Dhruv Rathee - The Real Story of Oppenheimer | Hero or Villain |..

  • 2 months ago
Recently, the movie "Oppenheimer" took the internet by storm, captivating audiences worldwide. However, what many might not realize is that this gripping film is rooted in the true story of Scientist J. Robert Oppenheimer, who played a pivotal role in conducting a momentous nuclear test. In a daring and historic experiment, Oppenheimer initiated the detonation of the first nuclear bomb, an event that surpassed all expectations with its resounding success. Yet, this triumph came with a heavy price, as it ushered in a period of profound chaos and uncertainty.Prepare to be engrossed in the captivating narrative of "Oppenheimer" and discover the profound questions it raises about heroism, the consequences of scientific breakthroughs, and the fine line between progress and destruction. Don't miss Dhruv Rathee's enlightening video, where the intriguing story of J. Robert Oppenheimer unfolds before your eyes.
Transcript
00:00नमस्का दोस्तों, सोला जुलाय साल नाइन्टीन फॉर्टी फाइफ, सुभहे के करीग साड़े पाँच बज़ें।
00:06अमेरिका की न्यू मेक्सीको स्टेट की रेगिस्टान में एक बम धमाका होता है।
00:10लेकिन ये कोई आम बम धमाका नहीं है।
00:13इस नूक्लियर टेस्ट को कोड नेम दिया जाता है ट्रिनिटी, और इस पूरे प्रोजेट को लीड कर रहे थे साइन्टेस्ट जे रॉबर्ट ओपन हाइमर।
00:21इस बम धमाके को देखकर ओपन हाइमर हैरान रह जाते हैं।
00:25इस धमाके से इतनी भयंकर गर्मी निकली कि वहाँ मौजूद स्टील का टावर एवापरेट हो गया।
00:30इस नूक्लियर टेस्ट को कोड नेम दिया जाता है ट्रिनिटी, और इस पूरे प्रोजेट को लीड कर रहे थे साइंटेस्ट जे रॉबर्ट ओपन हाइमर।
00:35इस धमाके से इतनी भयंकर गर्मी निकली कि वहाँ मौजूद स्टील का टावर एवापरेट हो गया।
00:43इसकी शॉक वेव करीब 160 किलो मेटर दूर तक फिल करेंगे।
00:47और धमाके से निकला मश्रूम कलाउड करीब 12 किलो मेटर ओपन हाइमर।
00:52आप पूछोंगे की ओपन हाइमर को भगवत गीता के बारे में कैसे पता है कि अपने विश्वाल के लिए भिन्दर को फिल रहा है।
00:59शॉक वेव करीब 160 किलो मेटर दूर तक फिल करेंगे।
01:0312 km उपर तक गया आस्मान में।
01:05ये सब देखकर ओपन हाइमर इतने शॉक्ट रह जाते हैं
01:08कि भगवत गीता की एक लाइन उनके मूँसे निकलती है।
01:11आप पूछोगे की ओपन हाइमर को भगवत गीता के बारे में कैसे पता?
01:22इसकी बात आगे वीडियो में करेंगे इन पर एक नई फिल्म आ रही है क्रिस्टोफर नॉलन की
01:26तो मैंने सोचा ये सही मौका होगा इनकी पर एक वीडियो बनाने का
01:29क्या थी इनकी कहानी? कैसे इन्होंने न्यूक्लियर बॉम को डेवलब किया?
01:33क्या ओपनहाइमर एक हीरो थे या विलिन थे?
01:36और इन्हें कैसा लगा ये जानकर जब इनकी क्रियेशन की मदद से
01:40लाखो करोर लोगों की जान चली गए?
01:42आईए जानते हैं आज के इस वीडियो में.
01:44जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर इन्हे फादर अफ दी अटॉमिक बॉम कहा जाता है.
01:54ये उस मैनहैटन प्रोजेक्ट के डिरेक्टर थे जिसने दुनिया के पहले न्यूक्लियर हतियार बनाए.
01:59कहानी इनके बच्पन से शुरू होती है.
02:01इनका जन्म हुआ था साल 1904 में न्यूयोक शहर में एक जर्मन जीविश परिवार में.
02:06और बच्पन से ही इन्हे एक चाइल्ड जीनियस माना जाता था.
02:10सिरफ दस साल की उमर में ही ये हाई लेवल फिजिक्स और केमेस्ट्री पढ़ रहे थे.
