Super yodha episode 1684 or 1685

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Transcript
00:00गुड़ मौर्णिंग एब्रिवान
00:02वैल्कुम तु मैं चैनल कुमार्स बुक सेल्प
00:04जहांपे मैं पोस्ट करता हूँ बुक सम्मरीज
00:06नौबल सम्मरीज
00:08और एक्स्प्लिनेशन वीडियोज
00:10और साथ इससाथ कई सारी लोंगी स्टोरीज भी
00:12अपने ब्रह्मान्द के रक्षक बिराज का
00:14जिसमें हम देखेंगे
00:16हमारा अपना बिराज
00:18डेसोलेट होल में रखी गई
00:20चार सबसे चादा टाकटवर टकनीकों में से
00:22जो सबसे पहली टकनीक है
00:24उसे सीखने में काम्याब होता है या नहीं
00:26या उसे कुछ नुकसान होता है इस कारिय में
00:28चलिए बिना किसी देरी के
00:30कहानी के सुरुवाद करते हैं
00:32चैप्तर 91 हुआंग
00:34विराज काली पत्थर की तक्ती के सामने
00:36शांति पूर्वक बैठा हुआ था
00:38उसकी आखें कसकर बंद थी
00:40और उसके पूरे शरीर में सितारा शक्ती की लहरेण धीरे धीरे शांत हो रही थी
00:44थोड़ी दूरी पर अंधा बुजुर्ग चुपचाप ये सब देख रहा था
00:48उसके जुर्रियों से भरे चेहरे की जटिल अभिव्यक्ति धीरे धीरे गायब हो गई
00:52उसने पहले भी डैसोलेट डेमन आई का अभ्यास किया था
00:56लेकिन एक दुरघटना की वजह से वो असफल हो गया
01:00जिससे उसकी दोनों आखें चली गई
01:04उसकी यह गल्ती बहुत भारी पड़ी थी
01:08विराज ने आखिरकार इस जोखिन भरे मार्शल आर्ट को चुना
01:12जो गुजुर्ब की उम्मीदों से परे था
01:16उस समय उटोम ने भी इस कला को सीखने की कोशिश की थी
01:20लेकिन काफी सोचविचार के बाद उसने डैसोलेट डेमन आई को छोड़ कर रहा था
01:24विराज ने आखिरकार इस जोखिन भरे मार्शल आर्ट को चुना
01:28जो गुजुर्ब की उम्मीदों से परे था
01:32उस समय उटोम ने भी इस कला को सीखने की कोशिश की थी
01:36लेकिन काफी सोचविचार के बाद उसने डैसोलेट डेमन आई को छोड़ कर
01:41ये दोनों मार्शल आर्ट्स एक जैसे लग सकते थे, लेकिन उनमे एक बड़ा फर्क था
01:47ग्रेट डैसोलेट बॉडी शरीर को मजबूत बना कर उसकी लडने की क्षमता बढ़ाता था
01:53जबकि डैसोलेट डेमन आई एक पूरी तरह से आक्रामक कला थी
01:59अगर नुक्सान पहुचाने की क्षमता की बात की जाये, तो डैसोलेट डेमन आई निश्चित रूप से अधिक खतरनाक था
02:07अंधे बुजुर्ग ने सोचा, क्या विराज इसे सीखने में सफल हो पाएगा, ये उसके नसीप पर निर्भर करेगा
02:15लेकिन चिन्ता मत कर, मैं तुम्हें अपने जैसा अंधा नहीं होने दूंगा
02:21बुजुर्ग ने विराज की तरफ देखा, और फिर धीरे से एक लंबी सांस ली
02:27उसे पता था कि जेचा और वूडा ने विराज से बहुत उम्मीदे लगा रखी थी
02:33अगर विराज की आखें इस मार्शल आर्ट्स हॉल में अंधी हो जाती, तो वो दोनों बुजुर्ग शायद गुस्से में पागल हो जाते
02:41बुजुर्ग चुपचाप बैठ गया, वो महसूस कर सकता था कि विराज हिला नहीं था,
02:48लेकिन इस पल में उसकी मानसिक उर्जा की लहरे निकर रही थी, जो काली तक्ती पर बनी काली आख के चारों और मंदराने लगी.
