Surah Nuh Verse 1 To 4
Verse 1
إِنَّآ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِۦٓ أَنْ أَنذِرْ قَوْمَكَ مِن قَبْلِ أَن يَأْتِيَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ ١
Indeed, We sent Noah to his people ˹saying to him˺, “Warn your people before a painful punishment comes to them.”
निःसंदेह हमने नूह़ को उनकी जाति की ओर भेजा कि अपनी जाति को सावधान कर दो, इससे पहले कि उनके पास दर्दनाक यातना आ जाए।
Verse 2
قَالَ يَـٰقَوْمِ إِنِّى لَكُمْ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌ ٢
Noah proclaimed, “O my people! I am truly sent to you with a clear warning:
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! निःसंदेह मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से डराने वाला हूँ।
Verse 3
أَنِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ وَٱتَّقُوهُ وَأَطِيعُونِ ٣
worship Allah ˹alone˺, fear Him, and obey me.
कि अल्लाह की इबादत करो तथा उससे डरो और मेरी बात मानो।
Verse 4
يَغْفِرْ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمْ وَيُؤَخِّرْكُمْ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّى ۚ إِنَّ أَجَلَ ٱللَّهِ إِذَا جَآءَ لَا يُؤَخَّرُ ۖ لَوْ كُنتُمْ تَعْلَمُونَ ٤He will forgive your sins, and delay your end until the appointed time.1 Indeed, when the time set by Allah comes, it cannot be delayed, if only you knew!”
वह तुम्हारे लिए तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा तथा तुम्हें एक निर्धारित समय1 तक मोहलत देगा। निश्चय जब अल्लाह का निर्धारित समय आ जाता है, तो वह टाला नहीं जाता, काश कि तुम जानते होते।
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Verse 1
إِنَّآ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِۦٓ أَنْ أَنذِرْ قَوْمَكَ مِن قَبْلِ أَن يَأْتِيَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ ١
Indeed, We sent Noah to his people ˹saying to him˺, “Warn your people before a painful punishment comes to them.”
निःसंदेह हमने नूह़ को उनकी जाति की ओर भेजा कि अपनी जाति को सावधान कर दो, इससे पहले कि उनके पास दर्दनाक यातना आ जाए।
Verse 2
قَالَ يَـٰقَوْمِ إِنِّى لَكُمْ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌ ٢
Noah proclaimed, “O my people! I am truly sent to you with a clear warning:
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! निःसंदेह मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से डराने वाला हूँ।
Verse 3
أَنِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ وَٱتَّقُوهُ وَأَطِيعُونِ ٣
worship Allah ˹alone˺, fear Him, and obey me.
कि अल्लाह की इबादत करो तथा उससे डरो और मेरी बात मानो।
Verse 4
يَغْفِرْ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمْ وَيُؤَخِّرْكُمْ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّى ۚ إِنَّ أَجَلَ ٱللَّهِ إِذَا جَآءَ لَا يُؤَخَّرُ ۖ لَوْ كُنتُمْ تَعْلَمُونَ ٤He will forgive your sins, and delay your end until the appointed time.1 Indeed, when the time set by Allah comes, it cannot be delayed, if only you knew!”
वह तुम्हारे लिए तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा तथा तुम्हें एक निर्धारित समय1 तक मोहलत देगा। निश्चय जब अल्लाह का निर्धारित समय आ जाता है, तो वह टाला नहीं जाता, काश कि तुम जानते होते।
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