Radha Krishna Season 1 Episode 312

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Radha Krishna season 1 episode 312
Transcript
00:00समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यो
00:30समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्यों समक्
01:00श्रीरी वामन अवतार नरायंड
01:08और इसप्रकार Vaman Avtaar Narayand
01:12उनका तीसरा पग बली के कहने के अनुसार
01:16बली के मस्तक पर रखा
01:21उसके पश्यताप की भावणा से प्रसंद होकर
01:23उसे अगली सवर्णी मनवंतर में
01:26इन्द्र होने का वर्दान भी प्रदान किया।
01:37मैं समझ गई, क्रिष्ण।
01:39मैंने भी तुम्हारे साथ यही किया।
01:42तुम कुछ भी कर सकते हो, यह कहकर मैंने
01:45पिता और पुत्र के समबन में तुम्हें हस्तशेप करने को कहा।
01:48जो भूनतान उजट था, इससे मेरे पिता भी आहत हुए।
01:53मेरा भाई भी दुखी है, और मैंने तुम्हें भी आहत किया।
01:59तुम मुझे कभी आहत कर ही नहीं सकते।
02:02प्रेम का बाचवा वचन तुमने समझ लिया।
02:06उसे आत्मस साथ कर लिया।
02:08मेरे लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकते।
02:16और जब तुम इतना जान गई हो, तो ये भी जान।
02:19ये सारे समस्याओं के तालों की कुञ्जी भी यही है।
02:24जिस प्रकार बली को मनुवान्शित इंद्रपद मिल,
02:28उसी प्रकार तुमें भी वो अवश्य मिलेगा जो तुमारी हिच्छा होगा।
02:41तो अब सहायक पद के लिए नयन का अभिशेक होगा।
02:58वो दोड़ीजेवित फ़िर्शित से..
03:00तुमें बारणाद है..
03:03वह नहीं हुआ..
03:04मैं अपनी निर्भात की तालों की यही हुआ।
03:05तो वो प्रकार बदली के लिए तुमारी निर्भातीन देखते होगा..
03:09नहीं।
03:10अलेको सोरन मुद्राय परदान की हई.
03:15पहले तो उन्होंने मुझे पंदी मना लिया था.
03:18मैं भैभीत हो गया.
03:20इन्तु उन्होंने मुझे सुरक्षित छोड़ दिया.
03:25अन्त भला, तो सब भला.
03:28अपने जो ज्यानकारी दी थी, वो सत्य भी थोगी.
03:31आप लोगों के द्वारा दी गई ज्यानकारी से
03:35मैरी दर्दर्धा का अनद्ध हूँआ.
03:45और हिंधू मुझे आप द्वार के लिए
03:49जाना जाना, दौरण मुझे दंग करे.
03:51के द्वारा दी गई जानकारी से
03:53मेरी दर्द्रता का अंध हुआ.
03:59चलो, बहुत अच्छी बात है.
04:01दिखिए, अब हमारी छोटी सी सायता से
04:03आपका थोड़ा लाब हुआ.
04:05अब आप भी हमारी छोटी सी सायता कर दीजे.
04:08हमारा भी थोड़ा लाब हो जाएगा.
04:11दिखिए, इतनी अधिक सुन मुद्राओं के बदले
04:15बस एक छूटा सा कार.
04:21कहिए, कहिए, क्या करना?
04:31और अब आयान को तहायक की पगडी पेनाई जाए.
04:34तत्वश्चात, अगले नौ दिवस तक मेरी सभी शक्तियां
04:38और दाईत्व के साथ आयान इस गाओं का तहायक बनेगा.
04:59तहाई ये.
05:04तहाई ये.
05:31क्या हुआ, ब्रामन देव?
05:34आपने मेरा अभिशेक क्यों रोग दिया?
05:36क्योंकि पगडी पहने से पूर मैं ये सुझचित करना चाहता हूं
05:39कि तुम पगडी के साथ आने वाले दाईत्व के योग्य हो भी या नहीं.
