Radha Krishna season 1 episode 14

  • 2 days ago
Radha Krishna season 1 episode 14
Transcript
00:00अगर आपको पहता है, आपको पहता करते हैं अगर आपको पहता करते हैं
00:30अगर आपको पहता करते हैं, आपको पहता करते हैं
01:00अगर आपको पहता करते हैं, आपको पहता करते हैं
01:30अरे क्या हुआ राधा?
01:34किसने इतना गुस्सा दिला दिया तुम्हे?
01:36वही, आपका भाई
01:40समझाईये दाओ से
01:42आप जानते हैं उसने आयान के सब क्या किया है?
01:45आयान? कौन आयान?
01:47मेरा बाल सखा, जटीला काक्यर उग्रपित काका पुत्र
01:51अबी अबी शास्त्र शिक्षा लेकर आया है
01:56आपके उस कृष्ण ने किचड में धखेल दिया उसे
01:59क्या? कृष्ण ने?
02:03नहीं नहीं, कान आया ऐसा नहीं कर सकते
02:05ऐसा ही हुआ, अचानक से एक गया ने आपर आयान को धखा मारा
02:10और मुझे तो पूरा विश्वास है कि उस भोली गाय को
02:13माया में फ़साने वाला कृष्ण ही है
02:16बहुत ही दुष्ठ है वो
02:19वैसे बात तो तुम्हारी ठीक ही है राधा
02:23काना है ही ऐसा
02:27तनिक
02:34मा, बाबा और मैं
02:37हम तीनों परेशान हैं उससे
02:40और नहीं तो क्या, रहा चलते लोगों को उकसाता है
02:43उस दिन हार्ट में देखा था कैसे लोगों से उलच पड़ा था
02:46आपने तो व्यर्थ में साइदा की उसकी
02:48उस दिन पिटने देते हैं
02:50अच्छे से सीख मिलती उसे
02:54अब क्या करूँ
02:55ना उसकी इच्छाओं को रोखने का मन करता है
02:58और ना उसे संकट में देखकर स्वायम रोखने का
03:02छोटा भाई जो ठेरा
03:04जितना छोटा उतना खोटा
03:09वैसे
03:12अपने कक्ष में जा रही हो रादा
03:14हाँ, क्यों?
03:17नहीं, मैं तो बस चेता रादा
03:19चेता रादा, वहाँ मत जाना आप
03:22तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा
03:24भला मुझे मेरी कक्ष में जाके अच्छा क्यों नहीं लगेगा?
03:30अब कारे संपन हुआ
03:34बताया नहीं आपने
03:37मुझे मेरी कक्ष में जाने से क्यों रोका दाओ?
03:39हाँ, मैं भी यही सोच रहा था कि क्यों रोका
03:44जब कोई लाबी नहीं
03:46और वैसे भी, आज नहीं तो कल तुम्हें पता तो चली जाना है
03:52क्या?
03:57तुम स्वयम अपने कक्ष में जाकर क्यों नहीं देख लेती?
04:09एक तो वहाँ उस कृष्णे तंग करके रखा है
04:11और दूसरा यहाँ दाओ पहिलिया भुजा रहे है
04:13उनकी कुण्मे में कोई सीधी बात करता क्यों नहीं है?
04:21तुम, यह क्या कर रहे हो तुम?
04:33विश्राम कर रहा हूँ
04:34विश्राम कर रहा हूँ
04:39बड़े भाईया को घ्यान देने के पश्चात
04:41ठकान सी हो गई थी
04:45पर मेरी शैया पर क्या कर रहे हूँ?
04:48शैया भी श्राम करने के लिए होती है न?
04:51वही कर रहा हूँ
04:53तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा?
04:54कई तुम्हारे मस्तिस के साथ साथ तुम्हारे आखे भी..
04:57नहीं न?
04:58मेरी कख से अभी निकलो
05:00नहीं तो..
05:24तुम मेरे पीछे के पड़ी हो जा?
05:27लाटी लेकर पीछे भागना के कम था?
