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वीडियो जानकारी: 08.11.2024 + 03.11.2024, गीता समागम

विवरण:
इस वीडियो में, आचार्य जी वास्तविकता और धारणा की प्रकृति पर चर्चा करते हैं, यह प्रश्न उठाते हैं कि क्या भौतिक दुनिया केवल मन का उत्पाद है। वह कल्पना और वास्तविकता के बीच के संबंध की खोज करते हैं, यह बताते हुए कि हमारे अनुभव और धारणा हमारी चेतना के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। आचार्य जी कर्नाटका के एक संत की शिक्षाओं का भी उल्लेख करते हैं, जो यह सुझाव देते हैं कि सच्ची शुद्धि भीतर से आती है, न कि भौतिक साधनों के माध्यम से। चर्चा आध्यात्मिकता के सार, गुरु की भूमिका, और सतही प्रथाओं और वास्तविक आध्यात्मिक अनुभवों के बीच के अंतर को समझने के महत्व पर केंद्रित है। आचार्य जी इस प्रवृत्ति की आलोचना करते हैं कि चीजों को "मिथ्या" या "भ्रमित" के रूप में लेबल किया जाए बिना उनके पीछे की गहरी सच्चाइयों को पहचानने के।

🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06

संगीत: मिलिंद दाते
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