• 3 months ago
sanatan history: mahadev and gajasura

इस वीडियो में, हम आपको गजासुर की अद्भुत भक्ति और उसकी तपस्या की गहराई में ले जाएंगे। गजासुर ने भगवान शिव से ऐसा अनोखा वरदान माँगा था जो इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। जानिए किस प्रकार गजासुर की तपस्या और भक्ति ने उसे शिवजी के प्रिय पुत्र गणेशजी के रूप में नया जीवन प्राप्त करने का मार्ग दिखाया।

हम इस कथा के सभी रहस्यों और गूढ़ अर्थों को उजागर करेंगे, जिससे आप समझ सकें कि भक्ति और समर्पण का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता। इस वीडियो में, हम गजासुर की तपस्या, शिवजी से प्राप्त वरदान और उसके बाद की घटनाओं पर चर्चा करेंगे।

वीडियो को अंत तक देखें और जानें कि कैसे गजासुर की भक्ति ने उसे शिवजी के प्रिय गणेशजी के रूप में नया जीवन दिया!

In this video, we delve into the remarkable devotion and penance of Gajasura, exploring the unique boon he requested from Lord Shiva. Learn about how Gajasura’s intense devotion and spiritual quest led to his transformation and new life as Lord Ganesha, the beloved son of Shiva.

We will uncover the deep mysteries and significance of this story, illustrating that true devotion and surrender never go unrewarded. This video discusses the penance of Gajasura, the boon he received from Shiva, and the events that followed.

Watch till the end to understand how Gajasura’s devotion earned him a new life as Lord Ganesha!

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Transcript
00:00ओम् नमा शिवाँ।
00:07गजासूर, आखें खोलो वद्स।
00:11मैं तुम्हारी तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हूँ।
00:14मांगो, तुम्हें क्या वर चाहिए।
00:17प्रभु, आपकी आराधना में कीट पक्षियों द्वारा होने वाले विगन से मुझे मुक्ति चाहिए।
00:23इसलिए मेरे शरीर से हमेशा तेज अगनी निकलती रहे, जिससे कोई पास ना आए, और मैं निर्विगन आपकी आराधना करता रहूं।
00:31तथास्तु।
00:33कजासुर, आँखें खोलो वच्स, मैं फिर से प्रसंण हूँ, मांगो, तुम्हें क्या वर चाहिए।
00:53हे प्रभु, वैसे तो मैंने कोई विशेश इच्छा लेकर तपस्या नहीं की थी, लेकिन यदि आप मुझे वरदान देना ही चाहते हैं, तो कृपया कैलाश छोड़कर मेरे उदर में निवास करें।
01:04तथास्तु।
01:06हे नंदी, भोले भंडारी से कोई कुछ भी मांग ले, दे देते हैं, वरदान स्वरूप वह गजासूर के उदर में वास कर रहे हैं, हमें महादेव को मुक्त करवाना होगा, अन्यता पृत्वी का संतुलन बिगट जाएगा।
01:17जैसी आपकी लीला प्रभु।
01:19अरे हुगवाले, तुम्हारे मधुर संगीत और इस बैल के सुन्दर नृत्य से मैं अत्यंत प्रसन हूँ, इतने साल की साधना से मुझमें वैराज्या आ गया था, तुम दोनों ने मेरा मनुरंजन किया है, कोई वरदान मांग लो।
01:39आप तो परम शिव भक्त हैं, शिव जी की कृपा से ऐसी कोई चीज नहीं जो आप हमें न दे सकें, किन्टु मांगते हुए संकोच होता है कि कहीं आप मना न कर दें। तुम मुझे साक्षात शिव समझ सकते हो, मेरे लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं, तुम्हें म
02:09कृपया मुझे अपने दिव्य स्वरूप के दर्शन दें।
02:15हे श्री हरी आपके दिव्य स्वरूप के दर्शन पाकर मैं धन्य हुआ।
02:18हे भोले नाथ, आपको उदर में रखने के पीछे किसी का अहित करने की मन्शा नहीं थी।
02:23मैं तो बस इतना चाहता था कि आपके साथ मुझे भी स्मर्ण किया जाए।
02:27शरीर से आपका त्याग करने के बाद मेरे जीवन का कोई मोल नहीं रहा प्रभु।
02:32इसलिए आप मुझे वर्दान दीजिए, कि मेरे शरीर का कोई अंश हमेशा आपके साथ पूझित हो।
02:38तथास्तु, गजासुर तुम्हारी भक्ती अद्भूत है।
02:41समय आने पर तुम्हें ऐसा सम्मान मिलेगा, जिसकी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी।
02:46जब गणेश जी का शीष धड से अलग हुआ,
02:49तो गजासुर के शीष को ही गणपती के धड से जोड कर गणेश जी को जीवित किया था।
02:54इस तरह वह शिवजी के प्रियपुतर के रूप में प्रथम आराध्य हो गए।
02:58गजासुर की भक्ति ने उसे शिवजी के प्रियपुतर गणेश जी के रूप में नया जीवन दिया।
03:03ये कथा हमें ये सिखाती है कि भक्ति और समर्पन का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता।

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