05:54आप सभी को मेरा परणाम.
05:58मैं एक पतिक ब्रामन हूँ.
06:00मैंने सुढ़ा है आज यहाँ नए सहायत का चुनाव हो रहा है.
06:04एक ब्रामन होने के नाथे मेरा ये दाईत्व बनता है
06:08कि मैं एक अच्छे शासक की पहचान करूँ.
06:14यदि आप सब की आज्या हो
06:16तो मैं इस जुवक से कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूं.
06:19आपको जो प्रश्न पूछना पूछी
06:21मुझे पुर्ण विश्वास है कि मेरा आयन
06:23आपके प्रतिक प्रश्न का उच्छित उत्व देखा.
06:30जैसे की आप सब जानते हैं
06:32इस गाओं की आजीवीका
06:34मुख्यारूप से गाओं के गोपालन पर निर्भर है.
06:37महर गाओं में आजीवीका
06:40जैसे की आप सब जानते हैं
06:43इस गाओं की आजीवीका
06:45मुख्यारूप से गाओं के गोपालन पर निर्भर है.
06:48तो जो इस गाओं के सहाईक का दाइत उठाएगा
06:51उसे इतनी जानकारी तो होगी ही
06:54हमारे गाओं में
06:59कुल मिलाकर
07:05क्या हुआ?
07:07बता नहीं?
07:10चलो इतना बताओ
07:12कि बर्साना में कुल कितने लोग निवास करते हैं
07:17हमारे गाओं में
07:18चलो इतना बताओ
07:20कि बर्साना में कुल कितने लोग निवास करते हैं
07:25बर्साना में परती दिन कितने दूद, माखन और घी का उत्पादन होता है
07:41सोच क्या रहे हो?
07:43उत्तर दोय हैं
07:49बर्साना में कुल कितने लोग निवास करते हैं
08:07दामा
08:10क्या हुआ दामा? कहां चले?
08:13कहीं दूर
08:15दामा, तुम्हें उन सारे प्रश्नों के उत्तर ज्यात है
08:19तुम जाके उन सारे प्रश्नों के उत्तर क्यों नहीं देते?
08:22तुम भी जानते हो, इस पद के योग्य तुम ही हो
08:27ज्यात है न तुम?
08:29यदि ऐसा होता, तो राधा जीजी मुझे छुनती
08:31परन्तु उन्होंने छुना उस आयन को
08:34राधा जीजी ने मुझे ते कहा था
08:36कि वही मुझे सहायक बनाएगी
08:38राधा ने तुम्हें नहीं छुना
08:40क्योंकि वो नहीं चाहती तुम उपकार के कारण छुने जा
08:43वो चाहती है कि तुम अपनी क्षमता के आधार पर
08:45अपनी योग्यता के आधार पर इस पद को प्राप्ट करो
08:49क्या यानुचित है?
08:51तो इसलिए उन्होंने आयन को छुना
08:53तुम सत्य कह रहे हो न, क्रिशन?
08:56अब जाओ दाम
08:58अपनी बेहन को, अपने बिटा को, सभी को गर्वित करो
09:01सबका मान बढ़ाओ
09:03अब जा और अपनी योग्यता सिद्ध कर
09:14ये क्या अनर्थ करने चले थे आप लोग?
09:17एक अयोग्य और अक्शक्षम व्यक्ति को
09:20इतना बड़ा दाईत्व सोप रहे हैं आप
09:22इसलिए तो बरसाना के विशे में कुछ ग्यात ही नहीं
09:26तो इतना बड़ा दाईत्वि कैसे उठाएगा?
09:28पिदाचित ये इतनी बड़ी शक्ति की योग्य नहीं
09:33सत्य है
09:36आयन इस पद्ध के योग्य नहीं
09:43हिंटु आयन नहीं
09:47तो भी कौन समालेगा इस पद्ध को?
09:50कौन बनेगा इस गोँव का सहायक?
