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Women's Day 2025: महिला दिवस (Women's Day)के मौके पर महिलाओं की कामयाबी की कहानी बहुत सुनने और देखने को मिल रही है। वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनकी ज़िंदगी चुनौतियों से जूझ रही है। जो बहुत ही कम रुपये में अपनी ज़िंदगी गुज़र बसर करने को मजबूर हैं। बिहार (Bihar) में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों और आशा दीदी की ज़मीनी हक़ीक़त कुछ ऐसी ही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (Women's Day) के मौके पर वनइंडिया ने बेगूसराय (Begusarai)में ऐसी ही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों और आशा दीदी(Asha Didi) से बात की। इस दौरान ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान वनइंडिया की टीम ने पाया कि बिहार (Bihar) में स्वास्थ्य कर्मियों और आशा दीदी (Asha Didi) को मेहनत के हिसाब से मज़दूरी नहीं मिल पा रही है। सरकार की तरफ से रोज़ाना की न्यूनतम मज़दूरी तय होने के बावजूद आशा कार्यकर्त्ता,मिडडे मील सेविका आदि को 100 रुपये तक रोज़ाना दिए जाते हैं।

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