दिग्विजय सिंह ने ढूंढा सिंधिया का तोड़, ऐसे संभाली चंबल की जिम्मेदारी

  • 2 years ago
आपने ऐसी कुछ पिक्चरें या सीरियल अक्सर देखे होंगे या कहानियां सुनी होंगी जो ट्रेजर हंट पर बेस्ड होती हैं. ट्रेजर हंट यानि खजाने की खोज में निकलना. ऐसे ही एक खजाने की खोज में इन दिनों मध्यप्रदेश कांग्रेस निकली हुई है. अमूमन ट्रेजर हंट पर निकले लोगों को पास एक नक्शा होता है. इस हंटिंग में कितना जोखिम होगा इसका अहसास आगे बढ़ते बढ़ते ही होता है. लेकिन कांग्रेस का केस कुछ अलग है. कांग्रेस को ये पता है कि खजाने की चाबी कहां छिपी है. और, उस खजाने तक पहुंचने में जोखिम कितना है. इसलिए कांग्रेस ने बिना वक्त गंवाए खजाने को हासिल करने की कवायद शुरू कर दी है..महाराज तो अब कांग्रेस के रहे नहीं. इसलिए जीत का खजाना लेकर आने की जिम्मेदारी राजा ने संभाली है. जो खजाने की इस खोज में सबसे आगे हैं या यूं कहें कि इस रेस को लीड वो ही कर रहे हैं. वैसे भी उन्हें कभी उस गढ़ में अपनी हुकूमत चलाने की इजाजत नहीं मिली जहां हमेशा महाराज काबिज रहे हैं. अब ये महाराज माधव राव सिंधिया हों या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया. इनके कांग्रेस में रहते कभी राजा दिग्विजय सिंह जय विलास पैलेस की सत्ता में दखल नहीं दे पाए. लेकिन अब उनके पास पूरा मौका है.