02:57चार सील हेवन सिम्बल मास्टर, बुजुर्ग ने विराज की मानसिक उर्जा का हलका परीच्छन किया और तुरंत उसका स्तर पहचान लिया. उसने हलके से सिर हिलाया.
03:09अगर सितारा शक्ती और मानसिक उर्जा को अलग-अलग देखा जायें, तो विराज अपने हम उम्र शिशों में इतना खास नहीं था. लेकिन जब दोनों को साथ में देखा जायें, तो वो काफी प्रतिभाशाली था.
03:24बुजुर्ग धीरे धीरे शान्त हो गया. चारु तरफ फिर से सन्नाटा च्छा गया. तभी विराज का शरीर हलका सा काम पा. उसकी शरीर से अचानक एक विशाल मानसिक उर्जा निकली, जो काली तक्ती की आख में जाकर समा गई.
03:42विराज की मानसिक उर्जा जैसे ही उस काली आख में घुसी, उसके मन में अजीव सी बेहोशी चाने लगी. थोड़ी ही देर में उसे महसूस हुआ की उसका आसपास का माहौल बदलने लगा है. जब उसने खुद को संभाला, तो उसने देखा की वो एक विशाल बंजर भू
04:12और धर्ती एक सीध में मिलते हुए लग रहे थे. इस जगह पर एक प्राचीन और वीराणगी भरी उर्जा का माहौल था, मानो ये कोई प्राचीन भूमी हो.
04:23विराज ज्मीन पर खड़ा होकर आकाश और धर्ती को देख रहा था. उसे अचानक से अपनी मौजूदगी बेहत छोटी महसूस होने लगी. उसके अंदर से एक असहाय भावना उठी और उसके पूरे शरीर में फैल गई, जिस से वो हिलने डुलने तक में असमर्थ हो गया
04:53उसे पता था कि ये जगह शायद पत्थर की तक्ती के भीतर का मानसिक संसार था. इस जगह पर लड़ाई खून खराबे की तरहें नहीं होती थी, लेकिन फिर भी ये बेहत खतरणाक थी. अगर कोई मानसिक उर्जा की लड़ाई में हार जाता, तो उसकी भविश्य की ट्रे
05:23जैसे ही उसका पैर मुलायम ज्मीन पर पड़ा, उसे लगा कि ज्मीन के नीचे से एक अजीद सी उर्जा उसके शरीर में समा रही है.
05:32धड़ाम अचानक से ज्मीन जोर से कामपने लगी. चारो और नगन आँखों से दिखाई देने वाली लहरें फैलने लगी, जो इस अनंत भूमी पर दूर-दूर तक फैल गई. तब ही, जैसे किसी धड़कन की तरह है, उर्जा की लहरें तेजी से फैल गई.
05:50विराज ने शांत निगाहों से इस द्रिश को देखा. उसकी शांत नजर के नीचे, दूर की ज्मीन अचानक कामपने लगी और उसमें एक बड़ी दरार पढ़ गई. ये दरार इतनी तेजी से फैली की कुछ ही पलों में यह हजारों फीट लंबी हो गई, मानो एक अन्थ
06:21एक अदरिश्य लहर आस्मान पर फैल गई और सीधे एक विशाल तूफान को जनन दिया.
06:28विराज की नजरे गहरी खाई पर टिकी थी. वही से वो अजीब आवाज आ रही थी.
06:35उसने खाई में हलकी सी विशाल परचाई को हिलते देखा. विराज की आखें उस खाई पर केंद्रित थी. तभी उसकी आखें सिकुड गईं.
06:47गहरी खाई से अचानक विशाल धूल का गुबार निकला. विराज की आखें और भी सिकुड गईं.
06:54तभी उस खाई से एक काली छाया, जो किसी धर्ती के अजगर जैसी थी, आकाश में उच्छल पड़ी. उसकी विशाल छाया ने सूरच को धख दिया. विराज ने उस विशाल जानवर की ओर देखा, जो गहरी खाई से बाहर निकला था.
