Bharat ke swatantrata sangram ki samagra gatha
S1.E2 · Vijayanagara Empire
S1.E2 · Vijayanagara Empire
Category
😹
FunTranscript
00:00विजैनेगर के वैभव को देखके लगता था
00:25जैसे वहाँ साक्षा देवी लक्ष्मी का महस है.
00:29इस सामराज की शक्ति और सम्रत थी,
00:33दोनों आत्मतिय थी.
00:35लक्षिन भारत में विदेशी सासन के अस्त
00:39और इंदु सासन के पनुरुद्धे के बाद ही स्थापित हुआ था,
00:43ये महान सामराज.
00:45कितने गर्व की बात है गुरुजी,
00:48कि हमारे पूर्वजों ने ऐसा भव्य नगर बसाया था,
00:52जो दुनिया का सबसे वड़ा शेर था.
00:55करनाटक सामराज्य की राजधानी
00:58और विजय का नगर था विजयनगर.
01:01हाँ, राजकुमार विंगटपति देवराय.
01:06इस सामराज के राजा और पज़ा,
01:08दोनों का एक ही लक्षे था,
01:11ये सामराज से विदेशी सासन को दूर रखना,
01:15और अपने धर्म और संस्कृति की सद्व रक्षा करना.
01:20इस सामराज की कहानी से आपको सद्व पिरिणा मिलेगे.
01:38आपको सद्व पिरिणा मिलेगे.
02:08आप मैसूर में एक नए राज स्थापित करने जा रहे हैं.
02:12इसलिए मैंने सोचा कि आपको आपके पुरूजो दारा स्थापित
02:17विजेनेगर जैसे गुरोषाली सामराज के बारे में पता होना चाहिए.
02:21आपको सद्व पिरिणा मिलेगे.
02:23आप मैसूर में एक नएया राज स्थापित करने जा रहे हैं।
02:27इसलिए मैंने सोचा कि आपको
02:29आपके पुरुजोदारा स्थापित
02:31विजेनेगर जैसे गुरवशाली सामराज के बारे में
02:34पता होना चाहिए।
02:35जी गुरुजी, मैं भी सब कुछ जानना चाहता हूँ, शुरुवाद से।
02:47शुरुवाद तो तिरवी सथापदी के आरम से ही शुरुव हो गई थी, दिल्ली से।
02:53आज की तरह तब भी खत्राविदिशी ताकतों सही था।
02:57दिल्ली के सुलतान अलाउदिन खिल जी, उत्तर पे तो कभजा कर ही चुका था।
03:03अब उसकी लालशी निगाहें दक्षन पर टिकी थी।
03:06सुलतान अलाउदिन खिल जी को उनके सबसे अजीज गुलाम मलिक कफूर की तरब से सलाम।
03:32मलिक कफूर का जन गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था। वो किनर था।
03:41मगलों के सिनाने उसे पकड़ लिया और अपना गुलाम बना लिया। तु सुलतान अलाउदिन खिल जी ने उसे खरीद लिया।
03:50विकरम संवत 1308 से 1311 तक सुलतान अलाउदिन खिल जी का सबसे पुरिय सिनापती मलिक कफूर ही था।
04:00आओ आओ मलिक कफूर आओ। तुम्हे देखकर ये एक खुश्णमा सा हिसास होता है बाखुदा।
04:06तुम्हे मंगोलों को हराया। रद्धमभोड चित्तोर और मालवा को जीद कर हमारी कदमों में रख दिया। इस बार अपने बाधशा अलाउदिन खिल जी के लिए क्या तोफ़ा ले कर आया हो।
04:13दक्षिन की रियासते महा की रियासते सबसे ज्यादा अमीर हैं। महा के मंदिर सोने और मोतियों से भरे हुए हैं। आप बस हमें देवगिरी लूटने का हुपम दीजे। फिर उन यादवों को कुछल कर हम आपको देवगिरी तोफ़े में देना चाहते हैं। बहुत खु
04:43बेटों के बीच लड़ाई बढ़ेगी और फिर आप देखीएगा उन मेंसे एक तो हमें
04:48मदुराई जरूर बुलाएगा मदुराई पांडियों की राजदानी और मंदिरों का शहर जी हुजूर तो ये बताओ
04:58के कांची पुरम मदुराई और रामेशवरम को कब लूटने जा रहे हो वहाँ से हमारे लिए मूतियों का पहाड और वहाँ
05:04के मंदिरों का चम्चमाता हुआ सोना जरूर लिके आना तोफ़े में और हाँ उनको उनकी आउकाथ जरूर दिखाना
05:11मली कफूर के सेना तुफान के तरह दक्कन के उर बढ़ रही थी और एक एक करके दक्षन सामराजियों को जीतने लगी
05:24उस समय दक्षन भारत और स्री लंका पर मदुराई के महाराजा मार वर्मा पांडिया का शासन था और इसके साथ
05:35देवगिरी के यादव आंद्र के काकितियी और होयसाला जैसे अन्य स्वतंत्र और अति शतिषाली जागिरदार भी थे
05:44जो पांडियन सामराज का बहुत सम्मान करते थे पांडियन सामराजय का उत्थान तो चोला वंच के पतन के बाद शुरू हुआ था ना गुरुजी हाँ
05:53म HAAN PANDIYAT SAMRATH के दो पोत्र थे संदर पांडियन और वीरा पांडियन
06:01ढब म हाराजहा महारोर्मा पांडियन ने अपने पोत़र वीरा पांडियन को अपना उथ्रधिकारी गोशेत कर दिया
06:07जो युवराज सुन्दर पांडियन अतियंद खुरुदित हुए।
06:11और उन्होंने अपने पिता का सर काड़ दिया।
06:15सत्ता के लालच मानव को दानव बना देती है।
06:20कितनी दुखत बात है ना गुरूजी।
06:23धन और शक्ती के लिए अपने अपनों को मार देते।
06:25महराज की मृत्ति के बाद मदुराई फिर से आंतरिक विवादों से जूजने लगा।
06:40हुजूर, मैं पंडियन समराठ सुन्दर पंडियन की ओर से आपके लिए एक संधेश लेकर आया हूँ।
06:44हमारे समराठ चाहते हैं कि आप उनके शेहर पर छापा मारकर उसे लूट ले।
06:57या खुदा, ये तो कयामत है। एक बाजश्या ने गुलाम को अपना शेहर लूटने का भुक्मों भेचा है।
07:01उजूर, उनके सौतेले भाई वीरा पंड़े ने राज सिंगासन पर अधिकार प्राप्त कर लिया, जिसके कारण हमारे माराज को बहुत आग़ात लगा। इसलिए वे आपकी साहिता चाहते हैं।
07:09बिल्कुल, बिल्कुल बदत करेगे. अगर हम उनकी बदत नहीं करेंगे, तो अमारे मालिक कफूर होने पर लानत है।
07:16यह पांडयन राज वश्चके अंत की शुरुभात था.
