धुलंडी के दिन विवाह और मांगलिक कार्य निषेध होते हैं, लेकिन रियासतकालीन परंपरा के तहत इस दिन बीकानेर में न केवल विष्णुरूपी दूल्हे की बारात निकलती है, बल्कि विवाह के मांगलिक गीत भी गूंजते हैं। महिलाएं दूल्हे को पोखने की रस्म निभाती हैं व बारातियों का भी स्वागत होता है।