• 16 hours ago
वीडियो जानकारी: 22.05.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने पुणे में हुए एक गंभीर सड़क दुर्घटना के संदर्भ में चर्चा की है, जिसमें एक 17 वर्षीय लड़के ने तेज गति से गाड़ी चलाते हुए दो आईटी कर्मचारियों की जान ले ली। आचार्य जी ने इस घटना के बाद लड़के को मिली सजा पर सवाल उठाया, जिसमें उसे केवल 300 शब्दों का निबंध लिखने और 15 दिन तक ट्रैफिक पुलिस के साथ रहने की सजा दी गई।

वे यह तर्क करते हैं कि 18 साल की उम्र को वयस्क मानने का निर्णय समाज के लिए उचित नहीं है, खासकर जब युवा इतनी गंभीर अपराध कर रहे हैं। आचार्य जी ने यह भी बताया कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे जल्दी वयस्क हो जाते हैं और उन्हें जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने यह भी कहा कि समाज में धन और संसाधनों का असमान वितरण है, जहां अमीर परिवारों के बच्चे बिना मेहनत के सुविधाएं प्राप्त करते हैं, जबकि मेहनती लोग अपनी मेहनत से भी सुरक्षित नहीं हैं। आचार्य जी ने सुझाव दिया कि माता-पिता को अपने बच्चों को जिम्मेदारी सिखानी चाहिए और उन्हें बिना मेहनत के धन नहीं देना चाहिए।
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प्रसंग:
~ आजकल जो मक्कार है वो ही ऐश कर रहा है!
~ जो मेहनत करते हैं उनको ऐश करने क्यों नहीं मिलता?
~ असली ऐश करना किसे कहते हैं?
~ जो मक्कार होते हैं वो इतना ऐश कैसे कर पाते हैं?
~ पैसा, नाम, ताकत - कमाएँ कि नहीं?
~ युवाओं के सामने सही आदर्श होना क्यों आवश्यक है?
~ हमारे देश के युवा सोशल मीडिया की ओर जा रहे हैं, यही उनकी बर्बादी का कारण बन रहा है।
~ क्यों हम हमारी दुनिया से ही संतुष्ट नहीं हैं, और एक अय्याशी भरी लाइफ चाहते हैं?
~ क्यों हमें बचपन से सही परवरिश और सही शिक्षा नहीं मिलती?
~ युवा जीवन का सबसे ऊँचा लक्ष्य क्या है?
~ युवा पीढ़ी किस दिशा जा रही है?
~ आजकल सभी को बस अय्याशी करनी है, मेहनत किसी को भी पसंद नहीं, ऐसा क्यों?

संगीत: मिलिंद दाते
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