वीडियो जानकारी: 17.04.24, अनौपचारिक सत्र, ग्रेटर नॉएडा
नाम शादी का, काम फूहड़ता का || आचार्य प्रशांत (2024)
📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
0:30 - साधारण शादी का विचार
7:59 - शादी करनी ही क्यों है?
14:51 - शादी नहीं, देह का उत्सव है
20:57 - शादी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
25:58 - Sex Education की Importance
30:56 - पश्चिमी संस्कृति और भारतीय संस्कृति
32:17 - कबीर साहब के दोहे और भजन
33:40 - समापन
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने विवाह, प्रेम, और समाज में सेक्स एजुकेशन के महत्व पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि विवाह समारोह अक्सर एक सामाजिक प्रदर्शन बन जाते हैं, जहाँ लोग दुल्हन और दूल्हे के शरीर को देख रहे होते हैं, और यह एक प्रकार का अश्लीलता का उत्सव बन जाता है। आचार्य जी ने यह भी कहा कि विवाह के लिए किसी सामाजिक या धार्मिक अनुमति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि प्रेम एक निजी मामला है।
उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिमी देशों में सेक्स एजुकेशन को पहली कक्षा से पढ़ाया जाता है, और यह एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञान और समझ का होना आवश्यक है, ताकि युवा सही निर्णय ले सकें। आचार्य जी ने यह सुझाव दिया कि माता-पिता को अपने बच्चों को सही ज्ञान देना चाहिए, ताकि वे अपनी पहचान और मूल्यों को समझ सकें।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि समाज में पाखंड और दिखावे की प्रवृत्ति को खत्म करने की आवश्यकता है, और प्रेम को एक गहरा और संवेदनशील अनुभव मानना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रेम का मामला बहुत महीन होता है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
प्रसंग:
~ रिश्तों का आधार क्या होना चाहिए?
~ विवाह क्या है?
~ आयोजित विवाह (arranged marriage) क्या है?
~ प्रेम विवाह क्या है?
~ भारतीय दुनिया में सबसे दुखी लोगों में क्यों है?
~ हमारी वास्तविक ज़रूरत क्या है?
~ उचित चुनाव कैसे करें?
~ शादी के लिए लड़की लड़के का चुनाव करते समय घरवालें क्या देखते हैं?
~ किसका महत्त्व ज़्यादा है रिश्ते नातों से?
~ रिश्तों की अहमियत एक बिन्दु के बाद कितनी हो सकती हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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नाम शादी का, काम फूहड़ता का || आचार्य प्रशांत (2024)
📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
0:30 - साधारण शादी का विचार
7:59 - शादी करनी ही क्यों है?
14:51 - शादी नहीं, देह का उत्सव है
20:57 - शादी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
25:58 - Sex Education की Importance
30:56 - पश्चिमी संस्कृति और भारतीय संस्कृति
32:17 - कबीर साहब के दोहे और भजन
33:40 - समापन
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने विवाह, प्रेम, और समाज में सेक्स एजुकेशन के महत्व पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि विवाह समारोह अक्सर एक सामाजिक प्रदर्शन बन जाते हैं, जहाँ लोग दुल्हन और दूल्हे के शरीर को देख रहे होते हैं, और यह एक प्रकार का अश्लीलता का उत्सव बन जाता है। आचार्य जी ने यह भी कहा कि विवाह के लिए किसी सामाजिक या धार्मिक अनुमति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि प्रेम एक निजी मामला है।
उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिमी देशों में सेक्स एजुकेशन को पहली कक्षा से पढ़ाया जाता है, और यह एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञान और समझ का होना आवश्यक है, ताकि युवा सही निर्णय ले सकें। आचार्य जी ने यह सुझाव दिया कि माता-पिता को अपने बच्चों को सही ज्ञान देना चाहिए, ताकि वे अपनी पहचान और मूल्यों को समझ सकें।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि समाज में पाखंड और दिखावे की प्रवृत्ति को खत्म करने की आवश्यकता है, और प्रेम को एक गहरा और संवेदनशील अनुभव मानना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रेम का मामला बहुत महीन होता है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
प्रसंग:
~ रिश्तों का आधार क्या होना चाहिए?
~ विवाह क्या है?
~ आयोजित विवाह (arranged marriage) क्या है?
~ प्रेम विवाह क्या है?
~ भारतीय दुनिया में सबसे दुखी लोगों में क्यों है?
~ हमारी वास्तविक ज़रूरत क्या है?
~ उचित चुनाव कैसे करें?
~ शादी के लिए लड़की लड़के का चुनाव करते समय घरवालें क्या देखते हैं?
~ किसका महत्त्व ज़्यादा है रिश्ते नातों से?
~ रिश्तों की अहमियत एक बिन्दु के बाद कितनी हो सकती हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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