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  • 2 days ago
राजनाथ सिंह ने कहा, समाज में खेल-खिलाड़ियों के महत्व को न केवल समझा जाए बल्कि उन्हें आगे बढ़ने का भी पूरा अवसर दिया जाए.

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00:00RADHANI KEDY SINGH BABU STADIUM में 77 KEDY SINGH BABU STADIUM में 67 KEDY MAHAKUM का SUBARAM आ जो गया
00:05इसका SUBARAM BHARAT के RAKSHYA मंदरी RADHA SINGH ने किया है
00:09लगनों के 8 जोनों में भीते कुछ दिनों से इसके ट्राइल गोए थे और खेलो का आयोजन हुआ था
00:15जिसके बाद 2400 खिलारियों को फाइनल इवेंट के लिए चैनेद किया गया है
00:19अगले चार दिनों तक राधानी के चौप के स्टेडियम, ओमती नगर इस्टेडियम, केल्डीय स्टेडियम और केडी सिंग बाबू स्टेडियम में
00:26विबिन खेलों में ये 2400 खिलारियों अपनी प्रतिभा का परदर्शन करेंगे जिसके बाद 22 तारिकों इस खेल महाकून का समापन होगा
00:35पुझान मंत्री सी नरंद्र मुदी की प्रेणों से हारों के कई सांसरों ने अपने अपने दर्वाजन शेक्रों में खेल करकी योगताएं आयोगिक करके समाज के विकास के लिए एक नई राह तैयार किये आज लबरव का नाम भी उस तड़ी में जोड़ गया
00:55किसी भी समाज के लिकास के लिए जानते हैं मित्रों कि हैं बहुत महत्तकों हैं कि समाज में खेल और खिलाड़ियों की महत्तकों ना केवल समझा जाया है बलकि उन्हें आगे बढ़ने का भी तूरा अचाशर दिया जाए
01:12लखरव सहर अपनी स्पोर्टिंग कल्चर के लिए केवल कुस्तत देश में ही नहीं वाकि देश विदेश में भी जाना जाता रहा है
01:23जिन महान हाकी खिलाडी केविशिंग बागु के नाम से यह स्टर्जम जाना जाता है
01:30उन्होंने यहां कोई जीवन का कौफी लंबा समय गुज़रा आए
01:35यहां की कि जादुगर कहे जाने वाले मेजर ध्यांचन ने भी लखरव में अच्छा तासा समय दिया
01:44और यहां की खेल पंक्ति को उन्होंने सवारा है और निखारा है
01:49उनके बेटेया शोकुमार वजिच्छास पोलंबियन यमनलाव फर्मा की भी यह लख्डव कर्भूई रही है
01:58अरता पहला पैस्टो टर्फ भी इसी लख्डव के और साले में अप्सी के जबसक में लगाया गया
02:07लख्रव में आज कब इंडियन प्रिलियर ली यानि आईपियल के मुकाविले हो रहे हैं और लोग उनका आनंद भी उठा रहे हैं
02:19बड़ एक समय था जब इसी के इसी के दीशिंग बावू इस्टेडियम में
02:25सीथ महल ट्राफी नाम से क्रिटेट लोगन काविया युजन होता था और इव इंडिया के बड़े-बड़े ग्रिटेट खिरावी इस लख्रव में खेलते हुए लगलाते के
02:38अब नहीं होता है मगर इसे प्रतियां लख्रवों के रहरे वाले लोगों के जहन में आज भी पूरी तरह से कायंगे हैं
02:49साथियों लख्रव अपनी कोपिन सल्चर के लिए कितना बिच्छात आ रहा है यह इसी बाद से समझा जा करता है यह जारी के बाद
03:00जब पहरी बार नेशनल गेम्स का आयोजन किया गया तो 1948 में हमारे आंपे इसी चहर लख लग नहीं किया गया गया था

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