02:14और मिनेरलोजी की इन्हे बहुत जानकारी थी.
02:16मिनेरल्स की प्रॉपर्टी की.
02:18यही सध तक नौलेजिबल थे कि 12 साल की उमर में ही इन्हे न्यूयोक के
02:22मिनेरलोजीकल क्लब में लेक्चर देने के लिए बुलाया गया.
02:24आगे चल कर साल 19-22 में जब यह हारवर्ड में पढ़ाई करने के लिए गए तो इन्होंने 4 साल की डिग्री 3 साल में ही खतम कर दें.
02:31अपनी क्लास में यह टॉप पर थे.
02:33केमेस्ट्री में मेजर किया और बहुत सारे सबजेक्ट्स की इन्हे जानकारी थी.
02:37फिजिक्स, फिलोसफी, लिटरेचर और इवन इस्टन रिलिजिन.
02:40लेकिन इन सारे सबजेक्ट्स में से इन्होंने हारवर्ड में रेलाइज किया कि इनका असली पैशन फिजिक्स था.
02:45आगे चल कर साल 19-27 में सिरफ 23 साल की उमर पर यह पीछडी कर डालते हैं.
02:51लेकिन इस जीनियस के पीछे चुपी एक डार्क साइड भी थी.
02:54इनके दोस्तों को कहना था कि ओपनहाइमर की सेल्फ डिस्ट्रक्टिव टेंडिंसीज थी.
02:58यह एक चेन स्मोकर थे और डिपरेशन का शिकार थे.
03:02एक समय पर इनोंने अपने भाई से कहा था,
03:06इनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई में रहता था और बाकी दुनिया में क्या चल रहा है, उसके बारे में ज्यादा ख़वर यह रखते नहीं थे.
03:12इस लिस्ट में कई बड़े नाम थे, जैसे कि एलबर्ट आइन्स्टाइम, जॉन फॉन नौयमान, जिन्होंने मॉर्डन कंप्यूटर को पायनियर किया, लियो सिलार्ड, जोकी हमारी कहाणी में आगे एक इंपॉर्टेंट रोल निभाएंगे,
03:35हांस बेथे, जिन्होंने फ्यूजन डिसकवर किया स्टार्स में, एड़वर्ड टेलर, जिन्हें फादर अफ धा हाइड्रोजिन बॉम कहा जाता है, और एन्रीको फर्मी, जो एक और इंपॉर्टेंट रोल निभाएंगे हमारी आगे की कहाणी में.
03:46ये सारे साइन्टेस्ट मोस्ली जर्मन जूइश थे, और क्योंकि ओपनहाइमर खुद एक जर्मन जूइश परिवार से आते थे. जब इन्होंने जूइश पर हो रहे अत्यचारों को देखना शुरू किया, तब इनका पॉलिटिक्स में इंट्रेस बढ़ने लगा.
03:57साल 1936 का इनका ये कोट है. मैं समझने लगा कि पॉलिटिकल और एकनॉमिक एवेंट्स कितने गहराई से लोगों की जिंदिकियों पर असर डालते हैं. मुझे एक जरूरत महसूस हुई कि मुझे भी इस कमीनिटी में पार्टिस्पेट करना चाहिए.
04:10ये लेफ्ट विंग विचारधारा से प्रभावेत होकर काई पॉलिटिकल मीटिंग्स में गए और पैसा डोनेट किया काई लेबर यूनियन्स और स्ट्राइकिंग फार्म वर्कर्स को.
04:19सेब्टेंबर 1939, हिटलर पोलेंड देश को इंवेट करता है जिससे वर्ल्ड वार टू की शिरुवात हो जाती है.
04:25जैसे की मैंने आपको अपने वर्ल्ड वार टू वाले वीडियो में समझाया था, अमेरिका को इंट्रेस्ट नहीं था इस वार में इंबॉल्ड होने में.
04:31लेकिन फिर भी अमेरिका प्रिपैर कर रहा था फॉर दे वर्स्ट.
04:34अक्शिली हुआ क्या था वार शुरू होने से करीब एक महिने पहले, औगस 1939 में, अलबर्ट आइंस्टाइन और लियो सिलार्ड ने एक चित्ठी लिखी थी अमेरिकन प्रेसिडन्ट फ्रांकलिन डी रूसबेल्ड को.
