Dhruv Rathee - What if Whole World runs on 100% Solar Energy | D..

  • 2 months ago
Solar Energy is growing at a rapid pace and across the whole world. It has turned out to be the cheapest form energy today. But have you ever thought what would happen if we cover all the deserts of this world with solar power plants? Can it power the whole world? If yes, how? If no, then what are the cons of solar energy? Watch this video by Dhruv Rathee to find out the answer to all these questions.
Transcript
00:00नमस्कार दोस्तों! राजिस्थान के जोदपूर डिस्ट्रिक्ट में गाओ है भडला करके
00:04यहाँ पर बड़ी गर्मी पढ़ती है
00:06गर्मियों में यहाँ पर आमतोर पर तापमान होता है
00:0846 से लिखर 48 डिग्री सेल्शिस के बीच में
00:11और बड़े ही भयांकर रेत के तूफान भी यहाँ पर आते है
00:14इस जगह को अगर आप सैटलाइट से देखोगे
00:16तो यह कुछ ऐसी दिखती थी
00:182015-16 में
00:19लेकिन आज के दिन आप इस जगह की सैटलाइट इमेज देखेंगे
00:22तो आपको यह दिखाई देगा
00:24भडला सोलर पार्क
00:26क्या आप जानते हैं दोस्तो यह ना सिर्फ इंडिया में
00:28बलकि पूरी दुनिया में सबसे बड़ा सोलर पार्क है
00:3014,000 एकड की जमीन पर
00:32यानि अल्मोस 56 स्कॉयर किलोमेटर जमीन पर
00:35यहां सोलर पैनल्स लगाए गए हैं
00:37जब आप इस साटेलाइट व्यू से थोड़ा जूम इन करके
00:39जूम आउट करेंगे तब आपको अंदाजा होगा
00:41कि यह एकच्छिली में है कितना बड़ा
00:43यह इतना बड़ा है कि आधा पैरिस का शहर
00:45इसमें फिट बैठ जाएगा
00:47इसके पासिटी है 2245 मेगा वड्स
00:49यानी यह एक सिंगल सोलर पार्क
00:51इतनी बिजली प्रडीूस कर सकता है
00:53कि पूरे कॉलकता शहर की
00:55बिजली रिक्वार्यमेंट पूरी हो जाएगी
00:57इमाजिन करके देख सकते हो
00:59ऐसे बड़े सोलर पार प्लांट्स आपको
01:01सोलर एनरजी की पोटेंशल दिखाते हैं
01:03अगर इंडिया से बाहर बात करें
01:05तो मरोको देश को वर्ल्ड लीडर माना जाता है
01:07सोलर एनरजी के मामले में
01:09पूरे देश में करीब 20% बिजली जेनरेशन
01:11सोलर एनरजी से होती है और
01:13आपको मरोको में मिलेगा
01:17कॉंसेंट्रेटिट का मतलब है ऐसे सोलर पार प्लांट्स
01:19जो संलाइट से हीट जेनरेट करते हैं
01:21संलाइट को एक तरफ कॉंसेंट्रेट करके
01:23इन टूब्स में जो आपको टूब्स सामने दिख रही है
01:25और इस थर्मल एनरजी से बाद में बिजली प्रड्यूस होती है
01:28दूसरी तरफ जो नॉर्मल सोलर पैनल्स होते हैं
01:30वो फोटो-ओल्टाइक सोलर पैनल्स होते हैं
01:32जैसे कि जो राजिस्थान में लगे हुए हैं
01:34वो सीधा संलाइट को एलेक्ट्रिकल चार्जेस में कनवर्ट करते हैं
01:37लेकिन एक इंटरेस्टिंग सवाल यहाँ पर उठता है