05:29जो अब गले पड़ने पर आतुर हो गई हो?
05:34राधा.. राधा..
05:35मैं.. मैं तुम्हे..
05:38राधा.. क्रोध में रिदही की गती बढ़ जाती है
05:41जो स्वास्तक के लिए हानी कारक है
05:43बस.. बहुत हो गया
05:45इस कक्ष में वही रहेगा जिसका ये कक्ष है
05:49ठीक है
06:00तुम जाओ बाहर?
06:02कोई बाहर जाएगा तो वो तुम हो
06:04ये मेरा कक्ष है
06:05है नही.. था
06:08क्या?
06:09अरथात ये तुम्हारा कक्ष था
06:11हा अब ये मेरा कक्ष है
06:15किरतीदा काकि ने सोयम मुझे ये कक्ष दिया है
06:17जूत
06:18फिर से जूत
06:19मीरी मा मेरा कक्ष
06:20किसी अन्य इनसान को नहीं दे सकती
06:22अरे मैं सत्य कह रहा हूँ
06:25हुआ कुछ ऐसा
06:26कि कृतीदा काकी
06:27काकी जब मुझे ये घर दिखा रही थी
06:29तो मुझे ये कक सबसे अधिक मोहक और शांत लगा.
06:34और किर्तिरा काकी का रिदाई इतना हुदार कि क्या बताओं?
06:38उन्हें कहा, काना, तुम ये कक्ष पसंद है?
06:40तुम यही रह लो.
06:41रादा जो है, किसी और कक्ष में रह लेगी.
06:45अब समझी, सची ज्यानी है किर्तिरा काकी.
06:49अतिती को देव तूल्य मानती है.
06:51मेरी भोली भाली माँ को अपनी मीठी बातों में फसाकर
06:54मेरा कक्ष ख़रपना चाहते हो?
06:56विल्कुल नहीं.
06:57तुम्हें तो नमारे किये का फर मैं अब ही देती.
07:04क्या आतंग मचा रखा है तुमने राजा?
07:06मेरी कक्ष को मत दिखे रो.
07:13तुम्हारा नहीं, मेरा कक्ष.
07:25लगता है भाईया, सस्त्र नहीं.
07:27हीचड में लोट पोट होने की कला सेख कर आए हैं.
07:31जब-जब कोई अपनी शक्ति पर एहंकार करता है
07:34तब-तब उसका ब्रहम तोड़ने के लिए
07:37कोई उससे अधिक शक्ति शाली आता है
07:39जब-जब कोई अपनी शक्ति पर एहंकार करता है
07:43तब-दब उसका ब्रहम तोड़ने के लिए
07:45कोई उससे अधिक शक्ति शाली आता है
07:48और अपना परिछाय दे जाए.
07:50मेरा
07:54इतना बड़ा अतिमान
07:57आज तक किसी ने ऐसा करने का दुस्सास नहीं किया.
08:10बात तो सही है
08:13छोड़ना भी नहीं चाहिए उसे
08:16उसने महाबली आयन का अपमान चो किया
08:18कदापी नहीं छोड़ना उसे
08:25परन्तो करोगे क्या
08:28आज रातरी का भोज राधा के वाह रखा गया है न
08:32कृष्ण के आने के खुशी है
08:37तुम न एक काम करो
08:39तुम उस कृष्ण से न मितरदा कर लो
08:44और फिर भोजन के बाद
08:47उसे बरसाना कुमाने के बहाने बाहर ले जाना
08:52और न फिर उसे उस ऊची पहारी के चोटी से
09:06या फिर ऐसा भी तो हो सकता है न
09:07तुम शास्ट्र विद्या सीख कर आये हो तो
09:10अपनी शास्ट्र के बार से
09:12उस कृष्ण को मार लो
09:23भूल कर भी ऐसा कुछ करने का सोचना मत
09:28उसने तुम्हारा नहीं
09:30मेरा अपमान किया है
09:33जतिला का
09:37शास्ट्र विद्या के साथ साथ
09:40नीति शास्ट्र का भी पाठ पढ़ लेते न
09:42तो आज कामा था
09:45जिसका अस्ट्र बुद्धी है न
09:48उस पर शास्ट्र से कभी वार नहीं करना चाहिए
09:53नहीं तो सांप निकल जाएगा
09:55और तुम लकीर पीठ रह जाओगे
09:57देखो, तुम यहाँ से चले जाओ
10:00अन्या था?