07:20अगर हम उनकी बदद नहीं करेंगे
07:22तो हमारे मालिक कफूर होने पर लानत है.
07:27यह पांडियन राजवंश के अन्त की शुरुबात थी.
07:3010 मार्च, विक्रम समबत 1331 को
07:34जुवराज सुन्दर पांडियन के आमन्फण पर
07:37मालिक कफूर ने मदुरे की उर्प प्रस्थान किया
07:41और यह वही सुनेरा अवसर था
07:44जिसकी पतिक्षा दिल्ली सतुनत को अजाने कब से थी.
07:48मालिक कफूर ने कांचीपुरम, रामेश्वरम
07:51और मदुरे जैसे प्राचीन और महान मंद्रियों को लूट लिया.
07:54दक्षन भारत के विनाश
07:57और मदुरे में मुसलिम सतुनत की स्थापना के बाद
08:00वह वपस चला गया.
08:02पर अपने साथ ठेल सारा धन और दो योध्धा
08:08भकका राया और बुक्का राया को गुलाम मना के ले गया.
08:13भकका राया और बुक्का राया?
08:16ये तो होयसाला राजा के सेनापती थे न?
08:19जिन्नोंने विजेनगर सामराज्य की स्थापना की थी.
08:23उन्हें गुलाम बना कर ले गया मलिक कफूर.
08:25केवल गुलाम नहीं
08:27आस्था का मुल्य प्रणों से अधिक होता है लुटेरे.
08:30परंतु तुझ जैसे अधर्मी को ये बात कैसे समझ आएगी?
08:34तो भी ठीक है.
08:36मरने के लिए तयार हो जाओ.
08:38मरना स्विकार है.
08:40परंतु अपना धर्म बदलना नहीं.
08:43हम..
08:45हम धर्म परिवार्थन के लिए तयार हैं.
09:05उसे अधिक ऽग apple लगना है.
09:07सब शो हो.
09:08हम धन परिवातन के लिए तैयार हैं.
09:14दिल्ली पहुँचने के बाद
09:16मली कफूर ने
09:18हक्का राय और बुक्का राया को
09:20सुल्तान अरोधिन खिल्जी के सेवा में लगा दिया.
09:24ये वही समय था
09:26जब दक्षल में
09:28सुल्तान अरोधिन खिल्जी के खिलाब
09:31प्रतिशोद की आग भड़तने लगी थी.
09:34महाराज, हमें शीगर ही कुछ करना होगा.
09:37अन्यता तमिल्कम की ये प्राचीन भूमी
09:40इसलामी शासन के अधिन हो जाएगी.
09:43पिलोन के चीरा समराथ
09:45रभी वर्मा कुलशेखरा
09:47महाराजा मार पांडियन के दामाग
09:49और उनके जागिरधार भी थे.
09:51मेरे दोनों बेहनोईयोंने आपस में लड़कर
09:53प्राचीन पांडिया समराजय के विनाश को आमंतरन दिया है.
09:58अब हम मदुराई के आओर प्रस्तान करेंगे.
10:00और सल्तनत को नश्ट कर
10:03चेरा और सामराजयों को पुर्ण स्थापित करेंगे.
10:06कमिलकबर कभी चेरा और चोला ने शासिन किया
10:09और कभी पांडिया ने.
10:10परण्तु शत्रों इस बार बाहर से आये थे.
10:13इस सामराज का विनाश लेकर.
10:15विनाश लेकर?
10:16हाँ.
10:17इन शत्रों ने इस सामराज को और उसके भवे मंदरों को नश्ट कर दिया.
10:22सब कुछ तहस नहस कर दिया.
10:24इस विकट परिस्थिती को देख कर
10:26पांडिया समराज के दामाचिरा राजा ने
10:29मदुराई को वापस चीतने का निर्णे लिया.
10:39गडी वर्माँ!