07:10उसने हलकी सी गहरी सांस ली, उस जानवर का शरीर सांप जैसा था, लेकिन उसकी लंबाई हजारों फीट थी, और उसका पूरा शरीर काले रंका था. साथ ही, एक ठंडी और बुरी ऊर्जा तूफान की तरहें चारों और फैल रही थी.
07:28उस विशाल जानवर के सिर पर जो चीज सबसे ज्यादा ध्यान खीच रही थी, वो उसके बड़े-बड़े दांत नहीं थे, बलकि उसकी माथे पर स्थित बड़ी काली आख थी. वो विशाल आख फिलहाल बंद थी, लेकिन न जाने क्यों उस आख को देखकर विराज के शर
07:58जानवर जो सूरज को ढख रहा था, वही हुआंग था. उसकी खतरनाक ऊर्जा को देखकर, विराज को इसमें कोई शक नहीं था कि ये अजीब जानवर हजारों किलोमिटर तक की ज्मीन को वीरान बनाने की क्षम्ता रखता था.
08:14हुआंग आकाश में उड़ने लगा. उसका विशाल शरीर आसमान में लहराने लगा. फिर धीरे धीरे उसने अपना बड़ा सिर नीचे की तरफ जुका लिया और विराज की तरफ देखा, जो ज्मीन पर एक चींटी जैसा नजर आ रहा था.
08:31जैसे ही हुांग की नजर विराज पर पड़ी, विराज का चेहरा गंभीर हो गया. उसे महसूस हुआ की जिस ज्मीन पर वो खड़ा था, वो तेजी से सुखने लगी थी. ये डेसोलेट फोर्स कितनी खतरनाक है. हालां की विराज जानता था की ये सब एक मानसिक दुनिया म
09:01से सुखने लगी. वीरान रंग तेजी से फैलने लगा. लेकिन विराज ने अपनी शांत अवस्था बनाए रखी.
09:10उसने गहरी सास ली और सीधे आकाश में उस विशाल प्राणी की ओर देखा. अगर उसके मन में जराभी डर या पीछे हटने का भाव आता, तो वो मानसिक लड़ाई में हार सकता था.
09:24विराज की सीधी नजर से घूरने पर हुआंग थोड़ा बेचैन हो गया. तभी विराज की आखें और सिकुड गईं जब उसने देखा की हुआंग की वो विशाल आख धीरे धीरे खुलने लगी. जैसे ही हुआंग की विशाल आख खुली, विराज को तुरंत महसूस हु�
09:55वो विशाल आख धीरे धीरे खुली. उस आख के अंदर अंथीन धूसर रंग था, मानो कोई रोशनी वहां नहीं पहुँच सकती थी.
10:04विराज का पूरा शरीर थंडे पसीने में भी गया जब उसने वो विशाल आख खुलती देखी. उसे तुरंत अपने सिर की त्वचा सुननसी महसूस होने लगी. आखिरकार वो विशाल आख पूरी तरह से खुल गई. तुरंत ही, हजार फीट लंबी एक धूसर रोशनी उ
10:34वो एकडम गायब हो गई और अब वहाँ सिर्फ वीरानवी थी. हर चीज हजारों किलोमेटर तक बरबाद हो चुकी थी.
10:43लेकिन विराज का ध्यान इस समय अपने वीरान वातावर्ण पर नहीं था. उसकी नजर उस विशाल धूसर किरन पर थी, जो तेजी से उसकी तरफ आ रही थी.
10:55वो धूसर रोशनी बेहत तेज थी. एक ही पल में वो आस्मान में फैल गई और विराज के करीब आते आते उसका आकार सिकुड कर बस एक अंगुठे जितना छोटा रह गया.
11:08वो धूसर रोशनी बेहत खतरणाक उर्जा से भरी हुई थी, लेकिन विराज ने इसे टालने की कोई कोशिश नहीं की. उसे पता था कि ये एक रास्ता था, जिसे उसे पार करना ही था.
