चंदौली। पढ़ोगो, लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगो, कूदोगे बनोगे खराब वाली कहावत को यूपी के चंदौली निवासी नीरज गुप्ता ने गलत साबित कर दिया है। जीं हां, आर्थिक दिक्कतों के बावजूद नीरज गुप्ता ने मलेशिया में आयोजित 8वें इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया है। 75 किलो वेट में नीरज श्रीलंका के खिलाड़ी को हराकर देश-विदेश में भारत का परचम लहरा चुका है।
गरीबी के चलते नीरज कराटे प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी आर्थिक सहायता की मांग करता रहा है।
नीरज के एक मजदूर परिवार से आता है। उसके पिता भी बीमारी से पीड़ित हैं
नीरज ने अपने खेल को आगे तक ले जाने के लिए आर्थिक-पारिवारिक समस्याओं का सामना किया, बता दें कि नीरज ने खिलाड़ी कोटे के तहत यूपी सरकार से सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की गुहार लगा चुका है। लेकिन अभी तक शासन-प्रशासन से नीरज को आर्थिक सहायता की कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार एशियन पदक विजेताओं को सुख-सुविधाएं दी जा रहीं हैं, ठीक वैसे ही नीरज गुप्ता को भी सुविधाएं मिलें।
गरीबी के चलते नीरज कराटे प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी आर्थिक सहायता की मांग करता रहा है।
नीरज के एक मजदूर परिवार से आता है। उसके पिता भी बीमारी से पीड़ित हैं
नीरज ने अपने खेल को आगे तक ले जाने के लिए आर्थिक-पारिवारिक समस्याओं का सामना किया, बता दें कि नीरज ने खिलाड़ी कोटे के तहत यूपी सरकार से सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की गुहार लगा चुका है। लेकिन अभी तक शासन-प्रशासन से नीरज को आर्थिक सहायता की कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार एशियन पदक विजेताओं को सुख-सुविधाएं दी जा रहीं हैं, ठीक वैसे ही नीरज गुप्ता को भी सुविधाएं मिलें।
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