10:40जै, जै, जै, जै, जै.
10:43गडी वर्माँ.
10:44जाए, जै, जै, जै, जै.
10:46भग्वान श्रीप पदमनात का आशिर्वाद से
10:49मैंने तमिल कंब की भुमि से
10:52मिदेशो के अस्तित्लों को समाप्त कर दिया.
10:55हमने मुदुराई सल्तनत को नष्ट कर दिया.
10:59कितनी खुशी की बात है, गुरूजी.
11:01महाराज कुलशेकरा अपने प्रयास में सफल हुए.
11:04हाँ, सफलता तो मिली.
11:06लेकिन सफलता जब चरम सीमा पर बहुंची
11:08तो अनकी मृत्ति हो गई.
11:10कैसे?
11:11प्राकरतिक रूब से.
11:13उसके बाद क्या हुआ, गुरूजी?
11:14उसके बाद दक्षिन भारत में अशानती चा गई.
11:17राज में अवस्था पहल गई.
11:19और फिर से सल्तनत के विनाशकारी केदम
11:22इस धर्ती के ओर बढ़ने लगे.
11:24दूसरी ओर मलिक कफूर के लिए भी परशानिया बढ़ने लगी.
11:27सुल्तान खेल जी के मृत्ति हो चुकी थी.
11:30मलिक कफूर ने अलाउदिन खेल जी के नबालिक बिटे को
11:32सुल्तान बना दिया था.
11:34और उसके नाम पर दिली में शासन करने का प्रयास कर रहा था.
11:38पर कुछ समय बाद तुर्की सैनिकों ने
11:40मलिक कफूर की हात्या कर दिए.
11:43और ये सब सर का लाब उठाकर
11:45हक्कर आया, बुक्कर आया वहाँ से भाग गयें.
11:50ठैरिये.
11:52हमें गुरु विद्या राइने शंकाचारे जी से मिलना है.
11:55आप अंदर नहीं जा सकते.
11:56हमें उनसे मिलने दीजिए.
11:58हमारा उनसे मिलना बहुत आवश्यक है.
12:00नहीं, रुख जाओ.
12:01गुरु जी की अनूमती के बिना तुम अंदर नहीं जा सकते.
12:03भरोसा करो, हम.
12:04हम आपटे भरोसा नहीं कर सकते.
12:26गुरु जी, हम यंदु धर्म में परिवर्तित होना चाहते हैं.
12:30पर तुम अपना धर्म के लिए क्यों बदलना चाहते हो?
12:33इश्वर एक है, सभी धर्मे एक हैं.
12:37पस तुम अपने धर्म का पालन सथी ढंग से करो.
12:40फिर तुम उसी इश्वर तक पहुचोगे,
12:57उठो.
13:01आप सत्य कह रहे हैं,
13:03किन्टु यदि कोई बल्पूर्वक आपसे आपका धर्म परिवर्तित करने पर विवस्थ करें,
13:07तो क्या आप उस धर्म का हिरदय से पालन कर पाएंगे?
13:11नहीं, क्योंकि विवस्था को हिरदय कभी स्विकार नहीं करता.
13:16वैसे, किसे नहीं किया है ये गोर अपराद?
13:18मलिक कफूर ने.
13:20उस दोष्ट ने हमसे हमारा धर्म परिवर्तित कराया.
13:24हम वापिस से अपना मूल धर्म अपनाना चाहते हैं.
13:28गुरुजी, आप ही हमारी साहेता कर सकते हैं.
13:31विश्वास कीजिये,
13:32हम हिंदुई जन में थे,
13:33हिंदुई बनकर मरना चाहते हैं.
13:34मेरा नाम भतना रया है
13:36और मेरे भाई का नाम बुकका रया है.
13:38हम वापिस हिंदु धर्म अपनाने के बाद
13:40उन सबी हिंदुईं की मदल कराँचाते हैं,
13:42जीने उस मलिक कफूर ने धर्म बदलने पर विवश कर दिया है।
13:51स्वाहा...
13:55स्वाहा...
13:59स्वाहा...
