अक्सर हम शिवजी की पूजा, कृष्ण की पूजा करते हैं। लेकिन पूजा पाठ ओर आध्यात्मिक ज्ञान में क्या फर्क है यह नहीं समझ पाते? आइए सही समज प्राप्त करें आत्मज्ञानी पूज्यश्री दीपकभाई से।
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00:00पूजा पाठ, शिव जी की पूजा, कृशन भगवान की पूजा
00:05और आध्यातमेक ज्यान या उसका ज्यान होना इसमें अंतर क्या है?
00:10पूजा पाठ करना पड़ता है क्या?
00:13टा से?
00:14हाँ, करना पड़ता है, क्रिया है, धर्म में बताया गया है,
00:20वो धर्म में बताया गया है, वो हम फॉलौ करते हैं, उससे पुण्य मिलेंगे, तो भी हमारी चीत की एकागर्ता होनी चाहिए,
00:28पूझा करने के टाइम, वो नौव पचीस हो गई, दस मीट बाकी है, चलो जली जली से, तो पुण्य का फाइदा भी नहीं मिलेंगा, तो पुण्य एकागर्ता से मिलेंगे,
00:38और वो धर्म बोला जाता है, क्योंकि उतना टाइम हम बगवान का नाम लिया, और अध्यात्म याने अवीनाशी आत्मा की सन्मुख होना, अवीनाशी आत्मा का सख्षारकार पाना,
00:51और खोद राम चंडर जी, शीव भगवान, कृष्ण भगवान, कृष्ण भगवान कभी नहीं बोले कि मैं हूं कृष्ण, आर्जुन को बोले कि आर्जुन तु जीसे कृष्ण कहेता है, वो मैं नहीं, मुझे तत्व सरुप से पैचार, तो अवीनाशी आत्मा, वो कृष
01:21जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जागरती जाग
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