10:01अन्या था क्या?
10:02अन्या था
10:04उत्तम है
10:07गईया चराने जाते समझ जल ले जाने कामा है
10:10तुम यहाँ से जाते हो यहाँ नहीं?
10:22नहीं
10:24माँ!
10:27मईया!
10:30तुम क्यों अपनी माँ को बुला रहे हो?
10:31क्यों? तुम अपनी माँ को बुला सकती हो
10:33मैं अपनी मैया को नहीं बुला सकता
10:35माँ!
10:53राधा क्या हुआ?
11:09हाँ ताना तुने मुझे पुकारा क्यों?
11:12हाई द्याइ!
11:19राधा
11:21इस कख्ष के क्या अवस्था बना रखे है, राधा?
11:25मा, आपने मेरो कख्ष कृष्णी को क्यों दिया?
11:38पुत्री, कृष्णा मारा अतिती है.
11:42यदि वो तुम्हारे कख्ष में रहना चाहता है
11:45तो हमें उसकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए, पुत्री.
11:49यही, यही तो कह राधा से मैं.
11:53किसी दशा में नहीं, मैं अपना कख्ष नहीं छोड़ूंगी.
12:00राधा, यहाँ क्या मेरा, क्या तेरा, सब कुछ तो यही रह जाना है.
12:08किसी भी वस्तु से इतना मोह ठीक नहीं.
12:12जीवन में कभी-कभी ऐसी परीक्षा की गड़ी आही जाती हैं.
12:16जहाँ आपको आपकी सबसे प्रिये वस्तु या सम्मन्त का त्याग करना होता है.
12:23उस समय उस मोह से उत्पण हुई पीड़ा असहनीय हो जाती है.
12:37तुम तो चुप ही रहो.
12:38मेरा बादपन से यही कक्ष रहा है.
12:45प्रेतिता, राधा ठीक ही तो कह रही है.
12:49कानहा, तो किसी और कक्ष में रह ले.
12:53काकी, ये आपके बात नहीं मानने वाला.
12:57कैसे नहीं मानेगा? मेरा पुत्र है, सब बात मानेगा.
13:09ठीक ही तो कह रही है, मैं अपनी मैंया के आदेश के विरद कैसे जा सकता हूँ?
13:15पर सब मेरी तरह थोड़ी नहीं होते है, मैंया.
13:17कि अपनी मैंया के आदेश पर यह सब कुछ त्याग दे.
13:23अब राधा को ही देख लो.
13:24लो, ऐसे इस प्रकार सबके सामने उनकी बात ना मान कर
13:28उसने उनको कितनी ठेस पहुचाई.
13:34किन्टो कोई बात नहीं, काकी.
13:36मैं अपनी मैंया के आदेश का पालन सदेव करूँगा.
13:43राधा, कुछ सीखो क्रिशन से.
13:47अपनी माँ की बात एक शरन में मान ली उसने.
13:50और तुम?
13:57अब ये कग्ष चाहे जिसे ने भी बिगाडा हो
14:01मैं यहाँ पह था, तो मेरा ये कर्तव यहाँ है
14:03कि मैं इसे ठीक करतूँ.
14:12इतना विनर्म और संसकारी है, क्रिशन.
14:17और तुम, राधा?
14:22येशोदा जीजी के सामने, तुमने मेरा क्या संबान रखा?
14:30काकी, भाव कोनी की अवश्यक्ता नहीं है.
14:36जैसा ये कड़्श, वैसा कोई और कड़्श होगा.
14:41ज़िन राधा इस कड़्श में सुकी है, तो
14:43मैं ही चेला जाता हूँ किसी और कड़्श में.