01:39कि ऐसे बड़े सोलर प्रोजेक्ट को हम कितना बड़ा और बना सकते हैं
01:43क्या हम ऐसा कर सकते हैं कि पूरे रेगिस्थान को सोलर पैनल से ही बढ़ दिया जाये
01:47क्या होगा अगर हम पूरे साहरा डेजर्ट को सोलर पैनल से ही कवर कर दे तो
01:51क्या पूरी दुनिया की एलेक्ट्रिकिटी डिमांड्स को
01:53सिरफ इन सोलर पैनल से ही कवर किया जा सकता है
01:57अगर यह बत करेंगे तो पूरी दुनिया की बिजली की जरूरते पूरी करने के लिए
02:24हमें पूरे साहरा डेजर्ट को सोलर पैनल से कवर करने की भी जरूरत नहीं है
02:28धरती पर इतनी ज्यादा सोलर एनरजी पढ़ती है कि आप यकीन नहीं करोगे
02:32हर समय 173,000 टेरा वाट्स सोलर एनरजी धरती पर पढ़ती है
02:37और ये पूरी दुनिया की टोटल एनरजी कंजंप्शन से 10,000 गुना ज्यादा है
02:41अनुमान लगाया गया है कि धरती पर पढ़ने वाली संलाइट सिरफ डेड़ घंटे के लिए
02:46पूरी दुनिया की साल भर की एनरजी कंजंप्शन पूरी कर सकती है
02:50तो इसका मतलब है कि काफ़ी छोटे एरिया पर सोलर पैनलन्स लगाने से ही दुनिया की सारी जरूरते पूरि हो जाएंगी
02:56अब यहाब र कितने छोटे एरिया की बात करी जा रही है
02:59Exactly कितनी जमीन पर सोलर पैनलन्स लगाने पड़ेंगे
03:02एक एस्टिवेट निकाला था एक औरत नाडीन मेने अपनी रीसर्च थीसिस में, साल 2005 में
03:07उन्होंने कहा नौर्थ आफ्रिका के हिस्से में अगर आप जूमिन करोगे
03:10इतने छोटे से एरिया में यह जो रेड्ड स्क्वेर दिखने लग रहा है
03:13यहाँ पर अगर आपने सोलर पैनल्स लगाये तो पूरे यूरोप की जितनी बिजली की जरूरते हैं
03:17वो सारी पूरी हो जाएंगे
03:18इससे थोड़ा सा बड़ा स्क्वेर बनाय जाये
03:20एक ऐसा स्क्वेर जिसका साइज हो 254 किलोमेटर पै 254 किलोमेटर
03:25सिरफ यहाँ पर लगाये गए सोलर पैनल्स काफी होंगे
03:27पूरी दुनिया की बिजली की जरूरते पूरी करने के लिए
03:30है ना बहुती माइंड ब्लॉइंग चीज
03:32लेकिन यह एस्टिमेट थोड़ा पुराना है
03:332005 में किया गया था
03:36बहुत ज़्यादा डिमांड बढ़ चूकी है दुनिया भर में
03:38तो इससे थोड़ा और ज्यादा रियलिस्टिक एस्टिमेट बनाय गया
03:41जो कि कुछ ऐसा देखता है
03:42यह आपको मिल जाएगा लैंड आर्ड जेनेरेटर डौट और्ग वेबसाइट पर
03:45इसमें अजम्शन्स लगाए गए हैं कि यहाँ पर लगाएगा
03:48सोलर पैनल्स की एफिशन्सी होगी 20%
03:50इस एस्टिमेट में दुनिया के सिर्फ एक जगह पर सोलर पैनल्स नहीं लगा रखे
03:54बलकि दुनिया में अलग-अलग जगहों पर चोटे-चोटे स्क्वेर्स आपको दिख रहे हैं
03:57थोड़ा और डिस्टिब्यूट कर दिया है
03:59और कहा है कि इन जगहों पर अगर इतने बड़े-बड़े साइस के सोलर पार प्लांट बना जाएंगे
04:03तो पूरी दुनिया की रिक्वार्यमेंट पूरी हो जाएंगे
04:06और क्या एसंप्शन्स लिए हैं यहाँ पर यह कैल्कुलेशन करते वक्त