09:56बरसाना में तीन सहस्तर गईयंहें
09:59जिनकी देखबाल साथ सहस्तर वासी करते हैं
10:07और बरसाना में परतु दिन
10:09दो सहस्तर मठक्या दूद
10:12300 मठक्या घी
10:14और एक सहस्तर मठकी
10:17माकन का उतपाधन हो गया
10:18माखन का उतपादन होता है.
10:26उचित उत्तर दिया है, धामा.
10:31हाँ, ये जुवक है
10:33जो बर्साना की मित्ती से जुड़ा हुआ है.
10:35इसे होना चाहिए बर्साना का नया सहायक.
10:48धामा, उत्र तुमने तो मुझे अत्यंत चकित कर दिया.
10:55तुम्हे तो गहौन के विषय में बहुत ज्ञाब है.
11:10रायान, आपके उठूम चैन तो बात करें.
11:14पद और दायतों के सच्च अधिकारी केवल तम होँ।
11:17नन्द बाबा, सत्ते कहूँ तो
11:21मेरी इच्छाय है कि बरसाना और वरंदावन के समबल
11:24और इस पद के लिए आपसे योग्य कोई और होई नहीं सकता।
11:54नन्द बाबा, मेरी ये इच्छा है
11:56कि ये सहायक का पद आप संभाले.
11:59नहीं धामा, तुमने अपनी योगेता सेध की है.
12:03इसलिए इसके अदिकारी केवल तुम हूँ.
12:06देखि धामा एकदम मुच्चित कह रहा है.
12:09देखि धामा एकदम मुच्चित कह रहा है.
12:12आप हमारे शुकचिंतक है, हिती चिंतक है, हितैशी है.
12:15और आप अलूबहवि है.
12:18मुझे ऐसा लगता है, किस पद के योग केवल आप ही हैं.
12:22हाँ हाँ, नन्दी जी को ही सायक बनना चाहिए.
12:24नन्दी जी को ही सायक बनना चाहिए.
12:26नन्दी जी ही सायक बनने योग्ये है.
12:28नन्दी जी ही सायक बनने योग्ये है.
12:31हाँ, हाँ, हाँ, नन्दी जी को ही सायक बनना चाहिए.
12:37हाँ, बित्र.
12:39उचित है.
12:41जैसे आप सबकी उच्छा.
12:43तो मैं यह दाज़ताव के लिए तच्छा.
13:13जैसे आप सबकी उच्छा.
13:14तो मैं यह दाज़ताव के लिए तच्छा.
13:16तो मैं यह दाज़ताव के लिए तच्छा.
13:18तो मैं यह दाज़ताव के लिए तच्छा.
13:20तो मैं यह दाज़ताव के लिए तच्छा.
13:21तो मैं यह दाज़ताव के लिए तच्छा.
13:24हाँप परिया तो
13:32हांप्परभी
13:43बरसाने के सहाईक बनने के पश्चात
13:47मेरा सबसे पहला निर्णा यही आई
13:49कै इस बार जो नवरात्री उत्सव होगा
13:52वो आज तक का सबसे बड़ा भव्य और दिव्य उत्सव होगा
13:58बोला सहायक नन्द बाबा जी के
14:00जेए
14:01सहायक नन्द बाबा जी के
14:03जेए
14:05जेए
14:13आरायन तुम
14:17तुम से मैं अत्यन्त निराशू
14:19तुमें गाओं के विशे में ते कुछ ग्यात नहीं है
14:21ना ही समुधाय का ग्यात है
14:24इसलिए नौ दिनों तक तुम मित्र नन्द के साथ रहे कर
14:27उनकी सायता करोगे
14:30कदाचित इसी बहाने तुम उनसे कुछ सीख तो लोगे
14:34ये उचित कहा काका उपने
14:51क्रिश
14:58क्रिश
15:04ये क्या तुमारे तो मौन रिथ था
15:08अरे हाँ था केवल एक दिन के लिए अब पूर्ण हो गया
15:15तो अब तुमारी बाते पुरा सुननी होंगे
15:18अच्छा ये नातक न किसी और के सामने जाके करना
15:22सब चानती हूँ मैं
15:24मैं मौन रहो तो तुमें कितना दुख होता है
15:26सब गयाते हैं मज़े
15:30आहा पूरे एक दिन के लिए तुमारी वाणी नहीं सुननी है
15:36अच्छा किया तुमने मौन रिथ तोड़ दिया
15:38प्रिश तुम्हारी पांचो कहानिया सुनने के बाद
15:42मेरे मन में एक प्रशन आया
15:44क्या?