11:22आओ मुझे दिखाओ कि ये डैसोलिक डेमन आई कितनी खतरणाक है. विराज ने धीरे धीरे अपनी बाहे फैला दी. उसकी आखों में गहरे साहस और जिद्धीपन की चमक थी. तभी वो धूसर रोशनी उसकी पेशानी पर जा टकराई. अचानक एक भयंकर सिर्दर्ध उस
11:52चैप्तर बानवे सफलता या असफलता
11:56एक हल्की सी चमकदार परत चार बडी पत्थर की तक्तियों को घेरते हुए जगह को धखे हुए थी.
12:03इसके अंदर का माहौल इतना शांत था कि सांस लेना भी मुश्किल लग रहा था.
12:09लेकिन इस समय उस परत के अंदर दो लोग थे। एक ट्रेनिंग कर रहा था और दूसरा एक अंधा बुजुर्ग था जो इस माहौल का आदी हो चुका था।
12:20इसलिए ये भारी दबाव उन दोनों को कोई परिशानी नहीं दे रहा था। अंधा बुजुर्ग एक पुरानी और तूटी हुई जाडू पक्रे हुए था।
12:31उसकी सफेद धुंधली आखें जिन में कोई पुतलिया नहीं थीं, हलकी सी जुकी हुई थीं। उसकी सांसे इतनी हलकी हो चुकी थीं कि सुनाई तक नहीं दे रही थीं। देखने में वो किसी बीमार बुजुर्ग की तरहे लग रहा था, जो मरने वाला हो।
12:50कई घंटों की इस खामोशी के बाद, अचानक विराज, जो तक्ती के सामने बैठा था, हलका सा कांप उठा। काले पत्थर की तक्ती से हलकी रोशनी निकलने लगी। जैसे ही वो रोशनी फैली, अंधे बुजुर्ग ने अपनी सिर जुकाई हुई आखें उठाई। उसक
13:20विराज के चहरे पर हलका सा गहरा ग्रे रंग जमा हो रहा था, जो उसकी भाओं के बीच इकठा हो रहा था। उसकी पेशानी पर हलकी ग्रे लकीर उभर आई थी। वो लकीर कुछ साफ नहीं थी, मानो उसकी तवचा से जुडी हुई हो, और जब वो लकीर हिलती, तो किसी
13:50विराज के चहरे पर तनाव था और उसके सूखे हाथ बार-बार मसल रहे थे। ऐसा लग रहा था कि बुजर्ग की शांत भावनाओं में भी हलचल हो रही थी। बुजर्ग की निग्रानी में, विराज के चहरे पर ग्रे रंग और भी गहरा होता जा रहा था। अचानक वि
14:20बुजर्ग की आखों की रोशनी जा चूकी थी फिर भी वो इस द्रिश को साफ देख पा रहा था। उसका चहरा एकडम से बदल गया और उसके हाथ में पक्डी जाडू चूर-चूर हो गयी।
14:32चूंकी बुजर्ग ने खुद डेसोलेट डेमन आय का अभ्यास किया था, उसे अच्छी तरह पता था कि इस मार्शल आर्ट में खत्रा था। वो अजीब सी उर्जा आसानी से किसी की आखों में समा सकती थी और अगर आखों पर वो उर्जा हावी हो गई, तो इनसान उसकी
15:02प्रश्चान ने खेल रही थी जैसे वो सोच रहा हो कि उसे विराज को इस मान्सिक दुनिया से बाहर खीचना चाहिए या नहीं।
15:11बुजुर्ग के इस हिच्किचाहट के दौरान विराज के चेहरे पर ग्रे रंग और गहरा हो गया. जैसे जैसे ये ग्रे धुन्ध जमा हो रही थी, उसकी भावों के बीच की ग्रे लकीर और मोटी होती जा रही थी.
15:25साथ ही उसकी आखों के किनारों से बहता खून और भी भयानक लगने लगा, जो दिखा रहा था कि उसकी आखों पर वो उर्जा असर कर रही थी. बुजुर्ग बेचैनी में इधर उधर टहलने लगा. कुछ मिन्तों के बाद उसने अचानक से अपने दांत कसे और मुरकर त
15:55था उस लकीर को तोड़ कर विराज को जगाना. बुजुर्ग का हाथ बेहत तेजी से बढ़ा, ऐसा लग रहा था कि वो हवा को भी चीर कर गुजर जाएगा.
