Hindi News: यह भाषण भारत की शिक्षा प्रणाली और नीतियों से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करता है, विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)पर शिक्षक प्रशिक्षण: वक्ता इस बात पर जोर देते हैं कि केवल 13% शिक्षक ही प्रशिक्षित हैं और सवाल उठाते हैं कि बाकी शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए हमारे पास क्या रोडमैप है और क्या हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में कॉलेज और संसाधन हैं जो उन्हें प्रशिक्षित कर सकें... वक्ता अल्पसंख्यक समुदाय के मदरसा शिक्षा पैटर्न पर सवाल उठाते हैं और यह पूछते हैं कि क्या सरकार ने बड़े मदरसा संस्थानों जैसे नदवा और देवबंद के साथ संवाद शुरू किया है या नहीं, और इन संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कैसे शामिल किया जाएगा...
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00:00भूग के अहसास को शेरो सुखन तक ले चलो
00:03या गजल को मुफलिसों की अंजुमन तक ले चलो
00:07मुझको नजमों जब्त की तालीम देना बाद में
00:10पहले अपनी रहवरी को आचरन तक ले चलो
00:13मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि ये नुक्ता हटा करके
00:16आप बेवनागरी भाषा को मजबूत कर रहे हैं
00:19या उसे करकश और कमजोर बना रहे हैं
00:21नदियों को साफ करें
00:23उन्हें बस गंदा मत होने दीजे
00:26नदियां अपने आप साफ हो जाएंगी
00:28शांती इस्थापित करने के लिए भाषन मत दीजे
00:30आशांती फैलाना बंद कर जीजे
00:32शांती अपने आप इस्थापित हो जाएंगी
01:00गुबापती मोहदे
01:02मैं नियं एडिकेशन पॉलिसी पे
01:04बात करने के लिए ख़ड़ा हुआ हूँ
01:06माननी मंतरी जी यहां मौजूद है
01:08नियू एडिकेशन पॉलिसी
01:10कहती है कि हमारा जोर
01:12टीचर्स ट्रेनिंग पर होना चाहिए
01:17लेकिन जो नेशनल सैंपल
01:19सर्वे ओफिस का आकड़ा है वो
01:21कहता है कि इस देश में सिर्फ
01:2313% टीचर हैं जो ट्रेन्ड हैं
01:25तो मैं माननी मंतरी जी
01:27से जानना चाहता हूँ कि
01:29क्या जो 87%
01:31टीचर्स हैं जिन्ने
01:33ट्रेनिंग देने की अभी जरूरत है
01:35उनको ट्रेनिंग देने के लिए हमारे पास
01:37क्या रोड मैप रहेगा
01:39और क्या हमारे पास इतने
01:41बड़े पहमाने पर कॉलेजेज हैं
01:43रिसौर्सेज हैं जिनसे उन्हें ट्रेन्ड
01:45किया जा सके हमारी
01:47न्यू एजुकेशन पॉलिसी कहती है
01:49के टिकनोलोजी पे जोर दिया जाया
01:51और टिकनोलोजी के सहारे
01:53पढ़ाई को हमने कोविट के द़ौरान
01:55देखा भी है कि किस तरह से बच्चों को
01:57टिकनौलजी के सहारे पढ़ाया गया
01:59लेकिन
02:01मैं माननी मंतरी जी से पूछना चाहता हूँ
02:03जब इस देश में 80 करोण लोग पांच किलो राशन पे गुजारा कर रहे हूं,
02:07तो क्या उन परिवारों तक इंटरनेट, कंप्यूटर, लैप्टॉप जैसी सुविधाएं पहुंचाने के लिए
02:13कोई रोड मैप है ताके उनके बच्चों को सिख्षित किया जा सके?
