प्रेम क्या है ?
प्रेम धार्मिक दृस्टि से स्पस्ट रूप में नहीं समझाया गया है। कई प्रेम प्रसंग जैसे कि राधा और कृष्ण या जलांधर और वृंदा की कहानी अधूरी सी छोड़ दी गयी हो ऐसा प्रतीत होता है। ये कहानिया वैज्ञानिक रूप से अधूरी छोड़ी गयी है क्योंकि प्रेम एक जटिल विषय है।
मितेया प्रेम को सीता के पुत्र लव के रूप में समझाते है और कुश अथवा विरक्ति का अर्थ समझाते है। प्रेम के साथ विरक्ति का होना अनिवार्य है। प्रेम को समझाने के लिए मितेया यूनान धर्म का इस्तेमाल करते है और अनेक प्रकार के प्रेम का व्याख्यान करते है।
एक लम्बा परन्तु अन्यन्त महत्वपूर्ण डिस्कोर्स।
मितेया प्रेम को सीता के पुत्र लव के रूप में समझाते है और कुश अथवा विरक्ति का अर्थ समझाते है। प्रेम के साथ विरक्ति का होना अनिवार्य है। प्रेम को समझाने के लिए मितेया यूनान धर्म का इस्तेमाल करते है और अनेक प्रकार के प्रेम का व्याख्यान करते है।
एक लम्बा परन्तु अन्यन्त महत्वपूर्ण डिस्कोर्स।
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