04:45इस चित्ठी में इन्होंने वार्णिंग दी अमेरिकन प्रेसिडन्ट को कि हिटलर नूकलियर हतियारों पर काम कर रहा है. हो सकता है कि वो ये एक्स्ट्रीम्ली पाउरफुल बॉम बनाने में सक्सेस्फुल हो जाए. इसलिए अमेरिका को तयार रहना चाहिए.
04:57इस चित्ठी पढ़ते ही अमेरिकन प्रेसिडन्ट ने एक एडवाइजरी कमिटी बिठा दे यूरेनियम पर. तुरंत एक्शन लिया गया. साइन्टेस्ट और मिलिटरी अफिशिल्स की एक टीम बनाए गई, जिनका काम था यूरेनियम की पोटेंशल पर रीसर्च करना. कि
05:27यूरेनियम जो नैचुरली पाय जाता है धरती पर, वो यूरेनियम 238 आईसोटोप होता है.
05:33एक परसंट से भी कम यूरेनियम अक्शुली में यू 235 आईसोटोप होता है.
05:37और यही 235 वाला आईसोटोप ही बॉम बनाने के लिए इस्तिमाल किया जा सकता था.
05:42सबसे पहले चैलेंज्ञ था इन साइन्टिस्ट के सामने कि यूरेनियम 235 को बनाने का कोई तरीका धूंडा जाये यूरेनियम 238 से.
05:49लेकिन जो साइंटिस्ट इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, उन्हें कहा गया कि एलबर्ट ऐन्स्टाइन को कुछ नहीं बताना.
05:55क्योंकि एमेरिकन सरकार को दर था कि एलबर्ट ऐन्स्टाइन की जो सोच है, विचारधारा है, वो बहुत लेफ्ट विंग है.
06:00हो सकता है वो एक पुटेंशल सेक्यॉरिटी रिस्क निकले.
06:03वैसे कि आप जानते हो दोस्तो, एलबर्ट ऐन्स्टाइन ऐसे लोगों में से थे, जो एक रात में 10-10 गंटे सोया करते थे.
06:09वो स्लीप की इंपॉर्टेंस जानते थे और अपने दिन में स्ट्राटेजिक नैप्स भी लेते थे.
06:13इसे आप कमपेर करो आज के दिन के सोचल मीडिया मोटिवेशनल गुरूस से, जो आपको कहते हैं कि सोने में टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए.
06:20फरॉड कहानिया सुनाते हैं कैसे जो सक्सेस्फुल लोग हैं, वो सिरफ रात में 5-6 गंटे सोते हैं.
06:25ये सब जूट हैं. असल बात ये है दोस्तों कि रेगिलर और सुफिशन्ट स्लीप हर इनसान के लिए बहुत ज़रूरी हैं.
06:31कुछ एक्सेप्शिन्स की लावा, हर इनसान को 7-9 गंटे की नीन लेनी ज़रूरी होती है टॉप हेल्प पर रहने के लिए.
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07:16जल्दी से जाकर कर सकते हैं, और अब टॉपिक पर वापस आते हैं.
07:19Oppenheimer इस वक्त अपनी अलग से रीसर्च कर रहे थे Nuclear Fission पर, Edward Teller और बाकिय और Scientist के साथ.
07:25December 1940, Uranium 235 आईसोटोप के लावा, एक और Radioactive एलिमेंट पाया जाता है, जिसे Scientist मानते हैं कि इसे भी इस्तिमाल किया जा सकता है Nuclear हतियार बनाने में.
07:37इस एलिमेंट का नाम Plutonium.
07:4011 October 1941, American President एक Message भेजते हैं British Prime Minister Winston Churchill को.
07:46कहते हैं कि दोनों देशों को साथ में Collaborate करना चाहिए इन Atomic Developments के लिए.
07:51इस बात को दो महिनें भी नहीं बीते थे कि 7th December 1941, Japan Pearl Harbor पर हमला कर देता है और America की Officially Entry हो जाती है World War II में.
08:01A state of war has existed between the United States and the Japanese Empire.
08:09American President Roosevelt एलान करते हैं कि America एलाइस ताकतों का हिस्सा बनेगा जो कि Germany और Japan के खिलाफ लड रहे हैं.
08:16World War II की पूरी कहाणी जानना चाहते हैं तो मैंने इस पर दो वीडियो बनाये हैं Part 1, Part 2 करके शुरू से लेकर एंट तक सब कुछ बताया है.
