माँ पर इतने सुंदर सुंदर बोल...एक साथ...
*गिनती नही आती मेरी माँ को यारों,*
*मैं एक रोटी मांगता हूँ वो हमेशा दो ही लेकर आती है.☺*
========================
*जन्नत का हर लम्हा….दीदार किया था*
*गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था*
========================
*सब कह रहें हैं*
*आज माँ का दिन है*
*वो कौन सा दिन है..*
*जो मां के बिन है*
========================
*सन्नाटा छा* गया *बटवारे* के *किस्से* में..
जब *माँ* ने पूछा *मैं* हूँ किसके *हिस्से* में.....!!!
========================
.... *घर की इस बार*
*मुकम्मल तलाशी लूंगा!*
*पता नहीं ग़म छुपाकर*
*हमारे मां बाप कहां रखते थे...?*
========================
*एक अच्छी माँ हर किसी*
*के पास होती है लेकिन...*
*एक अच्छी औलाद हर*
*माँ के पास नहीं होती...*
========================
*माँ से छोटा कोई शब्द हो तो बताओ*
*उससे बडा भी कोई हो तो भी बताना.....*
========================
*मंजिल दूर और सफ़र बहुत है .*
*छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है .*
*मार डालती ये दुनिया कब की हमे .*
*लेकिन "माँ" की दुआओं में असर बहुत है .*
========================
*माँ को देख,*
*मुस्कुरा लिया करो..*
*क्या पता किस्मत में*
*हज़(तीरथ) लिखा ही ना हो*
========================
*मौत के लिए बहुत रास्ते हैं पर*....
*जन्म लेने के लिए केवल*
*माँ* ✍.
========================
*माँ के लिए क्या लिखूँ ? माँ ने खुद मुझे लिखा है* ✍
========================
*दवा असर ना करें तो*
*नजर उतारती है*
*माँ है जनाब...*
*वो कहाँ हार मानती है*।
By = Vinod Didel { Shayari King }
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*गिनती नही आती मेरी माँ को यारों,*
*मैं एक रोटी मांगता हूँ वो हमेशा दो ही लेकर आती है.☺*
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*जन्नत का हर लम्हा….दीदार किया था*
*गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था*
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*सब कह रहें हैं*
*आज माँ का दिन है*
*वो कौन सा दिन है..*
*जो मां के बिन है*
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*सन्नाटा छा* गया *बटवारे* के *किस्से* में..
जब *माँ* ने पूछा *मैं* हूँ किसके *हिस्से* में.....!!!
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.... *घर की इस बार*
*मुकम्मल तलाशी लूंगा!*
*पता नहीं ग़म छुपाकर*
*हमारे मां बाप कहां रखते थे...?*
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*एक अच्छी माँ हर किसी*
*के पास होती है लेकिन...*
*एक अच्छी औलाद हर*
*माँ के पास नहीं होती...*
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*माँ से छोटा कोई शब्द हो तो बताओ*
*उससे बडा भी कोई हो तो भी बताना.....*
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*मंजिल दूर और सफ़र बहुत है .*
*छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है .*
*मार डालती ये दुनिया कब की हमे .*
*लेकिन "माँ" की दुआओं में असर बहुत है .*
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*माँ को देख,*
*मुस्कुरा लिया करो..*
*क्या पता किस्मत में*
*हज़(तीरथ) लिखा ही ना हो*
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*मौत के लिए बहुत रास्ते हैं पर*....
*जन्म लेने के लिए केवल*
*माँ* ✍.
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*माँ के लिए क्या लिखूँ ? माँ ने खुद मुझे लिखा है* ✍
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*दवा असर ना करें तो*
*नजर उतारती है*
*माँ है जनाब...*
*वो कहाँ हार मानती है*।
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