CHITRAKOOT DHAM

@sandeep.richhariya
चित्रकूटधाम उस सारभौमिक सत्य का रहस्य उद्घाटन करता है जिसने विश्व की पहली सप्तऋषियों की संस्कृति को जन्म दिया। प्रजापिता ब्रह्मा जी ने यहां सप्तऋषियों के साथ अश्वनी कुमार ,देवर्षि नारद व माता सरस्वती को उतपन्न किया। उन्होंने चित्रकूटधाम में ही पहली जलधारा के रूप में देवलोक की गंगा पयस्वनी को भी उत्तपन्न किया। यहां के राजा महाराधिराज स्वामी मत्तगयेन्द्रनाथ है तो त्रेताकाल में आए श्री रामजी के प्रसाद स्वरूप श्री कामदगिरि वर्षो से यहां पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की समस्याओं के समाधान के रूप में प्रतिस्थापित है। माता अनुसुईया के तप के प्रभाव से माता मन्दाकिनी अपनी सहस्त्र हजार धाराओं के साथ प्रकट हुई तो माँ सरयू गंगा का आशीष हमें अपने आप मिल रहा है। वैदिक धर्म की तीनों धाराओं के अट्भुद साम्य वाला इकलौता तीर्थ भूमण्डल पर केवल चित्रकूटधाम ही है जहाँ पर माँ आदिशक्ति मोक्षदा के रूप में माता सती के दाएं वक्ष सतयुग से विराजमान है।