08:23नहीं देखा तो लिंक डिस्क्रिप्षिन में डाल देता हूँ इस वीडियो के बाद जा कर देख सकते हैं.
08:27इस point of time पर एक बात क्लियर हो जाती है कि न्यूक्लियर वेपन्स को डेवलब करने का जो साइंटिफिक मिशन था.
08:33अब ये एक मिलिटरी मिशन में बदल चुका था.
08:36अमेरिका 2.2 बिलियंड डौलर्स खर्च करता है इस एक प्रोजेक्ट में.
08:40इंफलेशन को अकाउंट में लो ये आज के टाइम के 24 बिलियंड डौलर्स के बराबर हैं.
08:44Almost दो लाख करोड रुपएं.
08:46अमेरिका मिलिटरी का एक इंजीनिरिंग विंग था जिसे आर्मी कॉप्स अफ इंजीनिर्स कहा जाता था.
08:51ये आर्मी के लिए पोर्ट्स और एरफिल्ड्स जैसी चीज़े बनाता था.
08:54इनकी इंबॉल्मेंट एप्रूफ करी जाती है प्रेज़िडन्ड डूजबेल्ट के दुवरा जून 1942 में.
09:00अब इनकी नौर्थ एटलांटिक डिविजिन का उफिस मैंहैटन में था, नुयोर्क सिटी में.
09:04और जब इन्हें responsibility मिली नूक्लियर हतियार बनाने की, तो इन्होंने अपने headquarters सेम बिल्डिंग में अठारवे फ्लोर पर बना दिये.
09:11इन headquarters को नाम दिया गया Manhattan Engineer District.
09:14और इस point of time से officially शुरुवात होती है Manhattan project की.
09:19डेट थी 13th August, साल 1942.
09:22अगले महीने 17th September, Colonel Leslie Richard Groves को head appointed किया जाता है इस project का.
09:27और ये decision लेते हैं कि Oppenheimer को Atomic Bomb के design के leader के तौर पर appointed किया जायें.
09:34इस project को undercover रखने के लिए एक secret location decide की जाती है, Oak Ridge, Tennessee state में.
09:41इस शहर को the secret city भी कहा जाता है क्योंकि पूरा का पूरा शहर यहां बसाया जाता है सिर्फ इस project के लिए.
09:48हजारों scientist, researchers और workers को इस शहर में move किया जाता है और इनका काम सिर्फ एक.
09:53Uranium 238 से Uranium 235 बनाया जाएं.
09:56अब यहाँ nuclear fission के पीछे जो science है उसकी ज्यादा details में मैं नहीं जाओंगा क्योंकि उसे मैंने explain किया था चेरनोबिल वाले वीडियो में.
10:03उस वीडियो को जाकर देख सकते हैं अगर आप details में समझना चाहते हैं.
10:06बात बस यह समझने वाली है यहाँ पर कि Uranium 238 ज्यादा fissionable नहीं है.
10:11Chain reaction नहीं हो पाता जिससे कि एक bomb बनाया जा सके.
10:15Uranium 235 निकालना बहुत जरूरी था यहाँ पर.
10:18सिर्फ Uranium 235 ही एक chain reaction undergo कर सकता है जिससे कि उसे बनाने की जरूरत पढ़ रही थे.
10:24Planned था चार अलग-अलग तरीके try out किये जाएं Uranium 238 से Uranium 235 बनाने के.
10:35इन चार अलग-अलग technologies को test out करने के बाद दो technologies कुछ हद तक successful prove होती हैं.
10:44Electromagnetic separation में एक बड़ी सी magnet का इस्तिमाल करते हैं हम Uranium 235 को Uranium 238 से separate करने के लिए.
10:52और gaseous diffusion में Uranium hexafluoride गैस को एक porous membrane से पास किया जाता है जिसमें जो हलके U235 के molecules होते हैं वो पास कर जाते हैं.
11:02लेकिन U238 के molecules ज्यादा heavy होते हैं तो वो filter out हो जाते हैं.
11:07इसके एलावा एक अलग location पर Washington में Plutonium की production पर भी काम चल रहा था.
11:13अब Plutonium को भी actually में Uranium 238 से ही produce किया जाता है जब hydrogen का एक isotope Uranium 238 से bombard किया जाता है तो Plutonium की production होती है.
11:24बाद में बदा चलता है कि Plutonium actually में और भी ज्यादा radioactive और और भी ज्यादा fissionable है as compared to Uranium 235.
