मानसून से पहले नई सडक़ें, बारिश में टूटेंगी और दिवाली से पहले फिर होंगी चमाचम

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राजधानी में सडक़ों बनाने के नाम पर इंजीनियरों ने एक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित कर दिया है। यही वजह है हर वर्ष 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने के बाद भी शहर की सडक़ें चमाचम नहीं हो पाती।

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