04:09और एक्जाक्ट कैल्कुलेशन क्या हैं अगर आप यह जानना चाते हैं
04:11तो इस वेबसाइट का लिंक मैं इशे डिस्क्रिप्शर में डाल दूँगा आप जाकर देख सकते हैं
04:15लेकिन कूल मिला के बात यह है कि करीब पांच लाग स्क्वैर किलोमेटर की जमीन हमें चाहिए होगी
04:20इतनी बड़ी जमीन पर हमें सोलर पैनल्स लगाने होंगे दुनिया भर की एनरजी डिमांड मीट करने के लिए
04:25पांच लाग स्क्वैर किलोमेटर बहुत बड़ा साइस लग रहा है सुनने में
04:28लेकिन ये मत भूलिये जो शुरू में मैंने आपको राजिस्थान में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार प्लांट दिखाये था
04:33उसका साइस था अरांड 56 स्क्वैर किलोमेटर
04:36तो दुनिया भर में 9,000 ऐसे और सोलर पार प्लांट बनाये जाएंगे
04:41सिर्फ इंडिया की बात करें तो इंडिया की जो पीक एलेक्ट्रिसिटी डिमांड है
04:469 जून 2022 को देखी गई थी एट रिकॉर्ड औफ 210,793 मेगा वाट्स
04:52यानि अप्रोक्समेटली 2,00,000 मेगा वाट्स
04:55और हमने क्या देखा वो जो राजिस्थान वाला सोलर पार प्लांट है
04:58वो तो 2,000 मेगा वाट्स से जादा ही जा रहा है
05:00यानि सिर्फ इंडिया की ज़रूरेते पूरी करने के लिए
05:02वैसे ही 100 और पार प्लांट बना दे हम इंडिया में
05:06तो अपने देश की भी सारी बिजली की ज़रूरेते पूरी हो जाएंगी
05:09सिर्फ सोलर एनरजी का इस्तिमाल करके
05:11अच्छा एक बर यह वो दुनिया वाले एस्टेमेट पर वापस आएं
05:13वो जो 5,00,000 स्कॉर किलोमेटर वाला एस्टेमेट है
05:15तो कुछ बड़ी इंडरेस्टिंग कमपैरेजन्स हमें देखने को मिलते हैं
05:18अमेरिका में जो हाइवेज भिचाए गए हैं
05:20अगर जो टोटल एरिया आप सारे हाइवेज का देखोगे
05:23वो निकल के आता है अराउंड 94,000 स्कॉर किलोमेटर
05:25यानि ये करीब 20% हो गया उस पांच लाग की जरूरत तक का
05:28और अमेरिका भी अपने आप में करीब दुनिया की 20% एनरजी कंज्यूम करता है
05:33इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका ने जितना पैसा स्पेंड किया है सढके विचाने में गाडियों के लिए
05:38उतने ही एरिया पर अगर सोलर पैनन्स लगाय जाये तो अमेरिका की सारी बिजली की डिमांड सिरफ सोलर एनरजी से ही पूरी हो जाये
05:45एसा ही एक बड़ा इंटरेस्टिंग कमपारिजन है गॉल्फ कोर्सिस के साथ
05:48एक टिपिकल गॉल्फ कोर्स का साइज होता है एक स्क्वेर किलोमेटर
05:51दुनिया भर में आज के दिन करीब 40,000 गॉल्फ कोर्सिस हैं
05:54यानि उन गॉल्फ कोर्सिस की जगह अगर सोलर फाम्स बनाये जाये
05:58तो अल्मोसt 10% requirement तो यहीं पूरी हो गए
06:01तो जाहिर सी बात है सुनने में बहुत अच्छा लगता है यह प्लैम
06:04अगर इतना ही अच्छा है तो दुनिया भर की सरकारे यह कर क्यों नहीं रहे
06:07क्योंकि ओबिसली दोस्तों जब हम प्राक्टिकली सोचने लगते हैं
