हिंदी का एक युगांतकारी, मूर्धन्य कवि आज पंचतत्वों में विलीन हो गया. केदारनाथ सिंह. जैसे मिट्टी में नमी, पानी में तरलता, हवा में आक्सीजन, पत्तियों में हरापन और जीवन में प्रेम होता है, हिंदी साहित्य में ठीक वैसे ही हैं केदारनाथ सिंह. एक कवि जो कहता है कि – उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा, इस दुनिया को हाथ की तरह गर्म औऱ सुंदर होना चाहिए. प्रेम की अनुभूति में भी एक सुंदर दुनिया की उम्मीद लेकर चलनेवाला कवि, दुनिया को अलविदा कह गया.
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