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00:00वैसे तो हमारे हिन्दू धर्म में जोतिसास्त्रो के अणुशार
00:04पंचख को अशुभ्य माना गया है
00:07पंचख के समय कोई भी शूभ काम नहीं किया जाता है
00:11लेकिन एक ऐसा भी पंचख है
00:14जिसे अशुभ नहीं बलागी शुभ माना गया है
00:18उस पंचक में साड़े शुब्भ काम किये जाते हैं
00:22तो आईए जानते हैं कि वह कौन सा पंचक है
00:26जिसमें साड़े शुब्भ काम किये जाते हैं
00:28और वह पंचक अशुभ नहीं बलकि सुभ है
00:32नमस्ते दोस्तों मैं नूतन नूतन पांडर
00:35हमारे यूट्यूब चैनल में आपका हारदिक स्वागत है
00:39आज हम अपने इस प्रस्तुति में
00:41भीश्म पंचक के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे
00:45जैसे की भीश्म पंचक क्या है, इसे कब किया जाता है
00:50भीश्म पंचक का इतना महत्तु क्यों है, ये कब प्रारंब हुआ
00:56आदि सब की जानकारी हम अपने इस प्रस्तुति में प्राप्त करेंगे
01:00तो आये प्रारंब करते हैं
01:02भीश्म पंचक को भीश्मु पंचक भी कहा जाता है
01:06जो अतिशुभ माना जाता है
01:09इस पंचक में किये गए धर्म कर्म अतिफल्दायक बताया गया है
01:14कहते हैं, जो वेक्ति पुरस्त्तम माश, जो की चार अभधिके होते हैं
01:21जो असाड माश से प्रारंब होकर कार्तिक माश तक चलते हैं
01:28इस प्रकार हम देखते हैं कि भीश्म पंचक कितना महत्पुर्ण एवं खास है
01:34जो वेक्ति पुरस्तम माश, जो की चार अभधिके होकर कार्तिक माश तक चलते है
01:38जो वेक्ति पुरस्त्तम माश तक चलते है
01:41जो वेक्ति पुरस्त्तम माश तक चलते है
01:45तो वह भीश्म पंचक के पांच दिन का वर्ध करने से सफल हो जाता है
01:52इस प्रकार हम देखते हैं कि भीश्म पंचक कितना महत्पुर्ण एवं खास है
01:58भीश्म पंचक का प्रारम्भ कार्तिक माश के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिति से प्रारम्भ होकर पुर्णिमा तक चलते हैं
02:07यह वर्ध माता गंगा एवं महराज सान्तुनु के पुत्र भीश्म पितामः के नाम शमर्पित है
02:15इसलिए इस वर्ध को भीश्म पंचक वर्ध कहते हैं
02:19वर्ध पूरे पांच दिवग चलते हैं इसलिए भी इस वर्ध का नाम भीश्म पंचक वर्ध है
02:27सांस्त्रों एवं पराणी कथाओं के अनुशार कहते हैं भीश्म पितामः को अपने पिता महराज सान्तुनु से इक्छा मिर्दू के बरदान प्राप्त थे
02:39यह कथा उस शमय की है जब भीश्म पितामः अपने पिता सांतुनु महराज की दूसरी साधी करवाने के लिए आजेवन ब्रमचर रहने की परतिग्या लिये थे
02:53तब महराज सांतुनु उनसे प्रशन होकर उन्हें इक्छा मिर्दू के बरदान दिये थे
03:00इसलिए वह जब तक नहीं चाहते तब तक मिर्दू उनके पास आ भी नहीं सकते थे
03:07भेश्म पितामः महाभारत यूद के समय जब वह बानों के सेया पर लेटे हुए सूर्ज के उत्रांचल में आने की परतिग्चा कर रहे थे
03:18कि जब सूर्ज उत्रांचल में हो तब वह अपने प्रान का तियाग करेंगे उस समय यूधिश्ठीर क्रिष्ण भगवान के साथ अपने पाँचो भायो शहीत पितामः से मिलने के लिए उनके पास गए
03:34और तब यूधिश्ठीर पितामः से राज चलाने के लिए उनसे उपदेश देने के लिए कहा इसके बार भिश्ण पितामः राज चलाने के लिए राज धर्म वर्म धर्म मोक्ष धर्म का उपदेश दिये थे और यह उपदेश पूरे पांच दिन तक चला था
03:56जो कार्टिक मास के सूकल पक्ष के एकादशी तिति से प्रारंब होकर पूर्णिमा तक चला था उस उपदेश को सुनकर स्री क्रेशन बहुत ही प्रशन हुए थे और तब भगवान स्री क्रेशन पितामः से कहते हैं कि हे गंगा पूत्र आपने कार्टिक मास के सूकल पक्
04:27पाँच दिन तक भीश्म पंचक वर्थ की सुरुवात होगी और जोभी भगत इस वर्थ का पालन करेगा उह पापों से मुप्द होकर जीवन में अध्यात्मिक त्य उनति प्राप्त करेगा
04:41तथा जोभी भगत इन पाँच दिन तक भगवान श्री हरी की पूजा करेगा तथा भगती भाव में सलागन भगतों को मैं सुध भगती का बरदान देता हूँ
04:53इस प्राइकार भेश्म पिताम युध के समार्थ होने तथा पांडवों को युध में जीतने पर सांति के अनुभग किये थे और फिर उन्होंने भगवान श्री किरिश्म के समय थे अपने प्राम के तियाग किये थे
05:11अगर यह जानकारी पसंद आया हो तो वीडियो को लाइक से रेवों, चानल को सस्क्राइब करिएगा, मिलते हम आपसे अपने प्राम के सांति के सांति के लिए प्राम के लिए प्राम के लिए प्राम के लिए प्राम के लिए प्राम के लिए प्राम के लिए प्राम के लिए
05:41निए अगले वीडियो में तब तक के लिए धन्यवाद़ों, जाये हीन्दु

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