06:11सबसे पहली हो गए जियो-पॉलिटिक्स की प्राब्लम
06:14अगर यह सहारा डेजर्ट के अरांड जो देश हैं इनही में ही सोलर पैनल्स लगाए जाएंगे
06:19तो बाकी देशों को इन देशों पर डिपेंडेंट रहना पड़ेगा
06:22बहुत ज़्यादा पावर आ जाएगी इन देशों के हातों में जो की और देश चाहेंगे नहीं
06:26और एनरजी के नाम पर वैसे भी इतिहास में बहुत जंग छेड़ी जा चुकी है जो तेल के नाम पर होई है जैसे
06:31क्योंकि तेल कुछ ही देशों में ज्यादा पाए जाता है अगर सोलर एनरजी के साथ भी होने लग गया तो फिर से यही परबलम्स क्रियेट हो सकती है
06:38इसके लावा दूसरी सबसे बड़ी परबलम है एनरजी को डिस्टिप्यूट करने के
06:41हमने इतने बड़े बड़े सोलर पार्क्स बना दिये मानलो साहरा डेजर्ट में या बाकी और जगाओं पर दुनिया में उस बिजली को दुनिया के कोने कोने में पहुचाने तक बहुत पैसा लगेगा बहुत बिजली खर्च होगी और बहुत वेस्टेज भी होगी
06:54सही सुना आपने जब बिजली को एक से दूसरी जगें ट्रांस्मिट करते हैं तो ट्रांस्मिशन में कुछ लॉसिस तो आते ही आते हैं
07:00तीसरी बड़ी प्रॉबलम आईगी मेंटेनिंज की इतने सारे सोलर पैनल्स को मेंटेन कौन करेगा उन्हें रेगिलरली साफ करने की ज़रूरत होती है एसपेशली अगर उन्हें रेगिस्तान जैसी जगहों पर लगाय जा रहा है जहांपर रेद के तुफान आते हैं तो �
07:30अगली बड़ी प्रॉबलम आईगी लाइफ साइकल की ऐसा तो है नहीं कि एक बारी सोलर पैनल्स लगा दिये
07:35तो अगले हजारों, दस हजारों सालों तक वो बिजली प्रडीूस करते रहेंगे
07:39इस सोलर पैनल्स का एक लाइफ स्पैन होता है जो कि आम तौर पर 25 साल का होता है
07:43तो 25 साल तक हमें एलेक्ट्रिसिटी एनर्जी मिलेगी उसके बाद हमें इने रिपलेस करना पड़ेगा
07:48बहुत सारे रीसौर्सिस खर्चोंगे, बहुत सारा पैसा लगेगा
07:51और पैसो की बात करते हुए सबसे बड़ी प्रॉबलम जो सामने खड़ी है वो तो पैसो की ही है
07:56क्यों नहीं हम पूरे देश में इस राजिस्थान सोलर पार प्लांट के साइस के ही 100 और पार प्लांट बना देते
08:01क्योंकि पैसा नहीं है इतना, कहाँ से आएगा इसके लिए पैसा?
08:04तो इतनी सारी प्रॉबलम्स हैं हमारे सामने, क्या कोई सलूशन है इन प्रॉबलम्स का?
08:08सलूशन तो बिलकुल है, एक बड़ा सलूशन जो सामने दिखता है वो यह है, कि सोलर एनरजी को इन बड़े सोलर पार्क्स में इमाजिन करने की जगह हैं, इंडिविज्वल लेवल पर इमाजिन करो.
08:18बहुत सी जो प्रॉबलम्स इन बड़े स्केल पर आ रही हैं, वो इंडिविज्वल लेवल पर नहीं आईंगे, अगर लोगों ने अपने घरों में सोलर पैनल्स लगाने शुरू कर दियें, जियो-पॉलिटिक्स की कोई प्रॉबलम्स नहीं है, मेंटेनेंस करना बहुत अ
08:48चाहे आप इंडिया के किसी भी स्टेट में रहते हो, अगर आपके घर के ऊपर रूफटॉप सोलर लगाने की जेगें हैं,
08:52तो आपको बहुत फायदा होगा.
