कार- यानी मोटा खर्चा. डाउन पेमेंट, कारलोन की किस्त, रोड टैक्स, इंश्योरेंस, रेग्युलर सर्विसिंग, रख-रखाव, लिस्ट लंबी चौड़ी है. और ये सारे ताम-झाम एक ऐसे सामान के लिए जिसकी वैल्यू समय के साथ घटती जाती है. तो डिप्रीशियेट होने वाले इस सामान पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे? वैसे कारों की गिरती सेल्स हमें बता रही है कि कार जैसे बिग टिकट एक्सपेंडिचर को इंडियन कंज्यूमर होल्ड कर रहा है इसिलए मोटे खर्चे का तोड़ अब कार कंपनियां हीं लेकर आई हैं.
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