11:32अब इन दोनों locations के लावा एक तीसरी location भी दूणने की कोशिश करी जा रही थी.
11:36Project Y. ऐसी location जहाँ पर actually में काम होगा इन bombs को बनाने का और design करने का.
11:43General Groves एक बहुत ही दूर की remote सी location चाहते थे इसके लिए ताँकि project secret रह सके.
11:49और Oppenheimer exactly ऐसी ही एक location को जानते थे.
11:53एक ऐसी जगह हैं जहाँ पर Oppenheimer ने अपनी गर्मिया खुशी-खुशी बिताई थी.
11:57पहाडियों और सुंदर landscapes के बीच. New Mexico State की Pecos Valley.
12:02इन सारी locations को set करने के बाद अब बस एक obvious सी चीज़ करनी बची थी.
12:06Practically एक chain reaction test out करना.
12:09अभी तक सब कुछ theoretical ही चल रहा था.
12:12कम से कम कोई ये साबिद करके दिखाए कि
12:14Atomic bomb का जो पुरा concept है, ये हो भी सकता है या नहीं हो सकता.
12:182nd December साल 1942, Scientist Enrico Fermi यहाँ पर पहला successful practical experiment करते हैं.
12:25University of Chicago के एक squash court में, ये एक chain reaction चलाते हैं,
12:30जिसकी मदद से एक bulb light up होता है.
12:33The clickety clack of their instruments proved they had achieved the first human made nuclear chain reaction.
12:40अब इस point of time तक आते आते, General Groves, Oppenheimer की काभिलियत से बहुत impressed हो चुके थे.
12:46वो इन्हें project Y का director बनाना चाहते थे.
12:49लेकिन कुछ military के senior members को Oppenheimer पर शक था.
12:53वही same शक जो Albert Einstein पर था.
12:55Oppenheimer के काफी दोस, उनकी wife, in fact उनके भाई, सब के सब कटर communist थे.
13:01वो खुद left-wing विचारधारा से बहुत प्रभाविद थे.
13:04America को डर था कि ये communist विचारधारा है, इनके देश के खिलाव हो सकती है.
13:09लेकिन इन concerns के बावजूद, General Groves खुद Oppenheimer को personally support करते हैं,
13:14और कहते हैं कि Oppenheimer के बिना ये project हो नहीं सकता.
13:18वो essential है इस project के लिए.
13:20और इस ही के चलते 20 जुलाई साल 1943, Oppenheimer को इस project का lead बना दिया जाता है.
13:26एक atom bomb को बनाने में, Oppenheimer की expertise की जरुवत पड़ी,
13:30critical mass की calculations में.
13:32Critical mass, basically, एक minimum amount of mass है,
13:35Uranium 235 या Plutonium का,
13:38जो चाहिए होता है एक chain reaction कराने के लिए,
13:41एक chain reaction को sustain करने के लिए.
13:43Minimum कितनी मातरा हमें इन radioactive elements की use करनी पड़ेगी,
13:46जिस से एक chain reaction हो पाए और एक bomb धमाका हो पाए.
13:49आज के दिन ये सुनने में आसान लगता है,
13:51लेकिन उस वक्त बहुत सारे unknown factors थे.
13:53Uranium-235 की properties के बारे में हम hardly कुछ जानते थे.
13:56Plutonium-239 को तो actually मैं साल 1940 में ही discover किया गया था.
14:01और साल 1943 के end तक,
14:03सिरफ 2 mg Plutonium produce हो पाया था.
14:06इसलिए अमेरिका दो atom bombs को यहां पर develop कर रहा था.
14:09पहला bomb, जो Uranium-235 पर based था,
14:12जिसका नाम Little Boy.
14:15इस bomb का mechanism basically एक gun type design है.
14:18जिसमें दो Uranium-235 के masses लिये जाते हैं,
14:22जो सब critical हैं.
14:23Critical value से कम है.
14:25और उन्हें एक दूसरे से, तेजी से combine किया जाता है.
14:27इस combination से critical mass reach हो जाता है
14:30और एक fission chain reaction देखने को मिलता है,
14:33जिससे एक धमाका होता है.
14:37दूसरा bomb था Plutonium bomb,
14:39जो Plutonium-239 का इस्तिमाल कर रहा था
14:42और इसका नाम था Fat Man.
14:43इसकी designing में और मुश्किलें आईं.
