निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय. कबीर दास ने कहा था कि आलोचकों को करीब रखिए ताकि वो आपकी कमियां बताएं और आप ठीक कर सकें लेकिन अपनी सरकार को शायद ये फॉर्मूला कुछ खास पसंद नहीं आता है. तभी तो जैसे ही निंदा वाली यानी आलोचना वाली कोई बात कहीं से आती है...सरकार के लोग आलोचना करने वाले की ही आलोचना करने लग जाते हैं, बात हो रही है- 'हमारा बजाज वाले दिग्गज कारोबारी राहुल बजाज की. दिग्गज कारोबारी राहुल बजाज को लगता है कि देश में लोगों के बीच डर का माहौल है. ऐसे में लोग सरकार की आलोचना करने से भी डरते हैं. बजाज का कहना है कि लोगों में ये भरोसा नहीं है कि उनकी आलोचना को सरकार में किस तरह लिया जाएगा
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