15:46नारायन ने सब ही असुरो को ग्यान दिया
15:49फिर देवी लक्ष्मी उन्होंने कुछ नहीं किया
15:54उनकी शक्ती का क्या
16:00राधा नारायन ने साथ अवतार लिए
16:02इसमें अनेक असुरो का सनहार किया
16:05यह संसार उन सनहारों को
16:07वर्ष के अलग-अलग दिनों पर उल्लास के साथ मनाता भी
16:11किन्टु वर्ष से आने वाले यह नौ दिन
16:16यह नारायन पर भी भारी होते है
16:19देवी की नौ राथ भी
16:22नव राथ
16:23देवी की नौ-रात्वी, नव-रात्वी
16:28जिसमें उन्होंने अत्यन्त शक्तिशाली असुरो का सुनहार किये
16:33असंभव कारिय संभव किये
16:36राधा तुम्हें पता लगेगा
16:40कि देवी की महिमा कितनी अपार्थ है
16:43कि देवी की शक्ति अनन्त है
16:54जब दो प्रेमी प्रेम के पवितर बंदन में बनते हैं
16:58तो वो सबसे पहला वचन यही नेते है
17:00कि जाए जो कुछ भी हो वो एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे
17:04यदि आपका प्रेमी आपसे दूर चला जाए
17:07और उसे पुना पाने के लिए
17:08यदि समस्त संसार खोजना पड़ें तो खोजो
17:12यदि जो शरीर के सुन्दर्ता है यह समय के साथ कम होती जाएगे
17:16किन्टो मन, मन के सुन्दर्ता अनन्त है
17:19इसलिए सदेव व्यक्ति के मन से प्रेम करने
17:21तुम्हें अपनी प्रियेजनों के मन के भीतर जो पाप है उससे लड़ना होगा
17:26प्रेम का पाच्वा वचन तुम्हें समझ लिये
17:29उससे आत्मस साथ कर लिये
17:31मेरे लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकते
17:34प्रेस्ट ने मुझे ये कहानिये क्यों सुनाये
17:36कही मेरा इन कहानियों से कोई समबन तो नहीं
17:43किंटु प्रेस्ट की होते हो मुझे चिंता नहीं करनी चाहिए
17:47यदि आवश्यिक हुआ तो प्रेस्ट स्वर्मी मुझे सब बतातेगा
17:51अभी तो मैं कहानी सुनने के लिए उत्सक हूँ
17:53जीवित नहीं छोड़ूंगा तों दोरोको
17:59तों दोरोको मुझे बाव खेल है
18:02ंप को अपना मकास बंदा,
18:04अगर इसलिए आपे चाहिएकों कि कहित नहीं
18:07मैं जीवित नहीं चोड़ूंगा, तों दोरोको
18:10तुम दोरों मा पुत्र मेरे किसी काम के लाइब
18:14जब देखो तब ये शोशनाँ को विफल्क कर देते होँ.
18:20हमारे प्रयत्नों में कोई कमी नहीं थी, महराज.
18:23वो तो इस बार उस कपटी कृरिशन का भाग्य अच्छा था.
18:29तो एक बात बदाओ, यार.
18:32तो ये पर बहुत पड़ता था, यार.
18:35अन्या ता वो तो पर प्रियातन के लिए वें कर देते होँ.