16:06लेकिन जैसे ही उसका हाथ विराज की पेशानी के पास पहुचा, अचानक एक गर्म सफेद रोशनी वहां से निकली और बुजुर्ग के हाथ से तक्रा गई.
16:16दोनों के बीच तक्राव हुआ, लेकिन कोई ऊर्जा लहर नहीं फैली.
16:22वो सफेद रोशनी बस एक पल के लिए बुजुर्ग के हाथ को रोप पाई और फिर गायब हो गई.
16:29हाला कि सफेद रोशनी गायब हो गई थी, लेकिन बुजुर्ग का हाथ वही रुक गया.
16:35उसके चेहरे पर हैरानी साफ जलक रही थी.
16:40मुझे बीच में पढ़ने की जरूरत नहीं है लगता है.
16:43बुजुर्ग कुछ पल के लिए चुप रहा.
16:46उसने सोचा कि शायद ये सफेद रोशनी विराज की खुद की कोई प्रतिक्रिया थी.
16:52इसका मतलब था कि विराज ने अभी डैसोलिट देमन आई सीखने का विचार नहीं छोडा था.
16:59इस जानकारी के बाद बुजुर्ग की भौहें और सिकुड गईं.
17:04वो काफी देर तक वही खड़ा रहा, फिर धीरे से सिर हिलाया और हलकी सी निराशा के साथ वापस चला गया.
17:12बुजुर्ग ने विराज की मार्शल आर्ट्स सीखने की जिद को शायद थोड़ा कम आका था.
17:18लेकिन कभी-कभी ये जिद अच्छी हो सकती है, तो कभी नुक्सानदायक, ठीक है, थोड़ा और इंतजार करते हैं.
17:26अगर चीजें विगर्ती हैं, तो मैं तुम्हें जबर्गस्ती बाहर निकाल लूँगा.
17:32तुम वाकई ऐसे हो कि दूसरों को चैन से नहीं बैठने देते. अंधे बुजुर्ग ने खुद से बुद-बुदाया और फिर विराज के पास बैठकर उसे ध्यान से देखने लगा.
17:44जैसे-जैसे उसने विराज को देखा, वो धीरे-धीरे थोड़ा शांत हो गया.
17:50हाला कि विराज की आखों के किनारों से खून के निशान बह रहे थे, लेकिन वो और ज्यादा नहीं बढ़ रहे थे.
17:58इस तरह पांच दिन बीट गए, विराज ने इन पांच दिनों में कोई हरकत नहीं की.
18:04उसकी आखों के कोनों से निकला खून जम कर दो रक्त के धब्बों में बदल चुका था, जिससे वो अजीब सा दिखने लगा था.
18:13इस दोरान विराज के चहरे पर जमागरे रंग और गहरा हो गया, और वो कम नहीं हो रहा था.
18:20इससे अन्धा बुजुर्ग थोड़ा उलजन में था. विराज की भावों के बीच जमागरे लकीर, जो दिखने लगी थी, कोई हरकत नहीं कर रही थी.
18:30बुजुर्ग के अनुभव के मताबिक, अगर विराज सफल हो जाता, तो वो लकीर धीरे धीरे एक आख में बदलने लगती. लेकिन अगर वो असफल होता, तो वो इतना शांत नहीं होता.
18:44यह स्थिती ना तो सफलता जैसी लग रही थी, ना असफलता. इससे बुजुर्ग खुद असमंजस में था. अब पांच दिन हो चुके हैं. लगता है, आज उसे डेसोलेट हॉल की मासिक प्रतियोगिता में जियान से मुकाबला करना होगा.
