कश्यप ऋषि का था कश्मीर, शैवों का गढ़ था, क्यों कूच कर गए कश्मीरी पंडित

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कश्मीर का महाभारत काल से भी पुराना इतिहास है। त्रेतायुग में प्रियवत के बेटे मनु प्रथम ने भारतवर्ष बसाया था। इस काल में कश्मीर जनपद था, तब इंद्र का शासन था। सतयुग में कश्यप ऋषि कश्मीर के राजा हुए। कश्मीर का प्राचीन नाम कश्यप सागर भी था। कैस्पियन सागर को भी कश्यप सागर कहा जाता था। कश्यप सागर से कश्मीर तक कश्यप और उनके बेटों का राज्य था।

कश्यप की पत्नी कद्रू ने 8 नागों को जन्म दिया। अनंत, तक्षक, वासुकि, कर्कोटक समेत 8 नाग थे। इन्हीं से नागवंश की स्थापना हुई, अनंतनाग इनकी थी। आज भी कश्मीर की कई जगहों के नाम नागों के नाम पर ही हैं।

कल्हण ने राजतरंगिणी लिखी, इसमें कश्मीर का इतिहास है। राजतरंगिणी में 1184BC से 1129AD तक वर्णन है। इतिहास के मुताबिक- सम्राट अशोक ने श्रीनगर बसाया। कश्मीर शैव धर्म का गढ़ था। 9वीं सदी में यहां शैव धर्म को वसुगुप्त ने स्थापित किया। कल्लट और सोमानंद ने यहां शैव धर्म को फैलाया। शैवाचार्य अभिनवगुप्त ने प्रत्यभिज्ञ दर्शन दिया। कश्मीरी ब्राह्मण गुणाढ्य ने बृहत्कथा लिखी। पंचतंत्र की कहानियां कश्मीर में लिखी गईं।

कश्मीर के सबसे महान राजा कर्कोट वंश के ललितादित्य मुक्तापीड़ थे। कर्कोट वंश के मुक्तापीड़ ने सूर्य मंदिर बनवाया। अशोक के समय बौद्ध धर्म का काफी प्रचार हुआ। कनिष्क के समय कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति हुई। कश्मीर में 14वीं सदी में हिंदू राजाओं का पतन शुरू हुआ। बाद में शाहमीर वंश का शासन आया। इस वंश का सबसे अच्छा शासक जैनुल आबेदीन था। आबेदीन को बड़ शाह भी कहते हैं। 700 साल में कश्मीर से हिंदुओं के 7 बड़े पलायन हुए। द कश्मीर फाइल्स के चलते कश्मीर इस समय हॉट टॉपिक बना हुआ है।