Verse 1
يُسَبِّحُ لِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۖ لَهُ ٱلْمُلْكُ وَلَهُ ٱلْحَمْدُ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌ ١
Whatever is in the heavens and whatever is on the earth ˹constantly˺ glorifies Allah. The kingdom is His, and all praise is for Him. For He is Most Capable of everything.
अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करती है प्रत्येक चीज़, जो आकाशों में है तथा जो धरती में है। उसी का राज्य है और उसी की सब प्रशंसा है तथा वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
Verse 2
هُوَ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ فَمِنكُمْ كَافِرٌۭ وَمِنكُم مُّؤْمِنٌۭ ۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ ٢
He is the One Who created you, yet some of you are disbelievers while some are believers. And Allah is All-Seeing of what you do.
वही है जिसने तुम्हें पैदा किया। फिर तुममें से कोई काफ़िर है और तुममें से कोई ईमान वाला है। तथा तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसे खूब देखने वाला है।1
Verse 3
خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِٱلْحَقِّ وَصَوَّرَكُمْ فَأَحْسَنَ صُوَرَكُمْ ۖ وَإِلَيْهِ ٱلْمَصِيرُ ٣
He created the heavens and the earth for a purpose. He shaped you ˹in the womb˺, perfecting your form. And to Him is the final return.
उसने आकाशों तथा धरती को सत्य के साथ पैदा किया। तथा उसने तुम्हारे रूप बनाए, तो तुम्हारे रूप अच्छे बनाए। और उसी की ओर लौटकर जाना है।
Verse 4
يَعْلَمُ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُسِرُّونَ وَمَا تُعْلِنُونَ ۚ وَٱللَّهُ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ ٤
He knows whatever is in the heavens and the earth. And He knows whatever you conceal and whatever you reveal. For Allah knows best what is ˹hidden˺ in the heart.
वह जानता है जो कुछ आकाशों और धरती में है। तथा वह जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ तुम प्रकट करते हो। और अल्लाह दिलों के भेद को भली-भाँति जानने वाला है।
Verse 5
أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَؤُا۟ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن قَبْلُ فَذَاقُوا۟ وَبَالَ أَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ ٥
क्या तुम्हारे पास उन लोगों की खबर नहीं आई, जिन्होंने इससे पहले कुफ़्र किया। फिर उन्होंने अपने कर्म का दुष्परिणाम चखा? और उनके लिए दुःखदायी यातना है।
Verse 6
ذَٰلِكَ بِأَنَّهُۥ كَانَت تَّأْتِيهِمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ فَقَالُوٓا۟ أَبَشَرٌۭ يَهْدُونَنَا فَكَفَرُوا۟ وَتَوَلَّوا۟ ۚ وَّٱسْتَغْنَى ٱللَّهُ ۚ وَٱللَّهُ غَنِىٌّ حَمِيدٌۭ ٦
That was because their messengers used to come to them with clear proofs, but they said ˹mockingly˺, “How can humans be our guides?” So they persisted in disbelief and turned away. And Allah was not in need ˹of their faith˺. For Allah is Self-Sufficient, Praiseworthy.
यह इस कारण कि उनके पास उनके रसूल खुली निशानियाँ लेकर आते थे। तो उन्होंने कहा : क्या मनुष्य हमें मार्गदर्शन1 करेंगे? चुनाँचे उन्होंने इनकार किया और मुँह फेर लिया। और अल्लाह ने परवाह न की तथा अल्लाह बेनियाज़, सर्व प्रशंसित है।
Verse 7
يُسَبِّحُ لِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۖ لَهُ ٱلْمُلْكُ وَلَهُ ٱلْحَمْدُ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌ ١
Whatever is in the heavens and whatever is on the earth ˹constantly˺ glorifies Allah. The kingdom is His, and all praise is for Him. For He is Most Capable of everything.
अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करती है प्रत्येक चीज़, जो आकाशों में है तथा जो धरती में है। उसी का राज्य है और उसी की सब प्रशंसा है तथा वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
Verse 2
هُوَ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ فَمِنكُمْ كَافِرٌۭ وَمِنكُم مُّؤْمِنٌۭ ۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ ٢
He is the One Who created you, yet some of you are disbelievers while some are believers. And Allah is All-Seeing of what you do.
वही है जिसने तुम्हें पैदा किया। फिर तुममें से कोई काफ़िर है और तुममें से कोई ईमान वाला है। तथा तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसे खूब देखने वाला है।1
Verse 3
خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِٱلْحَقِّ وَصَوَّرَكُمْ فَأَحْسَنَ صُوَرَكُمْ ۖ وَإِلَيْهِ ٱلْمَصِيرُ ٣
He created the heavens and the earth for a purpose. He shaped you ˹in the womb˺, perfecting your form. And to Him is the final return.