14:01अब तुम लोग रिशी गंधा जाओ
14:04जो तोंगे भत्रा नदी के तट पर है
14:07जिसे लोग आज हम्पी के नाम से जानते हैं
14:10जो हनुमान जी का जन्मस्थान भी माना जाता है
14:14वहाँ जाकर एक नगर बसाओ
14:17ऐसा नगर जहां लोग उसे धर्म की विजय की नगरी माने
14:23और उसका नाम हो विजय नगर
14:27इससे मुझे बहुत बड़ी सीक मिली है गुरुजी
14:30मैं भी अपना सामराज्य स्थापित करूँगा
14:34स्वराज के लिए जीवूँगा और स्वराज के लिए मरूँगा
14:39क्योंकि देश प्रेम से बड़ा कोई धर्म नहीं
14:43और मात्र भुमी से अधिक प्रिय प्रान भी नहीं
14:47हमें गर्व है आपकी सोच पर
14:49आगे की कहानी बताईए ना गुरुजी
15:19उन्होंने वराह को सामराज के कुल देवता के रूप में अपनाया
15:24अगले 3.5 सतापतियों तक विजेनगर एक अभूत पुरु शक्ति और समर्धी की ओर बढ़ता रहा
15:31कई विदेशी यात्रियों ने ये भी दावा किया था
15:33कि विजेनगर उस समय विश्व का सबसे बड़ा और समर्ध शहर था
15:38और इसके राजा कृषन देवराय विश्व के सबसे अधिक धनी राजा थे
15:43जय जय देवराय
15:50महाराज को फारसी राजा के राजदूत अब्दूल रज्जाक सामरगंडी का प्रणाम
15:57मैं खुद को कुछ किस्मत समझता हूँ
16:00कि मुझे इस विशाल विजेनगर जैसे सामराज्य को देखने का मौका मिला
16:05विजेनगर जैसा देश मैंने आज तक नहीं दिखा पूरी दुनिया में
16:10अब्दूल रज्जाक ने लिखा था कि विजेनगर की वास्तु कला अधबुत थी
16:24या खुदा शेहर है या जननत हर जगह गुलाब के फूल बिक रहे हैं
16:30जैसे गुलाब की बिना ये रही नहीं सकते
16:39हर बिरादरी के वैपारी हर तरह का रोजगार पर सबे एक साथ एक के बाद एक दुकाने
16:47जैसे कभी न खत्म होने वाली कतार में खडियों कर खुशिया बाट रही हो
16:52जो हरी खुले आम मोती माने पन्ना और हीरे जवारात बेच रहे हैं
16:57मानों ये कीमती रतन नहीं बलकी फल सबजी हो
17:04चाहे राजा के महल में तराशेवे पत्थरों की चमक हो या हीरे मोतियों से रोशन यहां का बाजार
17:11सच है ऐसा नजारा तो सिर्फ विजैनगर में ही मिल सकता है
17:17विजैनगर सामराज समय के साथ और अधिक सम्रद्धी और शक्तिशाली बनता जा रहा था
17:241500 के दशक में पुर्टगाली भारत तक पहुंच चुके थे और इस समय वो गुवा तक ही सीमित थे
17:34इन पुर्टगालियों को विजैनगर के सिम्रद्धी के बारे में बहुत सारी जानकारिया मिल नहीं थी
17:41पुर्टगाली विजैनगर के वैभव से इतने आकरशित हो गए कि विक्रम संवद 1520 में डोमीनो पेस के नेटरत्व में पुर्टगाली वियापारियों का एक प्रतिनिदी मंडल विजैनगर के सबसे प्रसित्थ समराथ कृष्ण देवराई के दरबार में पहुंचा
17:57विजैनगर समराथ कृष्ण देवराई एक सफल सेनपती बीते जो युद में अपने सेनको कनित्रित्व कुण किये करते थे और विजैनगर इस मानमहोक शहर की महिमा का वर्ण तो मैं ही करने ही नहीं चाहता क्योंकि मेरे पातिक सोचेंगे कि मैं विजैनगर की कुपसूत
18:27की दारिया अव विश्वस निया है यूरुप का कोई भी शहर विजैनगर के वेबुक की बराबरी नहीं कर सकता पर मैं इतना जरूर लिखना चाहूंगा कि विजैनगर दुन्य के सबसे आतिक परीपूर्ण शहर है
18:57महराज क्रिशन देव राय एक विद्वान होने के साथ साथ संगीत कार नाटक कार और कवी भी थे
19:14और वो अपने दरबार में संस्क्रित तेलुगु, कन्नर और तमिल साहित्यों को अच्यादिक महत्व देते थे है ना गुरुजी
19:23हाँ महराज क्रिशन देव राय ने भारती शास्त्री संगीत नाटक और मृत्य को पुनर जीवित किया था आश्ट दिग्गज यानी आट महान कवी उनके दरबार को सुशोबहित करते थे
19:37पत्ति नाली रामा क्रिशन उन में से एक थे जिनकी बुद्धिमानी के किस्से तो हम सब ने सुने
19:43विक्रम सम्वत 1529 में महाराजा क्रिशन देव राय की मृत्य हो गई उनकी मृत्य के बाद विजेनगर में उथल पुथल मच गई कुछ वर्ष तक बहुत अशान्ती चाही रही
19:55जब तक क्रिशन देव आय जीवत रहे तब तक ये पुर्टगाली विजेनगर का सामना करने का साहस नहीं चुटा पाए परन्तु उनकी मृत्य के बाद पुर्टगालियों ने विजेनगर के सम्रिद्ध मंदरों को लूटने की योजना बना ली उनका पहला लक्ष था चि
20:26पर खुद राज्य पतिनिधी के रूप में शासन करने लगे
20:35हमें तुर्की से तोप और अरब से खोड़े मंगवाने की आवशक्ता है ता के हम अपने आसपास के सभी शत्र सलतनोतों को नस्ट कर सके
