वीडियो जानकारी: 06.02.25, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा
Title: अमीर भी बनना है, और ईमानदार भी रहना है? || आचार्य प्रशांत (2025)
विवरण:
लंदन की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने आचार्य जी से पूछा कि उनकी तकनीक का उपयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों उद्देश्यों के लिए हो रहा है, तो क्या उन्हें इसके प्रभावों की चिंता करनी चाहिए? आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि किसी भी तकनीक का प्रभाव शून्य-सुम नहीं होता, बल्कि उसकी संभावनाएं अलग-अलग होती हैं। गीता ऐप का उपयोग अधिकतर सकारात्मक है, जबकि कुछ अन्य प्लेटफार्म अधिकतर मनोरंजन या भटकाव के लिए बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि आसान लगने वाले कामों को हर कोई करना चाहता है, जिससे वे भी कठिन हो जाते हैं। कंपनी का मूल उद्देश्य ही यह तय करता है कि उसका उत्पाद किस दिशा में जाएगा। आचार्य जी ने यह भी समझाया कि किसी तकनीक का प्रभाव केवल उसके निर्माण पर नहीं, बल्कि उसे बनाने वालों की नीयत पर भी निर्भर करता है
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
प्रसंग:
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
Title: अमीर भी बनना है, और ईमानदार भी रहना है? || आचार्य प्रशांत (2025)
विवरण:
लंदन की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने आचार्य जी से पूछा कि उनकी तकनीक का उपयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों उद्देश्यों के लिए हो रहा है, तो क्या उन्हें इसके प्रभावों की चिंता करनी चाहिए? आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि किसी भी तकनीक का प्रभाव शून्य-सुम नहीं होता, बल्कि उसकी संभावनाएं अलग-अलग होती हैं। गीता ऐप का उपयोग अधिकतर सकारात्मक है, जबकि कुछ अन्य प्लेटफार्म अधिकतर मनोरंजन या भटकाव के लिए बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि आसान लगने वाले कामों को हर कोई करना चाहता है, जिससे वे भी कठिन हो जाते हैं। कंपनी का मूल उद्देश्य ही यह तय करता है कि उसका उत्पाद किस दिशा में जाएगा। आचार्य जी ने यह भी समझाया कि किसी तकनीक का प्रभाव केवल उसके निर्माण पर नहीं, बल्कि उसे बनाने वालों की नीयत पर भी निर्भर करता है
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
प्रसंग:
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
Category
📚
Learning