माता पिता पूजन दिवस पर भाव विभोर हो गए बच्चे
Parents Worship Day Celebration in Dausa Rajasthan
दौसा कहते हैं सभ्यता ही संस्कार की जननी है और आज के इस आधुनिक युग में जहां बच्चे सहित माता पिता अपने संस्कारों को भूलने लगे हैं वहीं दूसरी और उन्हें लगातार जिंदा रखने के प्रयास भी किए जा रहे हैं इसी कड़ी में भारतीय संस्कृति के संरक्षणार्थ राजस्थान के दौसा जिला मुख्यालय स्थित यशोधरा मैरिज लॉन में आज श्री योग वेदांत सेवा समिति,दौसा के तत्वावधान में मातृ-पितृ पूजन दिवस का विशाल आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चें और उनके माता-पिता भारी संख्या में पहुंचे और मातृ पितृ पूजन दिवस में भाग लिया। बच्चों ने अपने माता-पिता का पूजन किया तथा उनसे आशीर्वाद लिया। सभी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह यह मातृ-पितृ पूजन दिवस कार्यक्रम अपने घर पर भी मनाने का निर्णय लिया। भारतीय संस्कृति के बारे में कहा भी गया है कि *"यूनान, रोम, मिश्र सब मिट गए जहां से, क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी"*। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में माता-पिता सहित उनके बच्चें भी मौजूद थे। यह दृश्य देखकर कई बच्चों और माता-पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े। माता-पिता ने भी अपने बच्चों को सदैव खुश रहने का आशीर्वाद दिया तथा उनके सुखद मंगलमय भविष्य की कामना करी। कार्यक्रम में पधारे लोगों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हर जगह आयोजित करने चाहिए। बच्चों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमने कभी नहीं देखे वास्तव में माता-पिता ही हमारे प्रथम गुरु होते हैं उनकी सेवा पूजा करना चाहिए। आज के युग में जहां बच्चे अपने शिक्षा और संस्कार भूलते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस तरह के आयोजन आज भी हमारी संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखे हैं
दौसा कहते हैं सभ्यता ही संस्कार की जननी है और आज के इस आधुनिक युग में जहां बच्चे सहित माता पिता अपने संस्कारों को भूलने लगे हैं वहीं दूसरी और उन्हें लगातार जिंदा रखने के प्रयास भी किए जा रहे हैं इसी कड़ी में भारतीय संस्कृति के संरक्षणार्थ राजस्थान के दौसा जिला मुख्यालय स्थित यशोधरा मैरिज लॉन में आज श्री योग वेदांत सेवा समिति,दौसा के तत्वावधान में मातृ-पितृ पूजन दिवस का विशाल आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चें और उनके माता-पिता भारी संख्या में पहुंचे और मातृ पितृ पूजन दिवस में भाग लिया। बच्चों ने अपने माता-पिता का पूजन किया तथा उनसे आशीर्वाद लिया। सभी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह यह मातृ-पितृ पूजन दिवस कार्यक्रम अपने घर पर भी मनाने का निर्णय लिया। भारतीय संस्कृति के बारे में कहा भी गया है कि *"यूनान, रोम, मिश्र सब मिट गए जहां से, क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी"*। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में माता-पिता सहित उनके बच्चें भी मौजूद थे। यह दृश्य देखकर कई बच्चों और माता-पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े। माता-पिता ने भी अपने बच्चों को सदैव खुश रहने का आशीर्वाद दिया तथा उनके सुखद मंगलमय भविष्य की कामना करी। कार्यक्रम में पधारे लोगों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हर जगह आयोजित करने चाहिए। बच्चों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमने कभी नहीं देखे वास्तव में माता-पिता ही हमारे प्रथम गुरु होते हैं उनकी सेवा पूजा करना चाहिए। आज के युग में जहां बच्चे अपने शिक्षा और संस्कार भूलते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस तरह के आयोजन आज भी हमारी संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखे हैं