19:02बुजुर्ग ने धीरे से बुदबुदाया, लेकिन मुकाबला इतना जरूरी नहीं. अगर वो चूक भी गया, तो कोई बात नहीं, उसे सीखने दो. उसके हावभाव से साफ था कि वो विराज के प्रशिक्षन को बीच में नहीं रोकना चाहता था. लेकिन इस दुनिया म
19:32उसने देखा कि काले पत्थर की तक्ठी पर बनी काली आख से एक तेज ग्रे रोशनी निकल कर सीधे विराज की भावों के बीच वाली ग्रेलकीर पर जा तक्राई.
19:42वो रोशनी और तक्ठी के बीच की लकीर जुड़ गई और उसकी त्वचा हिलने लगी.
19:48वो ग्रेलकीर अब और भी साफ दिखने लगी और हलका-हलका खुलने के संकेट देने लगी. उससे एक ठंडी और खौफनाक उर्जा निकलने लगी जो बहुत असच कर रही थी. क्या ये वाकई एक आख में बदलने वाली है?
20:05बुजुर्ग का शरीर सीधा हो गया और उसकी निगाहें विराज की भावों पर टिकी रही. लेकिन उसकी निगराणी में भी वो लकीर नहीं खुली, बस हिलती रही. ये क्या हो रहा है? बुजुर्ग ने चिंता भरी आवाज में बुद-बुदाया.
20:23वो इस बात पर ध्यान नहीं दे सका कि ग्रे लाइट के नीचे एक हलकी सफेद रोशनी थी, जो धीरे-धीरे कम हो रही थी. कुछ ही पलों बाद, वो सफेद रोशनी की आवाज के साथ पूरी तरहे गायब हो गई, जैसे ही वो रोशनी खत्म हुई.
20:42विराज की बंद आखें, जो पांच दिनों से बंद थी, धीरे-धीरे खुलने लगी. उसकी आखें पहले जैसे ही साफ और शांत दिख रही थी. हाला कि उसकी आखों के कोनों पर खून के धब्बे अजीब लग रहे थे, लेकिन विराज की आखों में कोई बदलाव नहीं
21:12पर प्रशिक्षन के दौरान मेरी रक्षा की. विराज के चहरे पर एक
21:16हलकी मुस्कान उब्ही. वो खड़ा हुआ बुजुर्ग को जुपकर सलाम किया और कहा,
21:22कोई बात नहीं. अगर तुम्हारा प्रशिक्षन खत्म हो गया है, तो अब निकल जाओ.
21:29आज डेसोलेट हॉल की मासिक प्रतियोगिता है. बुजुर्ग ने धीरे से कहा.
21:35विराज ने सिर हिलाया, कोई बेकार की बात नहीं की और धीरे से मुढ कर वहां से चल पड़ा.
21:43जब वो लगभग वहां से बाहर निकलने ही वाला था, बुजुर्ग खुद को रोप नहीं पाया और कहा,
21:49हालांकि मुझे नहीं पता कि तुमने ये मार्शल आर्ट सही से सीखा या नहीं.
21:54लेकिन डेसोलेट डेमन आय का इस्तिमाल कम से कम करो.
21:58ये मार्शल आर्ट थोड़ा अजीब है और इसे ज्यादा इस्तिमाल करने से तुम्हारी आखों को नुकसान हो सकता है.
22:06विराज के कदम ठिठक गए. उसने हलके से अपनी भाओं के बीच वाली जगह को रगडा.
22:14उसके होठोन पर हलकी सी मुस्कान उभी.
22:18प्रशिक्षन के दौरान उसे भी डेसोलिट देमन आई के कुछ खतरनाक पहलूँ का एहसास हुआ था.
22:25लेकिन उसे लगता था कि रहशमे पठथर इसे ज्यादा मुश्किल नहीं बनने देगा.
22:31और एही पर होता है हमारे चेप्टर 91 और 92 का अंट.
22:36हाँ जैसा कि मेरे पिछले वीडियो में बताया था कि इस वीडियो सेरीज को अगर मुझे फैर यूज में लाना है तो भी मुझे एक्स्प्लेनेशन वीडियो की तरह इसे बनाना होगा.
22:48तो अगले वीडियो में वो ट्राइए करूँगा तो बताना उससे देखके के कुछ वो कैसा लगा ठीक है तो चलो बाई ठैंक्स पर वाचिंग

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