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योग मुद्राएँ कैसे काम करती है और महत्त्व क्या है | How do yoga mudras work and signifiance of mudras
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में रोग असंतुलन के कारण होते हैं, और यह असंतुलन पाँच तत्वों की कमी या अधिकता के कारण होता है। हमारी उंगलियों में इन तत्वो के गुण हैं। प्रत्येक तत्व शरीर में एक विशिष्ठ और महत्वपूर्ण कार्य से संबंधित है। उंगलियाँ वास्तव में विद्युत परिपथ बनाती हैं विभिन्न मुद्राएँ ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित कर शरीर में (पंचतत्व) - पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के संतुलन को प्रभावित करती हैं और स्वास्थ्य लाभ सुगम करती हैं।

मुद्राएँ तंत्रिकाओं से संबंधित होने के कारण मस्तिष्क की सहज संरचना से एक सूक्ष्म संबंध स्थापित करती हैं और मस्तिष्क के उन भागों में अचेतन प्रतिक्रियाओं को प्रभावित भी करती हैं। इस तरह आंतरिक ऊर्जा संतुलित होकर सही दिशा मे प्रवाहित होने लगती है और संवेदी अंगो, ग्रंथियों, तंत्रिकाओं (sensory organs, glands, veins and tendons) के परिवर्तन को प्रभावित करती है। इस तरह योगिक अनुभव का एक नया आयाम खुलता है।

इस मुद्रा में अंगूठा और तर्जनी चिन मुद्रा की तरह एक दूसरे को स्पर्श करते हैं, शेष उंगलियाँ मुड़कर हथेली को स्पर्श करती हैं।
हाथों को जाँघो पर हथेलियों को आकाश की ओर करके रखे और लंबी गहरी उज्जयी साँसे लें।
एक बार फिर साँस के प्रवाह और शरीर पर इसके प्रभाव को महसूस करें।
चिन्मय मुद्रा के लाभ। Benefits of Chinmaya Mudra
शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को सुचारित करती है।
पाचन शक्ति हो बढ़ती है।

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