ऐसे नहीं चलेगा प्रेम || आचार्य प्रशांत, कबीर साहब पर (2019)

  • 4 years ago
प्रसंग:

प्रेम-गली अति सांकरी, तामें दो न समाहिं।
जब मैं था तब हरि नहीं, जब हरि है मैं नाहिं।
~कबीर साहब

~ प्रेम तो दो के बीच होता है, एक में प्रेम कैसे संभव है?
~ प्रेम ओर ज्ञान में कौन पहले आता है?
~ कैसे पता चले कि अहंकार को प्रेम समझ में आ गया है?

संगीत: मिलिंद दाते