18:39तो ये आप पर राज़ाएँ का बहुत कर देते होँ.
18:42अपने प्रियातना ने कोई कमी नहीं थी, महराज.
18:45पर्थात इस बार तोष पाग की काउँ.
18:53तो एक बात बताओ यार.
18:56तो ये पाग की कभी तुम्हारी फुद्धी का साथ जो नहीं देता.
19:02तुम्हें ये भी नहीं बता.
19:05कि बरसाना में कितनी काईल है.
19:09कितने लोग है वहाँ पर.
19:11मन तो करता है अभी यहो.
19:15इस इश्वान तुम्हारा अंत करते हूँ.
19:26शमा, शमा महराज.
19:30मेरे पुत्र को शमा कर दिजी.
19:33शमा करें महराज.
19:35इस प्रकार आप उसमें लड़ने से क्या लाब?
19:37आप यह बतायें कि हमें आगे क्या करना है?
19:40अब तो केवल एक ही कारे करना है करूर.
19:43किसी भी परकार उस कृष्णे को
19:46मतुला लेकर आना है.
19:50हर बार वो यहाँ आने से बच जाता है.
19:56इस बार, इस बार मेरे पास एक ही जुक्ति है.
20:08जब वो कृष्ण यहाँ से नहीं आ रहा है
20:12तो उसकी राधा उसे यहाँ लेकर आए.
20:18राधा की मुकार उस कृष्ण को यहाँ खीच कर लाएगी.
20:25अपने प्रेम के हाथों विवस्च होकर
20:30उस कृष्ण को यहाँ आना ही होगा.
20:35आना ही होगा उस कृष्ण को यहाँ!
20:46मन्थन, मन्थन, मन्थन...
20:51मन्थन
20:57हम सब यही जानते हैं
20:59कि अमरित को पानी के लिए
21:01समुद्र मन्थन की आग है
21:03इसके पीछे जो महान उद्देश है
21:05उसे अधिकतर लोग समझ ही नहीं पाते
21:07आज वो महान उद्देश में
21:09आपको अच्छे से समझा देता है
21:11हमारे जीवन में
21:13उस अमरित को पानी के लिए
21:15मार्ग बताता है
21:17मन्थन
21:19फिर हम करते हैं संकल
21:23फिर करते हैं सरका
21:25जिसे देवताओं ने
21:27और असूरों ने साथ मिलकर किया
21:29फिर हम करते हैं प्रयास
21:31वासुकी के मुक से
21:33विश की भाप निकलन
21:35ये प्रारंबिक बाधाओं का
21:37रूप ही था
21:39फिर भी हमारा निष्चय ध्रेड था
21:41बले ही समुद्र
21:43मन्थन से हला हल निकला
21:45हम अडिग्रह हमने
21:47उसका सामना किया
21:49फिर उस मार्ग में जब हमें
21:51अनीक अन्मोल रत्र मिले
21:53नक्षत्र मिले
21:55उससे आकर्षित ना होते हुए
21:57जाकर
21:59अमरित पानी के पुश्याथ ही हम
22:01शान्त हुए
22:03इसी प्रिकार यदी आप भी जीवन में
22:05संकल
22:07सहकार
22:09प्रयार
22:11ध्रिड निष्चय
22:13अडिग्ता और
22:15आकर्षन से विरग थे
22:17यदी ये सारे गुणव
22:19तो आपको भी
22:21आपके जीवन का ये अमरित
22:23अवश्य मिल जाएगा
22:25राधे राधे
22:29लक्ष्मी नारायन के सीताराम
22:31अफ़तार के प्रेम की महा गाधा
22:33सनो
22:35जब से बड़ा है
22:37प्रेम जगत में
22:39प्रेम साना कुछ तूजा
22:41प्रेम स्वयं
22:43प्रेम ही सच्ची तूजा
22:45प्रेम ही सच्ची तूजा
22:47प्रेम ही सच्ची तूजा
22:49प्रेम ही सच्ची तूजा

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