Pohela Boishakh 2025: पोइला बोइशाख बंगाली नववर्ष का पहला दिन होता है, जिसे बंगाली समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते हैं. पोइला बोइशाख आमतौर पर 14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है.
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00:00दुनिया भर में ग्रिगोरियन कैलेंडर के मुताबिक एक जनवरी को नया साल मनाया जाता है।
00:05लेकिन भारत में अलग-अलग धर्म संप्रदायों में नव वर्ष भी अलग-अलग तारिखों में मनाया जाता है।
00:12हिंदू नय साल की शुरुवात चेतर महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिबताती ठीक होती है।
00:16सिक नववर्ष वेशाकी के दिन मनाते हैं, पार्सी नववर्ष नवरोच पर मनाते हैं, वहीं जैन समुदाई के लोग दिवाली के अगले दिन को नववर्ष के रूप में मनाते हैं।
00:27इसी तरह से बंगाली समुदाई के लोग पोईला बोईशाक को नया साल मनाते हैं।
00:33बंगाली नया साल बंगाली समुदाई के लिए बहुत खास दिन होता है।
00:38जिसे तेवहार की तरह मनाया जाता है जो कि हर साल अप्रेल के मध्य में मनाया जाता है।
00:43इस साल पोईला, बोईशाक या बंगाली 9 वर्ष 15 अपरेल 2025 को मनाया जाएगा।
00:49इस दिन से बंगाली समवत 1432 की शुरुवात होगी।
00:53पोईला का अर्थ होता है पहला और बोईशाक का अर्थ होता है साल का पहला महिना।
00:59यानि पोईला बोईशाख का अर्थ है साल का पहला दिन।
01:03अब इस दिन लोग क्या करते हैं चलिए जानते हैं।
01:06इस दिन लोग एक दूसरे को शुभो नोबो बोर्सो कहकर नए साल की शुभ कामना देते हैं।
01:12महिलाएं पारंपरिक बंगाली परिधान लाल बॉर्डर वाली सपेद रंकी साड़ी पहनते हैं और पुरेश धूती कुरता पहनते हैं।
01:20सुभा जुलूस निकाला जाता है जिसमें लोग गीत और डांस होता है।
01:25साल के पहले दिन बंगाली लोग पंजिका यानी बंगाली पंचां या कैलेंडर खरीदते हैं।
01:31घरों में पारंपरिक भोजन जैसे भात, माच, मचली, पाएश, खीर आदी तयार किये जाते हैं।
01:38सबाग्य और समरिधी के लिए घरगर लक्षमी कणेश की पूजा की जाती है।
01:42शुब मंगलिक काम जैसे नए काम या बिजनस की शुरुवात ग्रह प्रवेश मुंडन आदी के लिए पोईला बोईशोख के दिन को शुब माना जाता है।
01:51तो चलिए पोईला बोईशाक का इतिहास भी जान लेते हैं।
02:21नया कैलेंडर लाने को कहा था जिससे की कर यानि टैक्स को संग्रह करने में आसानी हो।
02:27फसल के वक्त बादशा कर संग्रह का समय तै करना चाहते थे।
02:31इसलिए उन्होंने इसकी पहल की।
02:33इसलिए माना जाता है कि बोंगाबदो की शुरुवात 594 इसवी से हुई और बंगाली समवत का पहला साल बोंगाजब एक अकबर के आदेश पर ही लागो हुआ था।
02:44कुछ इतिहासकारों की माने तो बंगाली यूग की शुरुवात सात्मी शताबदी में राजा शोशंक का गो के समय से हुई इसके लावा दूसरी और ये भी मत्व है कि चंद्र इसलामी कलंडर और सूर्य हिंदू कलंडर को मिला कर ही बंगाली कलंडर की स्थापना हुई थ
03:14करें वीडियो को लाइक करें शर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना बिलकुल ना भूलें