14:45यहाँ पर वो gun type design नहीं किया जा सकता था
14:48क्योंकि अगर दो Plutonium के masses को एक दूसरे से combine किया जाता है,
14:52तो वो कुछ ज्यादा ही तेजी से reaction हो जाता है
14:54और critical mass पहुँचने से पहले ही यह fission reaction खतम हो जाता है.
15:02अब यहाँ पर scientist Plutonium bomb के लिए एक अलग design create करते हैं.
15:06Plutonium के mass को high pressure और density के अंदर रखा जाए
15:09एक spherical structure में.
15:11एक hollow sphere के अंदर Plutonium का subcritical mass रखा गया.
15:15और इस sphere के बाहर explosives का इस्तिमाल किया गया
15:17जिस से कि एक implosion देखने को मिले उस Plutonium के mass में.
15:21जब बाहर के explosives फटते तो Plutonium पर high pressure पढ़ता और यह critical mass reach कर जाता.
15:27इस concept को नाम दिया गया implosion method.
15:30अब जो gun method था उसके बारे में scientists पहले से जानते थे
15:33लेकिन यह implosion method पहली बार theoretically बताया गया था.
15:37Oppenheimer का मानना था इसे test out करना जरूरी है.
15:40Actually मैं bomb में डालने से पहले.
15:42General Groves ने पहले कहा कि हम test नहीं करवा सकते ऐसी चीजों का
15:46क्योंकि वैसे ही हमने इतना कम Plutonium produce किया है.
15:49लेकिन Oppenheimer ने कहा test यहाँ पर बहुत जरूरी है.
15:52तो General Groves आखिर मान गए.
15:53और फिर किया जाता है दोस्तो The Trinity Test.
15:56इसी की बात मैंने वीडियो के शुरू में करी थी.
15:58New Mexico के रेगिस्तान में एक test nuclear bomb फोड़ा जाता है.
16:03इस test bomb को नाम दिया जाता है gadget.
16:05इसमें करीब 13 pound Plutonium था.
16:08एक steel tower की मदद से,
16:10scientists इस gadget को 100 feet हवा में लटका देते हैं.
16:14और 16 जुलाय साल 1945,
16:16सुभाए के 5.30 बजे,
16:18इस bomb को detonate किया जाता है.
16:24जैसा मैंने बताया,
16:25जितना expect किया था Oppenheimer ने,
16:27उससे कहीं ज्यादा powerful निकला ये bomb.
16:30वो steel tower पूरा का पूरा evaporate हो गया.
16:32Bomb धमाके के बाद,
16:33एक mildly radioactive green coloured glass की formation होई,
16:36जिसे trinitite नाम दिया गया.
16:38इस धमाके को देखने के बाद ही था,
16:40कि Oppenheimer के मुफ़ से
16:42भगवत गीता की कुछ लाइने निकलती हैं.
16:54Actually में Oppenheimer एक Sanskrit scholar भी थे,
16:56और इन्होंने भगवत गीता की पूरी पढ़ाई करी होई थी,
16:59अपने original form में.
17:00यह भगवत गीता को अपनी जिंदगी की
17:02one of the most influential किताब बताते हैं.
17:04इस trinity test को हुए एक महीना भी नहीं गुज़रा था,
17:07कि 6th August साल 1945 में,
17:10little boy bomb को
17:12हिरोशेमा पर गिरा दिया जाता है.
17:14अगर यह काफी नहीं था,
17:15तो तीन दिन बाद,
17:16इस plutonium fat man bomb को भी
17:19नागसाकी शहर पर गिरा दिया जाता है.
17:25इन atomic bombs को गिराने का क्या असर पड़ा,
17:28उसकी बात मैंने detail में
17:30हिरोशेमा और नागसाकी वाले वीडियो में करी है.
17:33Albert Einstein का पहला reaction
17:35यह ख़वर सुनते ही था,
17:37वो is me.
17:38यह एक दुख भरी statement थी.
17:41माना जाता है Albert Einstein ने यह भी कहा था,
17:49Oppenheimer ने हिरोशेमा पर गिराए गए बॉम के बाद
17:51बड़ी खुशी जताई थी.
17:52उनका मानना था काश यह Nazi जर्मनी के खिलाफ,
17:55Hitler के खिलाफ भी इस्तिमाल किया जा पाता.
17:58लेकिन जब नागसाकी पर बॉम गिराए गया,
18:00तब Oppenheimer शॉक में रह गए.