08:53तो इंडिविज्विज्वल सोलर सिस्टम्स की बात करें दोस्तो, ये दो टाइप्स के होते हैं.
08:57एक है आउन ग्रिड और दूसरा है आफ ग्रिड.
08:59आउन ग्रिड का मतलब है कि आपने जो अपने घर में सोलर सिस्टम लगा रखा है,
09:03वो ग्रिड से कनेक्टेड है.
09:04नेट मीटरिंग की फैसिरिटी इसमें आपको मिलती है.
09:07मतलब जब धूप निकली होई है,
09:09जो भी बिजली आपके सोलर पैनल्स प्रडूस कर रहे हैं,
09:11उससे पहले आपके घर को बिजली मिलेगी.
09:13ज्यादा बिजली बन रही है, तो वो ज्यादा बिजली ग्रिड में चली जाएगी.
09:16ताकि बाकी लोग इस्तिमाल कर सकें.
09:18और जब रात का समय आठा है, जब आपके पास शोलर पैनल से बिजली नहीं आ रही है,
09:22तो आप ग्रिड से बिजली इस्तिमाल करते हैं.
09:24जो आप बिजली इस्तिमाल करेंगे, उसकी कॉस्ट आपको भर नहीं पढ़ेगी,
09:27लेकिन जो आप बिजली ग्रिड में देंगे, उसके लिए आपको पैसे मिलेंगे.
09:31तो जो यहाँ पर नेट बना, सिर्फ वो ही आपका बिजली का बिल आएगा.
09:34इसे नेट मेटरिंग कहते हैं.
09:36दूसरा उप्षण है ओफ ग्रिड सिस्टम्स.
09:37इसका मतलब है कि आपने आपने सोलर सिस्टम्स को ग्रिड से कनेक्ट नहीं कर रखा.
09:41आपने उसे एक बैटरी से कनेक्ट कर रखा है.
09:43जब रात में सोलर एनरजी नहीं एवेलेबल है,
09:45तो बैटरी में जाकर एनरजी स्टोर होने लग रही है.
09:48और उस बैटरी का आप इस्तिमाल करते हैं अपने घर की बिजली चलाने के लिए.
09:51इस वाले में प्रॉबलम यह है कि बैटरी इसकी कॉस्ट अक्सर बहुत हाई होती हैं.
09:55तो इसलिए ओन ग्रिड सिस्टम लगाना ही फायदे मन रहता है.
09:58लाइफ साइकल की बात करें तो जैसे मैंने बता एक आम सोलर पैनल का एवरिज लाइफ साइकल होता है 25 साल का.
10:03तो एक इंडिविज्वल के पस्पेक्टिफ से यह एक वन टाइम इंवेस्ट्मेंट है और अगले 25 सालों तक आपको फ्री एलेक्ट्रिसिटी मिलने लग रही है.
10:10अब घरों पर सोलर पैनल लगाने को एक लेवल और उपर ले जाएं, तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता?