20:48विक्रम संबत 1542 में समराट अचुद देव राय की मृत्य के बाद विजेनेगर सामराच में फिर से आंतरिक राजनितिक मत भेथ चुड़ गया
20:59और इस अफसर का लाब उठाते वे वैसरे मार्टिम अफोजा डिसूजा ने किनरा तट पर पुरतुगाली शक्ति का विस्तार करने का निर्ना लिया
21:11सबसे पहले हम राणी अबाकर के राजे उलाव पर कबजा करेंगे
21:20फिर राणी शेनाद भरावी देवी के गुर सपा सम्राचपर उसके बाद हम पुर्वी ताती ओर बरेंगे
21:30लेकिन सर इनके सामराजे में विजेनगर की चत्र चाया है
21:35विजेनगर सामराजे अपने मशूर, किले, यूठ तक्नीक और तोपकानों के लिए मशूर है
21:41इसलिए विजेनगर से ठकराना आसान नहीं है सर और पाईलापूर पर भी हमला करना आसान नहीं
21:48क्योंकि वहाँ वेलोर के किले में विजेनगर के सभी सैनिक थैनात है
21:54मुझे तो लगता है हमला करने का ये सही मोका नहीं है सर
21:58मोका किसी चाहिए आफिसर मुझे तो अस मोके कर फाइदा उठाना है
22:05जो विजेनगर में चेल रही आपसे रजनितिक लदाई ले कराई है
22:15महाराज हमारी रक्षा कीजिए अब हमारा गोआ में रहना बहुत कठीन हो रहा है
22:20पूर्तगालियों ने अत्याचार की सारी हदे पार कर दिये है माहराज
22:24आप सभी लोग निश्यंत रहे उन अत्याचारी पुर्टगालियों को दन्ड अवश्य दिया जायेगा
22:35महाराज आलिया रामाराय ने उने आश्वाशन तो दे दिया
22:39परंत उस समय गुआ एक प्रमुख बंदरगा था। यहां से उन्हें अपने घोड़ सवारों के लिए घोड़े मिलते थे। और सल्पनत से लड़ने के लिए वो घोड़ सवार सेना पर निर्भर थे।
22:54समराज आलिया रामा राय का हाम पूरे आदर के साथ यह पार उनको देना चाहते है। आप बस यह पार उनको पच्चाचीजीजीगा और उनको कहाईजीगा पीजब्पिर के खिलाफ उनके युद में हम उनके साथ है।
23:10तो क्या पूर्टगालियों ने महाराज आलिया रामा राय का साथ दिया।
23:13नहीं, बल्कि पूर्टगालियों ने उनके साथ विश्वास घात किया।
23:21विक्रम संबद 1551 के यथ में पूर्टगालियों ने अपने घोड़ सवार सेना को रोक लिया।
23:28महाराज आलिया रामा राय समझ गए कि पूर्टगालियों पे भरोसा नहीं किया जा सकता।
23:33इसलिए उन्होंने नए भीजापुर सुल्टान अली आदिल शाह के साथ एक संधी कर ली।
23:39सुल्टान हमें पूर्टगालियों के विरुद एक जुट होनी की आवशक्ता है ताकि हम उन्हें मुदोड जवाब दे सकें।
23:57वो हमारे बीच के मदभेत को अस्तर बना कर हमारे ही विरुद प्रयोब करना चाहते हैं।
24:05आप हमारी तरफ से बेफिकर हैं आप पूर्टगालियों को उनके किये की सजा दें हमारा वादा है हमारी तरफ से किसी भी तरह का खलल पैता नहीं होगा।
24:17फिर पूर्टगालियों ने निर्दोष जंता पर आकमल करके आलिया रामा राह को उकसाने का प्रयास किया।
24:48एक एक को पकड़ लो।
24:58जो बात नहीं मैंने उनको गलिम बातो।
25:07तुम सब हमारे गुलाम हो।
25:11चलो सीधे तरह से।
25:15चलो। चलो। चलो।
25:19महाराज आलिया रामा राह इस आकमल का उतर दे सकते थे पर उन्होंने नहीं दिया।
25:27क्यों नहीं दिया गुरुजी?
25:35क्योंकि उन्हें ये समझ में आ चुका था कि पूर्टगालियों द्वारा ये अकारम आकरमन सिर्फ एक छलावा था।
25:42पूर्टगालियऋं का लक्ष कुछ और था, इस से कही बडा और खतरनाख।
25:47इस से एक और सीक िली गुरुजी के एक शाषक को केवल वो नहीं देखना चाहिए
25:54जो शत्रू दिखाना चाहता है बलाकि वो भी देखना चाहिए जो शत्रू छिपाना चाहता है
26:01फलसी देड़ेट्स!
26:03फलसी देड़ेट्स!
26:09हमारी सेना सबसे पहले मैला पुछाएगी.
26:13फिर काची बुरम के मंदिरों को तोड़ेगी.
26:16उसके बाद धिरुपति.
26:18धिरुपति मंदिर को लूटने के बाद ही हम चैन की सास लेंगे.
26:23लेकिन विजैनागर चैन से नहीं बैठेगा सर.
26:26उनके मंदिरों को बरबाद करेंगे.
26:29उससे पहले वो हमें बरबाद कर देंगे.
26:31क्योंके हमारे मुकाबले वो बहुत आधिक ताकत्वार है.
26:35तो हम अपनी ताकत बढ़ाएंगे.
26:37वो कैसे सर?
26:38बीज़यपुर सुल्थाल अलिया दिल्शाको विजैनागर के किलाफ बढ़काकार.
26:46ताकि बीज़यपुर और विजैनागर के बीच लड़ाय हो.
26:51ये दोनों एक दूसरे को बरबाद करेंगे.
26:55और हम इनके देश को.
26:58तो ये भरकाने का नेक काम शुरू कर देना चाहिए सर.
27:02शुरू हो चुका है आफिसर.
27:05हमावे लोगों ने मेंगलॉर्ड में लोगों को उकसाना शुरू कर दिया है.
27:10मज़े की बात तो ये है कि आलिया रामा राय सोचेंगे कि हम केन्रा तक पर हमला करने जा रहे हैं.
