हम टेक्नॉलजी के विरोधी नहीं हैं लेकिन जिस तरह टेक्नॉलजी को लेकर सपने दिखाए जाते हैं, उससे असहज हैं। AI की भूमिका तो है ही लेकिन AI को लेकर किए जा रहे दावों पर अविश्वास भी होता है। पुराने अनुभव यही कहते हैं कि टेक्नॉलजी को लेकर जो संभावनाएं व्यक्त की जाती हैं, उसका लाभ सभी को बराबर नहीं मिलता। जैसे आज कोई भी पत्रकार बन सकता है, यू ट्यूब पर वीडियो बना सकता है । यहाँ तक तो ठीक है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि सरकार चाहे तो यू ट्यूब पर रोक लगा सकती है। अन्य तरीक़ों से वीडियो डिलिट करवा सकती है। पत्रकार को जेल में डाल सकती है। इसलिए हमें टेक्नॉलजी के आने के बाद भी उसके लोकतांत्रिक और पारदर्शी होने की लड़ाई लड़नी पड़ती है। उम्मीद है AI पर हमारे इस वीडियो को आप उसी नज़र से देखेंगे।
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