10:38इन घरों को देखिये इन्हें हीलियो ट्रोप्स कहा जाता है, पहला ऐसा घर बनाया गया था फ्राइबॉर्ग जर्मनी में साल 1994 में, बहुती फ्यूटुरिस्टिक कॉंसेप्ट दिखता है और यह एक ऐसा घर है जो कम्प्लीटली सोलर पावर्ड है,
10:50रोल्फ डिश नाम के एक जर्मन आर्खिटेक्ट और इंवायमेंटल एक्टिविस्ट ने पहला ऐसा घर बनाया था, यह जो इसकी सिलेंड्रिकल शेप देखने लग रहे हैं, इसके बीचे एक बड़ा परपस है, सरदियों के समय में इस घर की खिड़कियां सन की तरफ फे
11:20होती हैं और वो भी इंडिपेंडेंटली रोटेट करते रहते हैं, दिन के समय में जहां जहां सूरच जाता है, वो सुवर्ज की डारेक्शन में पॉइंट करते रहते हैं, ताकि मैक्सिमम एनर्जी प्रोड़क्षन हो, गरम पाने भी घर में वैक्क्यूम टूब सोलर पैन
11:51तब के बाद से ऐसे कई और हीलियो ट्रोप घर बनाय जा चुके हैं, और ये फिनॉमिना जो है, इसे हीलियो ट्रोपिजम कहते हैं, ये नेचर में हमें देखने को मिलता है
11:58जो फूल होते हैं, संफ्लावर्स होते हैं, वो सन की तरफ फेस करते हैं
12:02दिन के समय में वो फूल खिल जाते हैं, और रात के समय में उनके पेटल्स बंद हो जाते हैं
12:06ठीक वो फ्लावर्स जिस तरीके से काम करते हैं, ये घर भी उसी तरीके से काम कर रहे हैं
12:10तो ओवर ओल देखा जाये तो बहुत सी पोटेंशल है सोलर एनरजी में, अगर हम इंडिविज्वल लेवल पर भी बात करें तो
12:16बेस्ट सलूशन यहाँ पर यह नहीं है कि सिर्फ इंडिविज्वल सोलर पैनस ही लोग अपने घर पर लगाएं और ये सोलर पार्क्स बनाने बंद कर दिये जायें
12:22या फिर सिर्फ सोलर पार्क्स ही बनाये जायें, इंडिविज्वल भूल जायों
12:25जगहें को देखकर, पैसों को देखकर और जरूरत को देखकर दोनों का एक कॉंबिनेशन जरूरी है आपर
12:31अब मैंने बहुत तारीफ करती है इस वीडियो में सोलर एनरजी की तो इसकी दूसरी साइड भी आपको बता देनी चाहिए
12:36क्योंकि ऐसा नहीं है कि सोलर एनरजी एक मैजिक है जिससे दुनिया की सारी प्राब्लम सल्व हो जाएंगे
12:41इसके कई ड्रॉबैक्स भी हैं और कमियां भी हैं येकिन इसके ड्रॉबैक्स वो नहीं है जो शायद आप सोचने लग रहे हो
12:46सबसे बड़ा डिसेडवान्टेज जो लोगों को लगता है सोलर एनरजी का वो ये है कि जब बादल आ जाते हैं
12:50या फिर सरदियों के समय में सोलर एनरजी इतनी अच्छी काम नहीं करेगी
12:54ये एक बहुत बड़ी मिथ है क्योंकि अग समर्स में आप देखेंगे 6 उनिट पर किलियो उाट, क़डय प्रडीउस हो रहा है
12:58तो मॉन्सून के सीजन में ये 3 यूनिट पर किलो ओट पर डे होता है
13:02और विंटरस में 4 यूनिट पर किलो ओट पर डे होता है
13:04तो हाँ थोड़ा सा फ़रक है लेकिन ज्यादा नहीं है
13:06क्योंकि फोटो बॉल्टाइक का जो कॉंसेप्ट है वो रौषनी पर काम करता है
13:10अज लोंग एस आसपास रौषनी काफी है
13:13जहाँ बारिश आ रही हो बादल हो वो काम करेंगे
13:16यही कारण है कि बहुत सी थंडी जगाओं में भी आपको सोलर पैनल्स देखने को मिलेंगे
13:20यह नौर्धन एरोपियन कंट्रीज में भी बहुत से घरों में सोलर पैनल्स लगाए जाते हैं