27:18पर हम उल्टी दिशा में हमला करेंगे.
27:21फूर्वी थादपार.
27:23विजैनकर की हार के नाम.
27:25धेरुपती और मैलापुर मंदेर की बरबादी के नाम.
27:29बहुत अच्छे देवा.
27:35शाबाश, बहुत अच्छे देवा.
27:40अब उन पुर्टगाली समुंद्री लुटेरों को समझ में आएगा कि विजैनकर का साम्ला करना उतना ही कठिन है जितना समुंद्र को मापना.
27:50पुर्टगालियों के खिलाफ रणनीती बनाने के लिए महाराज आलिया रामारायने अपने सभी जागिरदा राजाओं को महल में बलाया.
27:58केलाडी दोड़ा संकाना नायक, आप 20,000 सेनिक, 1000 घोड़े और 50 हातियों के साथ हमारी सेना का नेतरित्व करेंगे.
28:09और दुआ की माटी से एक एक अत्याचारी पुर्टगाली को खदेड़ भागाना है.
28:13वच्य महाराज, मैं वचन देता हूँ, मैं उस गमंडी गुवर्नल जनरल को पेड़ियों में जगड कर आपके इसमक्ष लाऊँगा.
28:20और इसके साथ साथ पुर्टगाली के जहाजों को भी रोकना होगा केलाडी नायक.
28:26जी महाराज.
28:27अध्यान रही कि वो अपने सेहरी को या जहाजों को अपने लोगों के साहिता के लिए भीजने नपाएं.
28:33और मायालापुर के निकट संथोम के पुर्टगाली शेत्र तर मुक्य सेना का लेतरित्व हम स्वाइम करेंगे.
28:41और बीज़ापुर सुल्टान?
28:43सुल्टान ने हमें वच्छन दिया है कि वो हमें किसी प्रकार से बातित नहीं करेंगे.
28:48हदर महादेव! हदर महादेव! हदर महादेव! हदर महादेव!
28:59एक ओर किलाडी नायक के निज़त में पुर्टगालीयों पर गुआ में आकरमा होगा.
29:04और दूसरी ओर आलिया रामाराय ने मायलापुर से आकरमा किया.
29:09दोनों ओर से हुए इस आकरमा में पुर्टगालीयों को पराजय का मुझ दिखाया.
29:15हम उससे नहीं छोड़ेंगे. विजयनगर संबराज के पास एक लाख सैनेख है.
29:21और हमारे पास केवल तीन हजार. और आप उनसे लड़नी की पाते कर रहे हैं.
29:26डर्पो की तरह मैदान छोड़कर भागने से तो अच्छा है कि शाहीद हो जाए.
29:31हम अपने राजा के लिए आकरी सांस तक लाड़ेंगे.
29:36मुझे परौसा है.
29:39अपने राजा पर मैं गोवा से दोपों और सैनिकों से भरे हुए जहास ज़र भैजेंगे.
29:47क्या आम इतना नहीं जानते कि गोवा बरबाद हो चुका है?
29:52मैलापूर से हमारी सेना तेरुपाती की ओर बढ़ रही है.
30:00अब हम कांजी पुराम के मंदिरों को थोड़ेंगे.
30:04मैलापूर के प्राचीन मंदिरों को बरबाद कर देंगे.
30:09सर, विजेनेकर की सेना संधोम तक पहुच चुकी है.
30:39विजेनेकर की सेना संधोम तक पहुच चुकी है.
31:10तुमने संगर्ष तो अच्छा किया.
31:13पर यदी मंचा सही न हो तो संगर्ष बेर्ट जा था.
31:18इससे पहले कि हमारे 20,000 सैनिक तुमारी मंचा और तुम्हे मिट्टी में मिला दें
31:24आत्मस्मर्पन करते हैं.
31:26मैलापूर के प्राचीन मंदिरों को थोड़ेंगे.
31:28हमारे पास आत्मस्मर्पन के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
31:58महाराज, आपके सम्मान में हमारी तरफ से एक चोटी सी भैट है.
32:10हम बादए करते हैं कि राष्ट्रे या धर्म के नाम पर हम किसी को परिशान नहीं करेंगे. और हमसे जो भी गलती हुई हैं, हमें माफ कर दीजे.
32:31कुछ गलतियां ऐसी होती हैं, जिसे ख्षमा करना अपने आप में बहुत बड़ी गलती होती है.
32:40पर फिर भी, मैं आपको ख्षमा कर सकता हूँ. पर उक्षति अभियाई का क्या? जो आप लोगों ने अत्याचार करने के कारण, हमने अपने सैनिकों के स्थान अंत्रित करने में किया हैं.
32:52हम सारे शर्तों की पूर्ति करेंगे माराज. ये 4000 क्रुषोडोज की राशी से तो हमारे घोड़े के नाल भी नहीं आईगी. तो आप ही बताये माराज, हमें कितने का भुक्तान करना परेगा? सोने के एक लाग पगोडाज.
33:06आप चो क्यों गयें? आप सब ने हमें जितना लूटा है, ये तो इसका एक आंश भी नहीं है. यकीन मानिये माराज, जो भी लूटा था, उससे हमारे रईसो और नेताओं ने छेन कर आपस में बात लिया. हम तो आम वेपारी हैं, हम तो कैवल 50,000 क्रुषोडोज का ही भ�
33:37हम आपको कशमा करते हैं
33:39और आदेश देते हैं
33:41कि आपने हमारी आम जन्ता से जो कुछ भी लूटा है
33:45उससे शीगरती शीगर वापस लौटा दिया जाए.