15:07रुको!
15:11यही रहो.
15:14तुम अपनी माँ की आँखों में आँशों नहीं देख सकते.
15:32चुप चुप जीओ, पुत्री.
15:44काणखा, सीख कुछ राधा से.
15:47मईया!
15:49वो है कि अपनी माँ की आँखों में आँशों नहीं देख सकते.
15:53और तुम, तुम सदाई अपनी माँ को कष्ट देता रहता है.
15:57माँ आप छोड़ भी दीजे, अब इस बाद का प्रतिशोत लेंगे, आप.
16:00तुम अबी यही खड़ी हो.
16:03जाओ, अपना सामान उठाके किसी और कक्ष में रख दो.
16:09हाँ, इस समय तो तुमारे मन में इस कक्ष को छोड़ने के दुख का भार होगा.
16:14उसके साथ साथ यह सामान का भार कैसे उठा पाऊगी, नहीं?
16:19चलो, कोई बात नहीं.
16:20शमाँ करना, काकी.
16:21किन्तु अब कृष्ण रे सीमा पार कर दी है.
16:25फेर से चुडा रहा है मुझे.
16:31अब मैं आपके कृष्णु को नहीं छोड़ूंगी.
16:37तो तुम्हारे मन में इस कक्ष को छोड़ने के दुख का भार होगा.
16:41अब मैं आपके कृष्णु को नहीं छोड़ूंगी.
17:11अब मैं आपके कृष्णों को नहीं छोड़ूंगी.
17:36अरे, गमला क्यों तोडा राधा?
17:42राधा, छोड़ना नहीं इस नाटकट को.
17:44काना, राधा के हाथ बिल्कुल मताना.
18:11देखना, देखना, देखना, देखना, देखना.
18:41मनुष्य का सोभाव है कमाना.
18:45संग्रह करना.
18:47फिर चाहे वो धन हो, नाते हो,
18:52संबन्ध हो, या हो प्रसंदनता.
18:56परिण्टु क्या आपने कभी सोचा है?
19:00नियतिने ये संग्रह करनी की पोरूप आराधा
19:03या हो प्रसन्नता.
19:06परिंतु क्या आपने कभी सोचा है?
19:09नियती नहीं ये संग्र करनी की प्रकृति
19:11ये मनुष्यमें क्यों डाया?
19:14एक बीद से पौधा पनवता है.
19:18उसके भोजन से फल संग्रहित होता है.
19:22क्यों?
19:24इसलिए ताके व्रिक्षि उसे सोयम खा सकें?
19:28नहीं.
19:30बलकि इसलिए
19:32ताकि वो भुके जीवों में बाड़ सकें.
19:35अब आप पूछेंगे कि इसमें व्रिक्ष का क्या लाब?
19:41लाब है.
19:44क्योंकि जो बाड़ता है,
19:47वो मिटता नहीं.
19:48जो फल ये जीव खाते हैं,
19:51वो उसकी बीजों को वातावरन में भिखेर देते हैं.
19:54जिससे जनम लेते हैं नए व्रिक्ष.
19:58उसकी जाती, उसका गुण,
20:01उसकी मिठास,
20:03अमर हो जाते हैं.
20:06इसलिए स्मर्ण रखियेगा,
20:09अमीर होने के लिए
20:11अमीर होने के लिए
20:13एक-एक शन्द संग्रह करना पड़ता है.
20:16पर अमर बनने के लिए
20:19एक-एक गण बातना पड़ता है.
20:25राधे राधे.
20:33जिससे तुम प्रेम करते हो,
20:34वो लड़की राधा है.
20:36मैं राधा से प्रेम करता हूँ.
20:41कृष्णे को रोकना अधिक अनिवार रहे हैं, माँ.
20:43इससे पहले कि वो कुछ करे,
20:45उससे और सारे गोकुल वासियों से
20:48इस बरसाने का धरातल से छीन कर
20:51उन्हें बाहर का मार्क दिखाना होगा.

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