उसने आकाशों तथा धरती को सत्य के साथ पैदा किया। तथा उसने तुम्हारे रूप बनाए, तो तुम्हारे रूप अच्छे बनाए। और उसी की ओर लौटकर जाना है।
Verse 4
يَعْلَمُ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُسِرُّونَ وَمَا تُعْلِنُونَ ۚ وَٱللَّهُ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ ٤
He knows whatever is in the heavens and the earth. And He knows whatever you conceal and whatever you reveal. For Allah knows best what is ˹hidden˺ in the heart.
वह जानता है जो कुछ आकाशों और धरती में है। तथा वह जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ तुम प्रकट करते हो। और अल्लाह दिलों के भेद को भली-भाँति जानने वाला है।
Verse 5
أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَؤُا۟ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن قَبْلُ فَذَاقُوا۟ وَبَالَ أَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ ٥
क्या तुम्हारे पास उन लोगों की खबर नहीं आई, जिन्होंने इससे पहले कुफ़्र किया। फिर उन्होंने अपने कर्म का दुष्परिणाम चखा? और उनके लिए दुःखदायी यातना है।
Verse 6
ذَٰلِكَ بِأَنَّهُۥ كَانَت تَّأْتِيهِمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ فَقَالُوٓا۟ أَبَشَرٌۭ يَهْدُونَنَا فَكَفَرُوا۟ وَتَوَلَّوا۟ ۚ وَّٱسْتَغْنَى ٱللَّهُ ۚ وَٱللَّهُ غَنِىٌّ حَمِيدٌۭ ٦
That was because their messengers used to come to them with clear proofs, but they said ˹mockingly˺, “How can humans be our guides?” So they persisted in disbelief and turned away. And Allah was not in need ˹of their faith˺. For Allah is Self-Sufficient, Praiseworthy.
यह इस कारण कि उनके पास उनके रसूल खुली निशानियाँ लेकर आते थे। तो उन्होंने कहा : क्या मनुष्य हमें मार्गदर्शन1 करेंगे? चुनाँचे उन्होंने इनकार किया और मुँह फेर लिया। और अल्लाह ने परवाह न की तथा अल्लाह बेनियाज़, सर्व प्रशंसित है।
Verse 7
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LearningTranscript
00:00بسم الله الرحمن الرحيم
00:06يسبح لله ما في السماوات وما في الأرض
00:12له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير
00:20هو الذي خلقكم فمنكم كافر ومنكم مؤمن
00:29والله بما تعملون بصير
00:34خلق السماوات والأرض بالحق وصوركم فأحسن صوركم وإليه المصير
00:46يعلم ما في السماوات والأرض ويعلم ما تسرون وما تعلنون
00:58والله عليم بذات الصدور
01:05ألم يأتكم نبأ الذين كفروا من قبل فذاقوا وبال أمرهم ولهم عذاب أليم
01:19ذلك بأنه كانت تأتيهم رسلهم بالبينات فقالوا أبشر يهدوننا
01:36فكفروا وتولوا واستغنى الله والله ولي حميد
01:52زعم الذين كفروا أن لن يبعثوا قلبنا وربي لتبعثن ثم لتنبأن بما عملتم
02:15وذلك على الله يسير
02:19فأمنوا بالله ورسوله والنور الذي أنزلنا
02:41والله بما تعملون خبير
02:46يوم يجمعكم يوم الجمع ذلك يوم التغاظ
02:53ومن يؤمن بالله ويعمل صالحا
03:00يكفر عنه سيئاته ويدخله جنات تجري من تحتها الأنهار
03:18خالدين فيها أبدا ذلك الفوز العظيم
03:30والذين كفروا وكذبوا بآياتنا أولئك أصحاب النار خالدين فيها وبئس المصير
03:48ما أصاب من مصيبة إلا بإذن الله ومن يؤمن بالله يهدي قلبه والله بكل شيء عليم
04:16وأطيع الله وأطيع الرسول فإن توليتم فإنما على رسولنا البلاغ المبين
04:30الله لا إله إلا هو وعلى الله فليتوكل المؤمنون
04:45يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ وَأَوْلَادِكُمْ عَدُوًا لَكُمْ فَاحْذَرُوهُمْ وَإِنَّ تَعْفُوا وَتَصْمَحُوا وَتَغْفِرُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
05:11إِنَّمَا أَمْوَالُكُمْ وَأَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ وَاللَّهُ عِندَهُ أَجْرٌ عَظِيمٌ
05:28تلتقوا الله ما استطعتم واسمعوا وأطيعوا وأنفقوا خيرا لأنفسكم ومن يوق شح نفسه فأولئك هم المصلحون
05:52إِنْ تُقْرِضُوا اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا يُضْعِفْهُ لَكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ وَاللَّهُ شَهُورٌ حَرِيمٌ
06:06عَالِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ الْعَزِيزُ الحَكِيمُ