डायनासोर से जुड़े रोचक रहस्य | Amazing Facts
जीवाश्म अभिलेख इंगित करते हैं इनकी कुछ ऐसी प्रजातियां भी थीं, जो पक्षियों की तरह उड़ती थीं जिन्हे टेरोसौर कहा जाता है।उड़ने वाले डायनासोर की एक नस्ल, 'क्वेजालकोटलस नॉरथ्रोपी' जिनका औसतन वजन 150kg और 40 फ़ीट लम्बे पंख थे , ये अब तक के संबसे बड़े उड़ने वाले प्राणी थे | आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि डायनासोर के बारे में सबसे सटीक जानकारी उनके मल के जीवाश्मों से जमा की गई है. वैज्ञानिक डायनासोर के मल के इन अवशेषों को 'कॉप्रोलाइट' कहते हैं. डायनासोर के कॉप्रोलाइट मिलने बहुत मुश्किल हैं. मगर जो भी मिलते हैं, उनसे डायनासोर के खान-पान के बारे में दिलचस्प जानकारी मिलती है. 1877 में ब्रौटोसोरस डायनोसौर के जीवाश्म मिले जो उस समय लोगों के लिए एक बहुत सनसनीखेज खबर बनी। लेकिन इसके अवशेषों को पूर्ण आकार में आने में 10 साल लगे थे | एक अमरीकी जीवाश्म खोजी S. W. Williston ने यह खोज की। वैज्ञानिक मानते हैं कि ज़्यादातर डायनासोर्स की चमड़ी गहेर हरे रंग की या गहरे लाल-भूरे रंग की रही होगी
जीवाश्म अभिलेख इंगित करते हैं इनकी कुछ ऐसी प्रजातियां भी थीं, जो पक्षियों की तरह उड़ती थीं जिन्हे टेरोसौर कहा जाता है।उड़ने वाले डायनासोर की एक नस्ल, 'क्वेजालकोटलस नॉरथ्रोपी' जिनका औसतन वजन 150kg और 40 फ़ीट लम्बे पंख थे , ये अब तक के संबसे बड़े उड़ने वाले प्राणी थे | आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि डायनासोर के बारे में सबसे सटीक जानकारी उनके मल के जीवाश्मों से जमा की गई है. वैज्ञानिक डायनासोर के मल के इन अवशेषों को 'कॉप्रोलाइट' कहते हैं. डायनासोर के कॉप्रोलाइट मिलने बहुत मुश्किल हैं. मगर जो भी मिलते हैं, उनसे डायनासोर के खान-पान के बारे में दिलचस्प जानकारी मिलती है. 1877 में ब्रौटोसोरस डायनोसौर के जीवाश्म मिले जो उस समय लोगों के लिए एक बहुत सनसनीखेज खबर बनी। लेकिन इसके अवशेषों को पूर्ण आकार में आने में 10 साल लगे थे | एक अमरीकी जीवाश्म खोजी S. W. Williston ने यह खोज की। वैज्ञानिक मानते हैं कि ज़्यादातर डायनासोर्स की चमड़ी गहेर हरे रंग की या गहरे लाल-भूरे रंग की रही होगी
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