यह मूर्ति भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट रचना है ।
इसमें भगवान् श्री कृष्ण अपने पिता वासुदेव जी की गोद में बैठे हैं
इस कटोरे के तले में एक छेद है
इसमें गंगा जल भरने पर वह जब तक नीचे नहीं गिरता, जब तक वह श्री कृष्ण के पाँव न छु ले और जैसे ही गंगा जल भगवान के पाँव छूता है
तुरंत ही सारा जल कटोरे से निकल जाता है।
यह आज के उन इंजीनियर के लिए भी एक आश्चर्य है कि उस समय की भारत की कारीगरी क्या थी ?
यह उसका एक उत्कृष्ट नमूना है...,
इसमें भगवान् श्री कृष्ण अपने पिता वासुदेव जी की गोद में बैठे हैं
इस कटोरे के तले में एक छेद है
इसमें गंगा जल भरने पर वह जब तक नीचे नहीं गिरता, जब तक वह श्री कृष्ण के पाँव न छु ले और जैसे ही गंगा जल भगवान के पाँव छूता है
तुरंत ही सारा जल कटोरे से निकल जाता है।
यह आज के उन इंजीनियर के लिए भी एक आश्चर्य है कि उस समय की भारत की कारीगरी क्या थी ?
यह उसका एक उत्कृष्ट नमूना है...,
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Creativity