02:17मैं एक बहुत महत्तपूर बात और सभापती महोदे यहां कहना चाहता हूं,
02:21कि माइनॉरिटी कम्यूनिटी से जुड़ा हुआ जो मदरसा एजुकेशन का पैटर्न है,
02:26उस पे बहुत गंभीरता से माननी मंतरी जी से पूछना चाहता हूं,
02:29कि जो न्यू एजुकेशन पॉलिसी है,
02:31कुछ मदरसे ऐसे हैं जिनको सरकार रिकोगनाईज करती हैं,
02:35लेकिन कुछ बड़े सिख्षन संस्थान हैं,
02:37नदवा और देवबंद जैसे,
02:40क्या न्यू एजुकेशन पॉलिसी के कोंटेस्ट में,
02:43आपने इन बड़े संस्थानों से डाइलोग करने का
02:48कोई मानक या कोई बाची शुरू करने का प्लान बनाया है या नहीं,
02:52ये मैं पूछना चाहता हूं,
02:54और एक बहुत महत्तपूर्ण बात मंतरी जी से मैं पूछना चाहता हूं,
02:57के बहुत सारे माइनॉर्टी इंसिटूट थे जहाँ पर इसकॉलरशिप का प्रावधान था,
03:04लेकिन आपने मौलाना आजाद नेशनल फिलोशिप को एक जटके में बंद कर दिया,
03:09हजारों, लाखों चात्र जो उस इसकॉलरशिप के भरोसे अपनी सिख्षा गरहन कर रहे थे,
03:14एक तरब प्रदान मंतरी जी कहते हैं, सबका साथ, सबका विकास,
03:18एक हाथ में कंप्यूटर, एक हाथ में पुराण,
03:20लेकिन जब इसकॉलरशिप आप बंद कर देते हैं, तो गरीब तपके से आने वाला आप संक्यक समुधाय के जो बच्चे हैं,
03:26उनकी सिख्षा विवस्था को लेकर के, उनकी सिख्षा को आगे बढ़ाने को लेकर के आपके पास क्या प्लान है?
03:32मैं माननी सिख्षा मंतरी जी यहाँ पर बैठे हैं, उनसे कहना चाहता हूँ कि पूर देश में, पूर दुनिया में प्रधान मंतरी जी जा करके महात्मा गांधी जी की मूर्ती के सामने सर जुकाते हैं, उन्हें फूल चहाते हैं,
03:46लेकिन आप ही की सरकार एनाइटी केलिकट में प्रोफेसर साइजा एको येउजना और विकास विभाग का डीन बना देती हैं, जो खुल करके कहती हैं कि मेरी नजर में नातुराम गोट से तो बहुत महान था, तो आपकी नई एदुकेशन पॉलिसी यह है, इस दिशा में �
04:16साम्प्रदाइकता को परोशा जा रहा है. माननी मंतरी जी क्या आपके
04:19संग्यान में है? कि केंद्री हिंदी संस्थान और नीपा जैसे
04:24जो संस्थान है, उसमें अगोशित तारपर ये कह दिया गया है कि
04:29देवनागरी में लिखते हुए जो नुक्ते लगाए जाते थे, जिनको ये
04:34कहा जाता है कि वो उर्दू से आते हैं, उनको अगोशित तारपर
04:37रोग दिया है कि नई छपने वाली किसी भी किताब में नुक्ता
04:40नहीं लगाए जाएगा. NCRT की किताबें छापने वाले, लिखने
04:44वाले कई लोगों से मेरी व्यक्तिगत बात हुई, उनका ये
04:47कहना था कि हमें उपर से आदेश है, हाला कि ये ऐसा
04:49कोई लिखित आदेश नहीं है. तो मैं आपसे जानना चाहता
04:52हूँ कि ये नुक्ता हटा करके आप बेवनागरी भाषा को
04:56मजबूत कर रहे हैं या उसे करकश और कमजोर बना रहे
04:59हैं? ये मेरा माननी मंत्री जी से अनूरोध है और ये
05:03मैं उनसे जानना चाहता हूँ. सभापती महोदे, PM
05:06श्री विद्याले को ले करके बहुत बातें हुईं. मैं एक
05:10चीज़ कहना चाहता हूँ कि गाजीपूर एक जिला है उत्तर
05:13प्रदेश में. वहाँ वीर अब्दुल हमीद विद्याले है
05:16धामूपुरुं, गाओं में. पिछले दिनों PM श्री कमपोजिट
05:21प्रदेश नाम बदल दिया गया. उसके सहारे भी
05:26सांपरदाईकता परोशने की कोशिश की गई. जब सोशल
05:28मीडिया पे बहुत हंगामा खड़ा हुआ हम सारे लोगों
05:31ने आवाज उठाई. तब फिर से वैसिक सिख्षा अदिकारी
05:34ने नाम बदल करके पुना उसका नाम बीर अब्दूल हमीद
05:38जो परम चक्र विजेता हैं उनके नाम पे करने का काम
05:41किया. ये इस योजना के थूँ भी सांपरदाईकता को
05:44जो परोशने का काम किया जा रहा है. उसको मंत्री
05:47जी के संग्यान में है यह बात यह नहीं और रोकने
05:50के लिए क्या काम करेंगे? NCRT की जो किताबें हैं उनसे
05:54हिंदु-मुसलिम एकता के जो चैप्टर हटाय जा रहे हैं.
