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Verse 1: न न कोई उमंग है, न कोई तरंग है,
सन्नाटा छाया है, जैसे कोई रंग है।
खामोशी में खोया, हर दिल का दंग है,
सपनों का जहां अब, सिर्फ एक ढंग है।

Verse 2: यादों की परछाई, बस संग संग है,
बीत गए पल जैसे, कोई जादू का रंग है।
आँखों में बसी है, एक मीठी तंग है,
खुशियों की कमी में, हर लम्हा चुरंग है।

Chorus: न न कोई उमंग है, न कोई तरंग है,
खुशियों का जहां अब, बस एक तंग है।
आसमान भी रोता, जब दिल ये बिछंग है,
इश्क की राहों में, अब कोई न संग है।

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