13:24इवन थो वहाँ पर ज़्यादा थंड पड़ती है
13:25क्योंकि एस लोंग एस यहाँ पर रोषनी आपको आ रही है तो यह काम करते हैं
13:29तो अगर यह डिसडवांटेज नहीं है तो क्या है अक्शली में डिसडवांटेज
13:32सबसे बड़ा है कारबन एमिशिन्स को लेकर
13:35इसके बीचे रीजन यह है कि ज्यादा तर सोलर सेल्स अक्शली में
13:37सिलिकोन, सेमी कंडॉक्टर्स और ग्लास से बनते हैं
13:39साती साथ मेटल्स जैसे की सिल्वर, कॉपर, इंडियम, टेलरियम का इस्तेमाल किया जाता है
13:45एक सोलर पैनल को बनाने के लिए इन मेटिरियल्स को एक्स्ट्रैक्ट करना पड़ता है
13:48जिसकी एक भारी इंड्वायमेंटल कोस्ट भी होती है
13:51सिलिकोन और ग्लास को कलेक्ट करना कोई परॉबलम नहीं है
13:53वो हर जगह मिलते हैं और एक नॉन-टॉक्सिक तरीका है
13:55लेकिन जिन मेटिल्स की यहाँ पर बात करी गई है
13:57सिल्वर, कॉपर और जो बाकी और मेटिल्स थे
14:00उनकी माइनिंग करनी पड़ती है
14:01और वो माइनिंग करने से सोयल, वोटर और एर पलूशन होता है
14:05ग्रीन आउस गैस एमिशिन्स फैलते हैं
14:07इसके लावा जो पूरा प्रोसेस होता है
14:08सोलर पैनल्स को फैक्टरीज में मैनिफैक्ट्र करने का
14:11उस से अपने कार्बन एमिशिन्स निकलते हैं
14:13अबिसली यहाँ पर यह भी कंसिडर करना चाहिए
14:15कि अगर हम सीधा फॉसल फ्यूल से कमपेर करें
14:18उनके कमपेरिजन में तो अबिसली बेटर है इन्वायमेंट के लिए
14:21सोलर एनर्जी का इस्तिमाल करना
14:23लेकिन पॉइंट यहाँ पर यह है कि ऐसा नहीं है
14:25कि सोलर एनर्जी कम्प्लीटली जीरो इम्पैक्ट होता है
14:28इसका इन्वायमेंट पर
14:29एस्टिमेट लगाय जाता है करीब 20 गुना कम कार्बन आउटपूट है
14:33सोलर एनर्जी का सोलर पैनल्स का अगर हम कोल से कमपेर करें तो
14:36इसके लावा दूसरा बड़े डिसेडवान्टेज है
14:38सोलर पैनल्स की लाइफ साइकल
14:40तब क्या होगा जब सोलर पैनल्स की लाइफ साइकल खतम हो जाएगे
14:43आप बोलोगे उसे रिपलेस कर देंगे हम
14:45लेकिन जो पुराना सोलर पैनल्स है उसका क्या होगा?
14:47क्या उसे रीसाइकल किया जाएगा?
14:49आज के दिन सोलर पैनल्स को रीसाइकल करना
14:51इकनोमिकली इतना प्राफिटेबल नहीं है
14:53आज के दिन इतनी ज़रूरत भी नहीं पड़ी है
14:55सोलर पैनल्स को रीसाइकल करने की
14:57क्योंकि 1970s में लगाएगे सोलर पैनल्स भी
14:59आज तक चलने लग रहे हैं
15:0150 साल के बाद उनकी एफिशेंसी कम हो जाती है
15:04लेकिन एक समय जरूर आएगा फ्यूचर में
15:06जब बहुत से सोलर पैनल्स को
15:08रिपलेस करने की ज़रूरत पड़ेगी
15:10तो ये कुछ चीज़े जिनका फ्यूचर में ध्यान रखना पड़ेगा
15:12लेकिन अगर फ्यूचर देखा जाए सोलर एनरजी का
15:15तो वो काफ़ी ब्राइट है
15:16साल भर साल सोलर पैनल्स को प्रडीूस करने की कोस्ट
15:18नीचे जाती रह रही है
15:20नई टेकनोलोजीजीजी और इनोवेशिन्स देखने को मिल रही है
15:22एफिशेंसी बढ रही है सोलर पैनल्स की
15:24लोग और क्रियेटिव तरीके दून रहे हैं