33:48जी माराज.
34:06मुझे माफ कर दिजिये महाराज.
34:09हमने आपको यहाँ वेपार करने की अनुमति दी.
34:13और आप हमारे ही लोगों पर रत्यचार करने लगे.
34:16हमने आपको शरन देकर मानलता का धरनिभाया.
34:20और आप हमारे ही मंदिलों को नस्ट करने लगे.
34:23हमने आपको शरन देकर मानलता का धरनिभाया.
34:27और आप हमारे ही मंदिलों को नस्ट करने लगे.
34:31हम यह गालती कभी नहीं दोराइंगे महाराज.
34:35और हम मुहावसा पितेने के लिए तयार हैं महाराज.
34:42बस एक बार माफ कर दिजिये.
34:48टाली कोटा के लड़ाई से पहले यानि विजैनेगर के पतं तक
34:54फुतुगाल्यों ने विजैनेगर सामराज के एक भी जागिरदार के खिलाफ हमला नहीं किया.
35:02महाराज आलिया रामाराय को लगा कि उन्होंने ये लड़ाई चीत लिये.
35:06कि उन्होंने निजाम शाह को माठ ड़ाला है.
35:09लेकिन सच्चाई ये थी किछाइनी भाईओं ने आलिया रामाराय के साथ इश्वास खात किया था.
35:17उन्होंने निजाम शाह के साथ गुप्त गर्बंधन कर लिया था.
35:21टीजिया रामा राय के साथ इश्वास खात की आ था.
35:24उन्होंने निजाम शाह के साथ
35:26गिप्ट करबंधान कर लिया था.
35:28हमने आदिल शाह, निजाम शाह
35:31और उनके साथ्यूम को मार घिरा.
35:33विजयनगर एक बार थिर से विजय हो गया है.
35:37हमारा विजैनगर वो आपराजित सामराज है
35:40जो 300 वर्षों में कोई भी जुद्ध नहीं आरा.
35:44हर हर महादे!
35:46हर हर महादे!
35:53इतने महान ते महाराज आलिया रामाराय
35:56फिर भी शत्रों को मित्र समझने की बूल कैसे कर बैटे?
35:59जब हिदे किसी को अपना मान लेता है
36:04तब पुद्धी भी उस पर संदेव नहीं करती.
36:09गिलानी बंधू बड़ी चलाकी से.
36:11महाराजा आलिया रामाराय का दिल जीच चुके थे.
36:15और एक बात थी
36:17जो विजैनगर सीना के लिए सही साबित नहीं वी.
36:21जो विजैनगर सीना के लिए सही साबित नहीं वी.
36:25कौन सी बात, गुरू जी?
36:28विजैनगर के सेनेक बास की धनुश का उपयोग करते थे.
36:32क्योंकि बास आसानी से उपलब्ब होदा था.
36:35और इसे बनाना भी आसान था.
36:37और इस समय तर मुस्लिम सेनाव ने
36:39समग्र धनुश का उपयोग करना ये शुरू कर दिया था.
36:42जबकि समग्र धनुश का अविशकार
36:45हमारे देश में हुआ था.
36:47ये तो बड़े गर्व की बात है, गुरू जी.
36:50फिर विजैनगर के सेनेकों ने
36:52समग्र धनुश का उपयोग क्यों नहीं किया?
36:54क्योंकि इसे बनाना एक कठिन प्रक्रिया थी.
36:58और उन्होंने आसान रास्ता चुना.
37:01और ये आसान रास्ता
37:03ताली कोटा जैसे एतिहासिक यद्ध में
37:06असफल्वता का एक कारण बना.
37:09समझ गया, गुरू जी.
37:11शत्रु पर भरूसा करना पराजय का कारण होता है.
37:14आसान रास्ते कठिनाईयों की ओर ले जा सकते हैं.
37:37विश्वास घार.
37:40ये विश्वास घार था.
37:44परन्तों हम हार मारने वाले नहीं है.
37:47हमें मिलतियों का कोई भाई नहीं है.
37:50जाओ.
37:51जाकर उस धूर्त
37:54आदिल शाँ, निजाम शाँ का सर काट कर हमारे समक्ष लाओ.
37:58और गिलानी भाईयों को भी गशिट कर हमारे पास लाओ.
38:01हमें कुछ करना होगा, वर्ना हम सब खत्म हो जाएँगे.
38:05जाओ.
38:07जाओ.
38:32क्या मुझे तांबे के सिक्यों मिल सकते हैं?
38:35उम्हें इस वक्त सिक्यों की पढ़ी हैं?
38:40हाँ.
38:42क्योंकि ये सिक्यों ही हमें फते दिला सकते हैं.
38:48और मुझे कुछ हजार सिक्यों चाहिए.
39:01जाएँगे.
39:31जाएँगे.
40:01जाएँगे.
40:31जाएँगे.
40:32जाएँगे.
40:33जाएँगे.
40:34जाएँगे.
40:35जाएँगे.
40:36जाएँगे.
40:37जाएँगे.
40:38जाएँगे.
40:39जाएँगे.
40:40जाएँगे.
40:41जाएँगे.
40:42जाएँगे.
40:43जाएँगे.
40:44जाएँगे.
40:45जाएँगे.
40:46जाएँगे.
