का मूल नाम चन्द्र मोहन जैन था। वे अपने पिता की ग्यारह संतानो में सबसे बड़े थे।
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