15:26सोलर एनरजी को जेनरेट करने के
15:28ना सिर्फ जमीन पर, ना सिर्फ घरों में
15:30बलकि वार्टर बॉडीज की उपर भी
15:32केरेला में आपको फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट्स देखने को मिलेंगे
15:36मॉलदीर्स में भी ऐसी फ्लोटिंग सोलर पैनल्स बनाए गए हैं
15:39टूरिश रिजोर्ट्स को पावर करने के लिए
15:41ट्रांस्पोर्ट के सेक्टर में इनका इंट्रोडक्षन देखने को मिला है
15:44पर सोलर पैनल्स लगाना शायद आपको इतना इंट्रेस्टिंग ना लगे
15:46लेकिन बोट्स और एरो प्लेइन्स पर भी इन्हे लगा के टेस्ट किया जा रहा है
15:50संट 21 सोलर बोट गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्ड करती है
15:54सबसे कम समय में एट्लांटिक ओशन को क्रॉस किया
15:58सिरफ सोलर एनरजी के इस्तिमाल पर
16:00सोलार इमपल्स 2 एक एरो प्लेइन है जिस पर 17,000 सोलर सेल्स लगा गये हैं उसके विंग्स पर
16:0540,000 किलोमेटर ए प्लेइन उड़ चुका है बिना किसी फ्यूल का इस्तिमाल करें
16:09और इन सारे क्रियेटिव आइडियाज को अगर हम और फ्यूचर में लेकर जाएं
16:12तो और भी फ्यूचरिस्टिक आइडियाज डिसकस्किय जा रहे हैं
16:15जैसे कि सोलर पैनल्स को स्पेस में लगाना
16:18अक्शिली एक फ़न फैक्ट यहाँ पर सुनकर आपको शायट सर्पराइजिंग लगे
16:21सबसे पहला इस्तिमाल सोलर एनरजी का स्पेसक्राफ्ट्स नहीं किया था
16:241950s में पहली आर्टिफिशल सैटलाइट जिस पर सोलर सैल्स लगे थे
16:42आज के दिन तक यह सैटलाइट ओर्बिट में चलने लग रही है
16:45आज के दिन 50 से ज़्यादा ब्रिटिश टेकनलोजी ओर्गनाइजेशन्स
16:48जैसे की एरबस, UK Space Energy Initiative
16:51यह सब साथ में आये है कॉलाबरेट करने के लिए
16:53कि एक सोलर पावर प्लांट स्पेस में बनाया जाए
16:56इनका आईडिया है कि एक ओर्बिटिंग पावर प्लांट हो
16:59जैसे सैटलाइट धर्ती के राउं ओर्बिट करती रहती है
17:02हम इतने सारे सोलर प्लांट लगाए हैं
17:04कि वो इतनी ज्यादा एनर्जी प्रडीूस करे
17:06कि उसे धर्ती पर बीम डाउन करके इस्तिमाल किया जा सके
17:09यह कहते हैं कि माईकरो वेव्स का इस्तिमाल करेंगे
17:11धर्ती पर उस एनर्जी को बीम करने के लिए
17:15बहुत सी प्रॉबलम्स जो धर्ती पर होती है
17:17जैसे कि रात आजाती है, बादल आजाती है, बारिश आजाती है, डस्ट आता है
17:20यह सारी प्रॉबलम्स स्पेस में देखने को नहीं मिलेंगी
17:23तो एस्टिमेट लगा जाता है कि ऐसा सोलर सिस्टम जो स्पेस में लगाया जाएगा
17:27वो तेरा गुना ज्यादा एनर्जी प्रडूस करेगा धर्ती पर लगाएगा इस सेम सोलर सिस्टम से
17:32इनका प्लान है कि 2035 तक ये हकीकत बन पाए
17:35लेकिन टाइम ही हमें बताएगा कि कितना पॉसिबल हो सकता है
17:39आज के इस वीडियो के लिए इतना ही अगर ये वीडियो पसंद आया
17:41और टेकनोलोजी और साइंस रेलिटेट वीडियो देख सकते हैं आप इस प्लेलिस्ट पर क्लिक करके
17:45बहुत-बहुत धन्यवाद

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