40:47जाएँगे.
40:48In all previous verses
40:52Rafi ud-din Shirazi has described
40:56the last moments of Alia Ramarai's life.
40:59Rafi ud-din Shirazi witnessed this battle.
41:13Roomila Khan rode on a huge elephant
41:17उन्हें आलिया रामा राय को
41:20अपने सूर्थ उठा का जमीन में पटक दिया
41:24और अपने पयरों से उन्हें कुछल दिया.
41:30तलपत राय में
41:31अलिया रामा राय को बचाने का पूरा प्रयास किए.
41:35परम्बुरुमी कान ने
41:36तलपत्राय को भी मार दिया।
42:07मार डालो इसे।
42:08अगर आदिल्शा आ जाएंगे
42:10तो इसे मारने नहीं देंगे
42:12क्योंकि वो इस बोड़े राजा को
42:14अपना वालिद मानते हैं।
42:16इसलिए बिना वक्त गवाए
42:18इसका सर कलंप कर दो।
42:32सुल्थानों ने वालिद कर दो
42:35सुल्थानों ने विजेनिदर जैसे महान सामराज को
42:39चला कर खाक कर दिया।
42:41ये सुन्दर और सम्रिदनगर
42:43छे महने तक चलता रहा।
42:45अगले एक वर्ष के लिए
42:47महाराजा आलिया रामा रायक के सर को
42:50नगर के प्रवेश द्वार के सामने
42:54प्रधर्शित किया गया।
42:57और अब पूर्टिगाली भी
42:59अपने पुराने और गलत रास्ते पर आ चुके थे।
43:04टाली कोटा के इस युद्ध ने
43:06हिंदु सामराज के वैभपूर्ण
43:09300 वर्षों के इतिहास को समाप्त कर दिया।
43:13आपको विजयनगर के इस कहानी के सुनाने के पीछे
43:15मेरे एक मकसद था, राजकुमार।
43:19जानता हूं, गुरुजी.
43:22आप मुझे जीवन की सबसे बड़ी सीख देना चाते थे.
43:26हाँ.
43:27मैंने बहुत कुछ सीखा, गुरुजी.
43:30ये भी सीखा कि हमें तकनीक को
43:32कभी नजरनदाज नहीं करना चाहिए और
43:35कभी भी विदेशियो पर निर्भर नहीं रहना चाहिए,
43:38कभी भी किसी पर आख मुंकर भरोषा नहीं करना चाहिए
43:42और आवशक्ता से अधिक आत्मविश्वास भी नहीं होना चाहिए.
43:45आख मुनकर भरोसा नहीं करना चाहिए.
43:48और आवशक्ता से अधिक आत्मविश्वास भी नहीं होना चाहिए.
43:52विल्कुल सही.
43:53और हाँ, ये भी याद रखेगा.
43:57इस समय मुगल विश्व का सबसे समरिद
44:00और सबसे शक्ति साली सामराच बन चुका है.
44:03चिन्ता मत कीजिए, गुरुजी.
44:05मैं उत्तम रननीती का परियोक कर
44:07शत्रु को अपनी मात्र भूमी से विलुप्त करदूँगा.
44:12सैनिक.
44:33वीरुद्र मरायलु.
44:40मुझे एहमदनगर सुल्तान की मोठ चाहिए.
44:45और उसे मारेंगे आप
44:47महाराज आलिया रामा राय की मोठ का पदला लेने के लिए
44:54ये मेरा पहला कदम होगा.
44:58और मैंने निर्णे ले लिया है
45:01कि मैं अपने राजे को फिर से इस्तापित करूँगा.
45:13मुझे विश्वास है, पुत्र
45:15कि आप एक बार फिर
45:18विजेनगर का गौरव वापस लाएगे.
45:21और स्वराज की रोशनी से
45:24पूरे सामराज को राशन कर देंगे.
45:31वेंकटपति देवराय ने ऐसे कई प्रदेशों पर
45:35पुनह अधिकार प्राप्त किया
45:37जिन पर सुल्टानों ने कभजा कर लिया था.
45:42वे सन 1585 में
45:46विजेनगर के समराज बनें.
45:49हला कि इस समय तक
45:52विजेनगर की प्रसिध ही कम हो चुकी थी.
45:56दूसरी तरब रुद्र मारायलू ने
46:00एहमदनगर सुल्टान की हत्या कर दी.
46:03उसके बाद पाँचों मुस्लिम सल्टनतों ने
46:07आपस में ही लड़कर अपना विनाश कर लिया.
46:12वेंकटपति देवराय ने अपनी सूज़ बूज़ से
46:18सभी विद्रोईयों कु संगठित कर दिया.
46:22और विजैनगर को एक बार फिर सम्रिद्ध वनाया.
46:28उनोंने सन सोलह सो चौवदह तक
46:32बड़ी कुशलता के साथ शासन किया.
46:35दुखा देये रहा कि विजैनगर को बिना उत्तरादेकारि दिये
46:40उनकी अचानक मृत्ति हो गई.
46:44जिससे सामराज्य में ग्रह यद्ध चिड़ गया.
46:49अगले पांच वर्षों में, यनी सोलह सो बीस तक
46:53विजैनगर सामराज्य और इसके जागिरदा राजों ने कई यद्ध लड़ी.
47:00तुरभाग्य वश्य, ये सम्रिद्ध सामराज्य हमेशा के लिए पराजित हो गया.