क्या आत्मा की पुकार होती है? क्या यह बात सच है कि आत्मा की पुकार सुनने से हमें अध्यात्म का ऊँचा पद प्राप्त हो सकता है? आत्मा की पुकार कब और कैसे सुनाई देगी?
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00:00मैंने किताबों में पढ़ा है कि आत्मा की पुकार सूनने से लोगों को ऊजय ऊज्य भव लिए मिलते हैं
00:08तो मुझे आत्मा की पुकार कब और कैसे सुनायिजेगी ?
00:12आत्मा की तो पुकार नहीं रहीत started ४ुकार में नहीं रहीत है
00:13अगर रदई, रदई में, रदई वाला, बुद्धी और रदई, दो रहता है मनुष्यों को,
00:20दो प्रकार के ज्ञान उत्पन होते हैं, तो रदई से जाना चाहिए।
00:24रदई याने के मेरा फाइदा सोचने का नहीं,
00:27सब को कैसा फाइदा मिले, उस में मुझे हेल्प करनी है, तो रदई का पार्ठ हो गया।
00:32और बुद्धी क्या है, उसको जो होने हो, मरे जिये, मुझे लेना देना नहीं, मुझे मेरा फाइदा मिलना चाहिए।
00:37मम्मी को दुख होता है तो होने दो, मुझे मेरा सुख मिलना ही चाहिए।
00:40वो बुद्धी की डखल आ गए।
00:42तो बुद्धी की सुनोगे,
00:44तो दुखी भी होगे, दुश्रे को भी दुखी करोगे।
00:47रदय की सुने करे, नहीं मेरे जी,
00:49मुझे, ऐसे मैं गुषा किस्से के ऊपर करूं।
00:52तो मेरे ऊपर कोई करे, तो मुझे दुख ल Hof लगता है
00:54तो मैं किस्से के ऊपर नहीं करना जाये।
00:56वो रदय की बात ہے।
00:57रदय से चलो गे,
00:58आत्मा की पुका नहीं,
01:00रदई का सुनके आगे बढ़ोगे, उसको सूज जाओ बोलते हैं,
01:02सूज बोलते हैं, रदई बोलते हैं,
01:04सबका हित सोचना, वो रदई की बात है,
01:08और खुद के स्वार्थ, वो स्वार्थ बुद्धिया नहीं,
01:11बुद्धि की बात हो गई,
01:13सबके लिए सोचो कि किसी को दूख नहीं हो जाए, इससे विवार करो,
01:17तो फिर आपकी तरक्की होते ही जाए,
01:19उच्छा बहाव तो उच्छा पद मिलेगा,
01:21कोई हमें चीटिंग करके,
01:23अपमान किया, कोई विश्वास तोड़ दिया,
01:26कोई अक्षे पाप दिया,
01:28तोड़ दिया, कोई अक्षे पाप दिया,
01:30तो भी हम समता बाह में रहे हैं,
01:32तो हमारा उच्छा पद आते जाएगा,
01:34समझ में आया ना आपको?
01:35जी.
01:36हाँ.
01:37हाँ.
01:38हाँ.
01:39हाँ.
01:40हाँ.
01:41हाँ.
01:42हाँ.
01:43हाँ.
01:44हाँ.
01:45हाँ.
01:46हाँ.