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नई दिल्ली: वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने न्यायपालिक को लेकर दिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान की कड़ी आलोचना की है। दरअसल, गुरुवार को एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि, “हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। संविधान का अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है। भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम स्वयं संभालेंगे और एक ‘सुपर संसद' के रूप में कार्य करेंगे।” उपराष्ट्रपति ने यह बयान कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में दिया था। उपराष्ट्रपति के इस बयान पर अब राजनीति शुरू हो गई है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायपालिका पर उपराष्ट्रपति का बयान कतई उचित नहीं हैं।


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00:00वरिष्ट वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका को लेकर दिये उपराश्ट्रपती जगदीप धन्खड के बयान की कड़ी आलोचना की है।
00:30भारत ने ऐसे लोकतंतर की कलपना नहीं की थी जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम वो खुद संभालेंगे और एक सुपर संसद के रूप में कारे करेंगे।
01:00इसक्रपती का बयान करता ही उचित नहीं है।
01:02कई अखबारों में जब मैंने धनकर साप का जो वक्तवे था जो स्पीच थी वो पढ़ा तो मुझे दुख भी हुआ और आश्चर भी हुआ।
01:20क्योंकि जुडिशन इंस्टिउशन चाहे वो सुप्रीम कोट हो चाहे वो हाई कोट सारे देश में हो।
01:30कि उनके उपर आज के दिन भी अगर किसी संस्था पर विश्वास है तो जुडिशरी पर है।
01:38और मुझे ऐसा लगता है कि जब कुछ सरकार के लोगों को जुडिशरी के निर्ने पसंद नहीं आते।
01:48तो फिर वो आरोप लगाना शुरू कर देते हैं कि ये हद से बाहर हैं।
01:56और जब उनको पसंद आते हैं तो फिर विपक्ष्टों कहते हैं ये तो सुप्रीम कोट ने फैसला किया।
02:05कोई सवाल उठाए तीन सो सतर पे तो ये तो सुप्रीम कोट का फैसला था।
02:09और अगर हाली में जस्टिस पार्दिवाला की जज्जमेंट आई तो ये कैसे सुप्रीम कोट कर सकती है।
02:24सिब्बल ने ये भी कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत सम्मिधान ने सुप्रीम कोट को नियाय का अधिकार दिया है किसी सरकार ने नहीं।
02:33आपने कह दिया कि आर्टिकल 142 is nuclear fissile material, a nuclear missile. ये कैसे कह सकते हैं आप।
02:45आपको मालम है कि आर्टिकल 142 के द्वारा सुप्रीम कोट को सम्मिधान ने ये हख दिया है।
02:53ये कोई सी सरकार ने हख नहीं दिया। सम्मिधान ने हख दिया है।
02:59इसके साथ ही सिब्बल ने राज्यों में राजपालों द्वारा विधेकों पर हस्ताक्षर नहीं किये जाने और उन्हें लंबे समय तक रोके रखने पर भी सवाल उखाए।
03:09The Governor of a State Acts on the Aid and Advice of the Council of Ministers in the State.
03:16कि अगर कोई विधेक पारित होता है तो Governor के पास जाता है।
03:22Governor सम्मिधान ने हख दिया है, Governor comments करके वापिस भेज सकता है विधेक को।
03:29और पर अगर दुबारा पास कर दे legislature, assembly पास कर दे, तो Governor को sign करना पड़ता है, यह सम्मिधान कहती है।
03:39Governor यह भी कर सकता है कि कोई विधेक को वो President को भेज दे, अपने comments के साथ कि मुझे यह सही नहीं लगता।
03:48और President अपने विक्तिगत अनुसार कुछ नहीं करती ही, President Acts on the Hate and Advise of the Council of Ministers, वो बात सरकार के इंदर सरकार के Council of Ministers पर जाती है, वोفेs करते हैं President को क्यों क्यों क्या हो करना है।
04:07ुप्राश्ट्रपती के बयान के खिलाफ Congress Party ने भी मोर्चा खोल दिया है
04:21Congress नेताओं ने कहा कि उप्राश्ट्रपती को Supreme Court के बारे में इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए
04:28यह तो दुर्भागे की बात है कि उप्राश्ट्रपती जी ने सम्विधान नहीं देखा होगा
04:33सम्विधान में सही कहा है कि अगर Supreme Court को किसी को लगता है कि कोई ऐसा कानून बना है
04:39जो Supreme Court की धाराएं या उसकी रूह के अलग जलता है तो Supreme Court जा सकता है
04:45और लोग गए है और Supreme Court को लगता है कि इस पर सुनवाई होनी चीए
04:49बहुत से कानूनों पर सुनवाई हुई है
04:51अब कानून पर क्या उप्राश्ट्रपती जी विशेशक जही या Supreme Court है
04:56ये भी एक सम्विधानिक पद है उप्राश्ट्रपती का
04:59लेकिन Supreme Court भी एक सम्विधानिक पद है
05:02और मुझे लगता है कि उप्राश्ट्रपती जी को इन सम चीज़े कहने में परहिस करना चीए
05:08महार महीम रास्पती महा महीम उप्रास्पती सम्विधान के
05:14प्रदत अधिकारों से सरवच
05:18मैं उनकी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं बेख करूँगा
05:23ना कोई बात कहूँगा
05:25पर इतना जरूर कहूँगा
05:28कि भारत का सम्विधान बहुत असपस्थ है
05:33लोक्तंत चार पाए पेटिका है
05:36नयापालिका, कारेपालिका, पत्तकारिता और विधायका
05:42सब के अपने असपस्थ अधिकार हैं, उनका हनन नहीं होना चाहिए
05:48भारत के सम्विधान का 142 और 145 परिभाशित भी है
05:53कई बार उस पर नयाले होने, सब ने अपने पनी रह रखी है
05:59सब का सम्मान होना है
06:01विपक्ष का ये भी कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट सरकार के पक्ष में निर्णे देता है
06:05तो सरकार में बैठे लोग उसकी तारीफ करते हैं
06:08लेकिन फैसला अगर खिलाफ हो तो सर्वोचन यायले पर सवाल उठाने लगते हैं

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