18:0217 औगस्त को यह खुद Washington तक गए,
18:04Secretary of War से मिलने,
18:06अपने द्वारा लिखी गए चिठ्ठी,
18:08खुद अपने हातों से देने.
18:10इन्होंने सीधा-सीधा कहा कि यह Nuclear हतियारों पर
18:12बैन लगाना चाहते हैं.
18:14इन्होंने इतना भारी regret फिल गुआ
18:16कि इन्होंने यह क्या कर डाला?
18:18क्या टेकनॉलोजी इन्होंने इंसानों के हातों में
18:20लाकर यहां दे दी है?
18:22हीरोशीमा पर गिराए गए पहले बॉम को
18:24ओपनहाइमर एक necessary evil मानते थे.
18:26अगले American President बनते हैं
18:38Harry Truman.
18:40नागसाकी पर गिराए जाने वाले
18:42बॉम के करीब दो महीने बाद
18:44ओपनहाइमर को मौका मिलता है
18:46President Truman से मिलने का.
18:48President से मिलके सीधा उनके मूपर यह कहते है
18:50I have blood on my hands.
18:52और President Truman इतना गुसे में
18:54आ जाते हैं यह सुनकर
18:56कि उन्हें गालिया देना शुरू कर देते हैं.
18:58अपने सेक्रेटरी को कहते हैं
19:00कि इस ओपनहाइमर को इस office से बाहर निकालो
19:02और मैं इसकी कभी भी शकल नहीं देखना चाहता.
19:04ओपनहाइमर आगे चलकर
19:06US Atomic Energy Commission के साथ काम करते हैं.
19:08इसके और न्यूक्लियर अटैक्स को रोखने के लिए.
19:10वो चाहते थे कि न्यूक्लियर हतियारों
19:12पर एक कंट्रोल बनाए जाए.
19:14साल 1949 में जब
19:16President Truman इस commission को अपरोच करते हैं
19:18ये आइडिया लेकर
19:20कि एक हाइड्रोजिन बॉम भी हमें बनाना चाहिए
19:22तो ओपन हाइमर सक्ती से उसे अपोस करते हैं.
19:26लेकिन इस opposition का ज्यादा कोई फायदा होता नहीं
19:28क्योंकि अमेरिका आगे चल कर एक हाइड्रोजिन बॉम डेवलब करता है
19:32और टेस्ट भी करता है साल 1952 में.
19:39Edward Taylor वो Scientist थे जिसने मदद करी
19:41इस हाइड्रोजिन बॉम को बनाने में
19:43और इन्हे फादर अफ धी हाइड्रोजिन बॉम करके बुलाया जाता है आज.
19:46ओपन हाइमर की इस resistance के चलते और उनकी लेफ्ट विंग विचारधारा के वज़े से
19:51उनके नौकरी उनसे छीन ली जाती है.
19:53अपनी बच्ची हुई जिंदकी वो एकडेमिक प्रोफेशन में ही बिताते हैं
19:57और दुनिया भर में जाकर लेक्शर्स देते थे.
19:59इवन थो उन्हे नौबाल प्राइस के लिए तीन बार नौमिनेट किया गया
20:02लेकिन वो एक भी नहीं जीत पाए.
20:04साल 1965 में थ्रोट कैंसर की वज़े से ओपन हाइमर का दिहांत होता है सिर्फ 62 एर्स की एच पर.
20:10जोकि कोई हैरानी की बात नहीं थी.
20:12क्योंकि ये भयांकर चेन स्मोकर रहे थे थ्रूआउट हिस लाइफ.
20:16आज के दिन 9 ऐसे देश हैं जिनके पास न्यूक्लियर हतियार हैं.
20:20इंडिया, पाकिस्तान, चाइना, यूएसे, फ्रांस, यूके, इस्राईल, रशिया और नौर्थ कोरियम.
20:26लेकिन अच्छी चीज़ ये है कि पिछले 80 सालों में दुबारा से कोई और न्यूक्लियर हतियार इस्तिमाल नहीं किया गया है.
20:33वीडियो पसंद आया तो चेर्णोविल की पूरी कहाणी जान सकते हैं इस वीडियो में यहां क्लिक करके.
20:39थोड़ा और न्यूक्लियर रेआक्शेंज के बारे में आप समझ पाएंगे.
20:42मिलते हैं अगले वीडियो में. बहुत-बहुत धन्यवाद.

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