200 साल से नुकसान पहुंचा रही टिड्डियां

  • 4 years ago
नया नहीं है टिड्डी दलों का हमला

आजाद होने से पहले ही लड़ रहे टिड्डियों से
दुनिया में सबसे पुराना है भारत का टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम
आजादी से पहले की गई थी स्थापना
१९३९ में की गई थी टिड्डी नियंत्रण संगठन की स्थापना

क्या आप जानते हैं कि भारत में टिड्डियों का हमला कोई नई बात नहीं है। टिड्डियां हमारे अन्नदाताओं को आज से नहीं बल्कि पिछले २०० से भी अधिक सालों से नुकसान पहुंचा रही हैं। यानी आजादी से भी पहले से टिड्डियां इसी प्रका किसानों की फसल पर हमले कर उन्हें नष्ट करती आ रही हैं लेकिन हमारा देश सालों से उनसे प्रभावी तरीके से लड़ता आ रहा है। टिड्डी चेतावनी संगठन यानी एलडब्ल्यू के अनुसार, भारत में साल 1812, 1821, 1843-44, 1863-67, 1869-73, 1876-81, 1889-98, 1900-1907, 1912-1920, 1926-1931, 1940-1946, 1949-1955, 1959-1962, 1978, 1993, 1997, 2005 और 2010 में टिड्डियों के दल ने बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है। यानी टिड्डियां देश के आजाद होने से पहले ही किसानों की फसलों पर इसी प्रकार हमले करती आ रही हैं जैसे अब कर रही हैं।

टिड्डी नियंत्रण करने के प्रयास
आपको बता दें कि फसलों पर हो रहे लगातार हमलों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने टिड्डी नियंत्रण संगठन की स्थापना की। दरअसल १९२६ और १९३१ में अन्नदाता पर टिड्डियों ने जो हमला किया उससे उन्हें बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा। पूरे देश में किसानों की फसल नष्ट हो गई। एेसे में ब्रिटिश सरकार ने १९३९ में कराची में टिड्डी चेतावनी संगठन की स्थापना की थी। १९३९ में स्थापना के बाद से १९४६ तक इस संगठन का मुख्य काम थार रेगिस्तान में टिड्डी दल की निगरानी करना और तत्कालीन भारतीय राज्यों को रेगिस्तानी टिड्डों के झुंड, उनकी गतिविधि और प्रजनन की संभावना के बारे में चेतावनी जारी करना था। साल 1946 में एलडब्ल्यू , कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत संयंत्र संरक्षण, क्वारंटीन और भंडारण निदेशालय के तहत दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। तब से यह संगठन दिल्ली से काम कर रहा है।