05:57महोदे NCRT की किताबें बच्चों का ज़िन्द देयार करती
06:03हैं. आप बेसिक तोर पे एक नया इतिहास पढ़ाने के
06:07चक्कर में बच्चों को चोटे बच्चों को जो गुमराह करके
06:10उनको एक जूठा इतिहास पढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं.
06:14आगे चलके दुनिया में वो बच्चे कहां सस्टेंड करेंगे?
06:16तो मैं माननी मंतरी जी से कहना चाहता हूँ कि सिख्षा और धर्म को
06:22एक दूसरे से अलग रहना चाहिए. मैं आज इस विशेबे बात
06:26करते हुए एक बहुत महत्तपूर्ण बात और कहना चाहता हूँ
06:30कि दिल्ली विश्व विध्याले में पाठे करम में जो बदलाव किये
06:34गए हैं जिसमें राजनिती विज्ञान के पाठे करम से भीम राउ,
06:38राम जी अम्बेटकर, मोहंदास करम चंदर गांधी, मुहमद इकबाल
06:41और भारत के संविधान पर आधारित शोद पत्रों को हटाया गया है,
06:45डलित लेखक बामा और सुकीरत राना को अंग्रेजी पाठे करम से हटाया
06:50गया है, क्या ये चीज़ें माननी मंतरी जी के संग्यान में हैं,
06:54समय बहुत कम है, मैं इस नई एडुकेशन पॉलिसी पर आधारी मंतरी
07:00जी से और सरकार से इतना कहना चाहता हूँ कि आप बदलाव के
07:03नाम पर ये जो नई चीज़ें लेकर क्या रहे हैं, कैमपस में जिस
07:07तरह की गुंडा गर्दी है, भी एक माननी सदस ने बोलते
07:09वे जेन्यू का जिस तरह से जिकर किया, कि जेन्यू में इस
07:13तरह के नारे लगे, कुछ नकाप पोश लोग आते हैं, नारे
07:16लगाते हैं, चले जाते हैं, पुलिस सानों साल गुजरने के
07:19बाद उन नकाप पोश लोगों को ढूंड नहीं पाती है, इतने
07:22प्रतिष्ठित सिख्षन संस्थानों को बदनाम करने के लिए
07:25जो तरीका सरकार इस्तेमाल कर रही हो बहुत शर्मनाक है,
07:29पिछले दिनों एक महिला भी नकाप पोश जिसने छात्रावास
07:32में लाठी बरसाई थी, डंडे चलाये थे, वो आज तक उसकी
07:35पहचान नहीं किजा सकी, दिल्ली पुलिसों से ढूंड नहीं
07:37सकी, जामिया की लाइब्रेरी में जिस तरह से लाठीया
07:41बरसाई गई थी, उनके जफ्मों के निसान आज तक नहीं
07:43सूखे हैं, अलीगर मुस्लिम विश्व विद्याले को,
07:46अलीगर मुस्लिम विश्व विध्याले को लेकर के वहाँ
07:49के सांसत जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं,
07:51वो बहुत शर्मनाक है, माननी हैं, मंतरी जी
07:54और सरकार से मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ,
07:57और यह कहना चाहता हूँ, आप बदलाओं के नाम पर जो
08:00नई जी लाने की कोशिश कर रहे हैं, महुदे नदियों को
08:04साफ होने कर दिजे, नदियां अपने आप साफ हो जाएंगी,
08:10सभाबती महुदे, मैं तो कहना चाहता हूँ कि जंगल मत उगाईए,
08:14बस पेड़ों को काटना बंद कर दिजे, जंगल अपने आप उगाईएंगे,
08:18मैं तो सरकार से कहना चाहता हूँ कि शांती इस्थापित करने के लिए भाषन मत दीजे,
08:23आशांती फैलाना बंद कर दिजे, शांती अपने आप इस्थापित हो जाएगी,
08:28मैं तो कहना चाहता हूँ कि प्रेम फैलाने पर लंबे लंबे लेख मत लिखिए,
08:33बस नफरत करना बंद कर दिजे, प्रेम अपने आप फैल जाएगा,
08:37यह जो नई एजुकेशन पॉलिसी है, इसमें जिस तरह से गरीब तपके के लोगों को,
08:43मेरा चाहता हूँ, हाषियद पर मोजूद लोगों को सिक्षा से दूर करने का प्रियास की।
08:47वो बहुत शर्मनाक है, सिक्षा को निजी करन की तरह जिस तरह ले जाया जा रहा है,
08:51वो बहुत शरमनाख है, माननी मंतरी जी इस पर सोचें और इसे सुधार करने का प्रयास करें
08:57इस सदन की तरब से शायद इससे बहतर बात, इससे बहतर सुझाव हम नहीं दे सकते, बहुत-बहुत धन्यवाद