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वीडियो जानकारी: खुला सवांद, 01.06.2020, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत

प्रसंग:
बाह्यान्तरराणां शत्रूणां स्वभाव पश्य भारत।
यन्‍न पश्यति तद्‌ भूतं॑ मुच्यते स महाभयातू॥ ८॥

भारत! बाहरी और भीतरी शत्रुओं के स्वभाव को देखिये-समझिये (ये मायामय होने के कारण मिथ्या हैं, ऐसा निश्चय कीजिये)। जो मायिक पदार्थों को ममत्व की दृष्टि से नहीं देखता, वह महान्‌ भय से छुटकारा पा जाता है॥८॥
~कामगीता (श्लोक-8)

~ भय से छुटकारा कैसे पाएँ?
~ डर के ऊपर विजय कैसे प्राप्त करें?
~ डर लगने पर क्या करना चाहिए?
~ अपने बाहरी और भीतरी शत्रुओं को कैसे पहचानें?
~ ममत्व की दृष्टि का कोई लाभ है?

संगीत: मिलिंद दाते
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