दलित लेखक और एक्टिविस्ट भंवर मेघवंशी कभी आरएसएस के कारसेवक के रूप में बाबरी मस्जिद ढहाने की ख्वाहिश रखते थे लेकिन बाद में उनका आरएसएस से मोहभंग हो गया और उन्होंने संघ छोड़ दिया. मेघवंशी ने 1987 से 1991 तक आरएसएस में अपने सफर के बारे में एक किताब ‘मैं एक कारसेवक था’ में लिखा है. इस किताब को हिंदी में 2019 में प्रकाशित किया गया था. बाद में निवेदिता मेनन ने इसका अनुवाद अंग्रेजी में किया और ये जनवरी 2020 में प्रकाशित की गई.
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